अपने आंगन की दीवार से टेक लगाए खड़ी 45 वर्षीय सरस्वती जाधव का सब्र जवाब दे रहा है। वह कुछ दिन पहले हृदयाघात के बाद से अस्पताल में भर्ती अपने पति के बारे में कुछ अच्छी खबर सुनने के लिए बेचैन हैं। देश की अंगूर राजधानी नाशिक के दूरदराज के क्षेत्रों में स्थित मोहादी गांव की रहने वाली जाधव खेतों में मजदूरी करती हैं। कभी सोयाबीन या प्याज तो कभी अंगूर आदि के खेतों में काम करने के एवज में उन्हें प्रति दिन 250 से 300 रुपये दिहाड़ी मिलती है।
इस छोटी सी आमदनी से वह परिवार के लिए भोजन और पोषण जैसी सबसे जरूरी चीजें भी बमुश्किल जुटा पाती हैं। यदि स्वास्थ्य संबंधी कोई संकट खड़ा हो जाए तो जाधव जैसी कम आय वाले दिहाड़ी मजदूरों की वित्तीय गाड़ी फौरन पटरी से उतर जाती है। लेकिन, वह बताती हैं कि अब मुख्यमंत्री माझी लाडकी बहिन योजना के तहत जुलाई से हर महीने उन्हें 1,500 रुपये मिल रहे हैं। इससे उन्हें अपने खर्च पूरे करने में कुछ हद तक सहारा मिल जाता है।
भरी आंखों से जाधव बताती हैं, ‘लाडकी बहिन योजना के तहत मुझे और मेरी बेटी को अभी तक 7,500-7,500 रुपये मिल चुके हैं। इसके अलावा कुछ हमने अपनी हर महीने की कमाई से बचत की है। यदि यह रकम नहीं होती तो मुझे अपने पति का इलाज कराने में बहुत मुश्किलों का सामना करना पड़ता और पैसा जोड़ने के लिए हर दिन एक वक्त का खाना छोड़ना पड़ता। ‘
महाराष्ट्र में आगामी 20 नवंबर को विधान सभा चुनाव के लिए मतदान होना है। चुनाव के मद्देनजर इसी साल जुलाई में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली महायुति गठबंधन सरकार ने लाडकी बहिन योजना की शुरुआत की थी। इसके तहत वार्षिक स्तर पर 2.5 लाख रुपये तक आमदनी वाले परिवारों की 21 से 65 आयु की पात्र महिलाओं को हर महीने 1,500 रुपये दिए जाते हैं। चुनाव नजदीक आते ही मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने ऐलान किया कि लाडकी बहिन योजना के तहत मिलने वाली रकम को 2,100 रुपये प्रतिमाह किया जाएगा।
Bu hikaye Business Standard - Hindi dergisinin November 18, 2024 sayısından alınmıştır.
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