सर्दियां दहलीज पर हैं। हवा की गति धीमी पड़ने लगी है और प्रदूषक तत्त्व वातावरण में ठहरने लगे हैं। आने वाले दिनों में यह समस्या इतनी गंभीर होने वाली है कि सांस लेना भी दूभर हो जाएगा। हम केवल उम्मीद और प्रार्थना ही कर सकते हैं कि वायु और इंद्र देव की कृपा हो तो इस जानलेवा प्रदूषण से छुटकारा मिले। इसका कारण यह है कि वर्षों से हम इसी तरह वायु प्रदूषण से जूझ रहे हैं, लेकिन इससे निपटने के लिए कोई खास उपाय नहीं किए जा रहे हैं।
प्रदूषण से बचाव के फौरी उपाय के तौर पर आपात चेतावनी प्रणाली के रूप में ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान (ग्रैप) लाया गया था। वायु प्रदूषण बढ़ने पर यह इकलौता काम है, जो प्रदूषण से निपटने के तौर पर हम करते हुए दिखते हैं। लेकिन, यह कदम भी इतनी देर से उठाया जाता है कि उस समय इसका कोई खास फायदा नहीं होता। इसी समय बताया जाता है कि सरकार कृत्रिम बादलों के जरिये वर्षा कराएगी, जिससे प्रदूषक तत्त्व धुल जाएं और आसमान साफ हो। ऐसी खबरें उस स्थिति में आती हैं जब हम सब इस तथ्य से वाकिफ हैं कि प्रदूषक तत्त्व हवा में फैली नमी से लिपट जाते हैं और बारिश से नमी बढ़ेगी तो यह समस्या दूर होने के बजाय और भी जटिल बनेगी।
इसलिए हमें हवा-हवाई बातें न कर, यह समझना होगा कि प्रदूषण नियंत्रण के लिए आखिर क्या किया जा सकता है। सबसे पहले तो यह देखना होगा कि हमने अभी तक वायु प्रदूषण समाप्त करने के लिए क्या कदम उठाए हैं। यह बात है 1990 के दशक की जब सेंटर फॉर साइंस ऐंड एन्वायरनमेंट (सीएसई) ने 'स्लो मर्डर' यानी 'तड़पा कर मारना' शीर्षक से एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी। इसी के साथ सीएसई ने प्रदूषण से निपटने के लिए एक वृहद कार्ययोजना भी पेश की थी।
Bu hikaye Business Standard - Hindi dergisinin November 14, 2024 sayısından alınmıştır.
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जुबिलैंट फूड्स का कोका कोला इंडिया संग करार
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बर्मन परिवार की खुली पेशकश पर उच्च न्यायालय की रोक
मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के जबलपुर पीठ ने डाबर के प्रवर्तकों के ओपन ऑफर और रेलिगेयर एंटरप्राइजेज की सालाना आम बैठक (एजीएम) पर रोक लगा दी है। याचिका में डाबर प्रवर्तकों के अधिग्रहण पर निगरानी के लिए स्वतंत्र जांच आयोग की मांग भी की गई है।
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भारतीय रिजर्व बैंक के यूपीआई जैसे डिजिटल सार्वजनिक आधारभूत ऋण ढांचे यूनिफाइड लेंडिंग इंटरफेस (यूएलआई) के जरिए 27,000 करोड़ रुपये मूल्य के 6 लाख से अधिक ऋण वितरित किए गए हैं।
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भारत की दोहरी महत्त्वाकांक्षा है: 2047 तक विकसित देश बनना और 2070 तक विशुद्ध शून्य उत्सर्जन का लक्ष्य हासिल करना। इस लक्ष्य को हासिल करने में ऊर्जा क्षेत्र में निर्णायक बदलाव की अहम भूमिका होगी...
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आम चुनाव में 543 में से 152 सीटों पर नहीं थी एक भी महिला उम्मीदवार