देश में नीति-निर्माण को बनाया जाए आसान
Business Standard - Hindi|November 15, 2024
दो दशक से अधिक समय तक विभिन्न राजनीतिक दलों की सरकारों की विभिन्न राजनीतिक समितियों ने 200 वर्ष पुराने आयुध कारखाना बोर्ड (ओएफबी) को निजी कंपनी में बदलने की सिफारिश की थी ताकि इसके परिचालन को आधुनिक बनाया जा सके।
अजय कुमार
देश में नीति-निर्माण को बनाया जाए आसान

ब्रिटेन ने वर्ष 1985 में ओएफबी की पूर्ववर्ती, रॉयल ऑर्डनेंस फैक्टरी को एक कंपनी में बदल दिया था। भारत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में ओएफबी को कंपनी में बदलने का फैसला 2020 में ही किया गया। एक अन्य उदाहरण भारत के डेटा सुरक्षा कानून की लंबी प्रक्रिया है जिस पर वर्ष 2015 से ही चर्चा हो रही है लेकिन नौ वर्ष बाद भी इसे लागू नहीं किया जा सका है।

नीति बनाने की प्रक्रिया में कई जटिलताएं होती हैं जिनकी वजह से कई बार निर्णय लेने की प्रक्रिया में देरी हो सकती है और जिससे समग्र विकास के लक्ष्यों पर असर पड़ता है। इन चुनौतियों का समाधान कर हम सार्वजनिक नीतियों की गुणवत्ता में सुधार कर सकते हैं और सार्थक बदलाव लाने के साथ ही हम दीर्घकालिक विकास सुनिश्चित कर सकते हैं।

हालांकि परिवर्तन का विरोध प्रभावी नीति निर्माण की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण चुनौती है। व्यक्ति, संगठन और समुदाय रोजगार के मौके गंवाने के डर से, वित्तीय जोखिम या फिर प्रभाव के नुकसान के कारण परिवर्तन का विरोध करते हैं। उदाहरण के लिए श्रमिक संगठनों ने नौकरी की सुरक्षा की चिंताओं के कारण कंप्यूटरीकरण का विरोध किया। जो चलन जितना ही पुराना होता है उससे लोगों के अधिक हित जुड़े होते हैं। ऐसे में सुधार करना कठिन हो जाता है।

सरकारी नीतियों में बदलाव कानूनों, नियमों, कार्यकारी निर्देशों और परिपत्रों जैसे व्यापक दस्तावेजों की स्थापित परंपरा से और जटिल हो जाते हैं। इस तरह की जटिल दस्तावेजी प्रक्रिया यथास्थिति को बनाए रखने में अहम भूमिका निभाती है और इसका एक नकारात्मक प्रभाव होता है और एक-दूसरे से जुड़ा हुआ जटिल नेटवर्क बनता है। प्रत्येक दस्तावेज में अक्सर दूसरे दस्तावेज का संदर्भ होता है जिससे अतिरिक्त दस्तावेज जुटाने की स्थिति बनती है। यह परस्पर संबंध एक जटिल प्रणाली बनाता है जहां किसी भी संशोधन का कई अन्य दस्तावेजों पर प्रभाव हो सकता है और इसकी सीमा भी अक्सर स्पष्ट नहीं होती है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) मॉडल को सरकारी नियमन का विश्लेषण करने और नीतिगत बदलावों से होने वाले सभी संभावित अंतर्संबंधों की पहचान करने के लिए तैयार किया जाना चाहिए।

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