उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति अक्टूबर में 14 महीने के उच्च स्तर 6.2 फीसदी पर पहुंच गई। इसी तरह थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) आधारित महंगाई अक्टूबर में बढ़कर चार माह के उच्च स्तर 2.36 प्रतिशत पर पहुंच गई। इसका बड़ा कारण खाद्य कीमतों में तेजी थी।
इस दौरान सब्जियों की कीमतों में भारी उछाल देखी गई क्योंकि इस बार मानसून भी लंबे समय तक रहा और झमाझम बारिश हुई, जिससे उत्पादन प्रभावित हुआ। सर्दियों की शुरुआत के साथ ही उम्मीद की जा रही है कि अब सब्जियों की कीमतों में कमी आएगी। नई आवक के बाद प्याज के दाम भी घटेंगे।
कैसा रहेगा उत्पादन
कुछ हफ्ते पहले जारी 2024-25 खरीफ सत्र के पहले अग्रिम अनुमानों के मुताबिक, हाल ही में खत्म हुए खरीफ सत्र में चावल का उत्पादन रिकॉर्ड 12 करोड़ टन होने की उम्मीद है, जो पिछले साल के मुकाबले 5.9 फीसदी अधिक है। रकबा बढ़ने, लंबे समय तक मानसून के रहने और अनुकूल कीमतों के कारण इस बार चावल के उत्पादन को बल मिला है।
कुछ खबरों में बताया जा रहा है कि केंद्र सरकार द्वारा पहली बार खरीफ सत्र में डिजिटल फसल सर्वेक्षण कराया गया है, जिसने धान के रकबे का सटीक आकलन किया है, इसलिए ही कुल उत्पादन में वृद्धि हुई है।
चावल की अच्छी कीमतों के कारण कुछ किसानों ने इस साल दलहन और कपास की खेती छोड़ धान की ओर रुख कर लिया है।
उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (संयुक्त) के आधार पर मापी जाने वाली चावल की खुदरा मुद्रास्फीति पिछले वर्ष (अक्टूबर 2023 से अक्टूबर 2024) में अधिकतर दो अंकों में रही। चावल के बेहतर उत्पादन से निर्यात को बढ़ावा देने और प्रतिबंधों में ढील देने में मदद मिल सकती है।
मक्का
पहले अग्रिम अनुमान दर्शाते हैं कि इस बार मक्का उत्पादन पिछले सत्र से करीब 10.3 फीसदी बढ़कर 2.45 करोड़ टन रहने की उम्मीद है। इससे कीमतें कम करने में मदद मिलेगी और अनाज आधारित एथनॉल विनिर्माताओं सहित उपयोगकर्ता उद्योगों के लिए पर्याप्त उपलब्धता भी सुनिश्चित होगी।
Bu hikaye Business Standard - Hindi dergisinin November 16, 2024 sayısından alınmıştır.
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