देश में उत्पादन को बढ़ावा देने और "चीन प्लस वन" की वैश्विक रणनीति का फायदा उठाने के लिए भारत को विनिर्माण के अनुकूल माहौल तैयार करने की जरूरत है। चीन प्लस वन रणनीति के तहत बहुराष्ट्रीय कंपनियों को चीन पर निर्भरता कम करने के लिए प्रोत्साहित किया गया है। मगर राष्ट्रीय विनिर्माण नीति (एनएमपी) और मेक इन इंडिया जैसे कार्यक्रमों के साथ भारत के एक प्रमुख उत्पादन केंद्र बनने और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में शामिल होने के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था में विनिर्माण का योगदान घट रहा है।
हालांकि मोबाइल हैंडसेट जैसी चुनिंदा वस्तुओं में आयात को कम करने और निर्यात बढ़ाने में धीरे-धीरे प्रगति हो रही है। एनएमपी को 2011 में तत्कालीन संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार द्वारा पेश किया गया था, लेकिन विनिर्माण को बढ़ावा देने के उद्देश्य से पहले भी कई उपाय किए गए थे। उदाहरण के लिए, विनिर्माण के वास्ते राष्ट्रीय रणनीति (2006) के तहत सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में विनिर्माण की हिस्सेदारी बढ़ाने, सर्वोत्तम प्रथाओं एवं उत्पादन तकनीकों को अपनाने, कौशल विकास एवं ज्ञान को बेहतर करने और अनुसंधान एवं विकास (आरएंडडी) में निवेश बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया था। उसी नीति के कारण राष्ट्रीय विनिर्माण प्रतिस्पर्धात्मकता परिषद का गठन किया गया।
निर्यात-आयात की विभिन्न नीतियों और विशेष आर्थिक क्षेत्रों (एसईजेड) के जरिये वस्तुओं के निर्यात को बढ़ावा देने की कोशिश की गई। हालांकि एसईजेड में विनिर्माण और सेवाएं दोनों शामिल हैं। वास्तव में इन विशेष आर्थिक क्षेत्रों से सेवाओं के निर्यात ने विनिर्माण के मुकाबले बेहतर प्रदर्शन किया है। उदाहरण के लिए, एसईजेड के जरिये सेवाओं का निर्यात 50 फीसदी बढ़कर 25.4 अरब डॉलर हो गया जो चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में 16.5 अरब डॉलर रहा था।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा सितंबर 2014 में शुरू किए गए मेक इन इंडिया कार्यक्रम का उद्देश्य भारत को वैश्विक डिजाइन एवं विनिर्माण केंद्र के रूप में स्थापित करना था। इसका मुख्य उद्देश्य निवेश के अनुकूल माहौल तैयार करना, नवाचार को प्रोत्साहित करना और विश्वस्तरीय बुनियादी ढांचा स्थापित करना था।
Bu hikaye Business Standard - Hindi dergisinin December 26, 2024 sayısından alınmıştır.
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चालू वित्त वर्ष में अब तक प्रमुख जिंसों का निर्यात 5 फीसदी बढ़ा
भारतीय कमोडिटी के निर्यात में अब तेजी देखी जाने लगी है। चालू वित्त वर्ष के पहले 7 महीने में कुल कमोडिटी निर्यात में करीब है। कुछ गैर 5 फीसदी इजाफा हुआ बासमती चावल पर लगे प्रतिबंध से पहले कुल कमोडिटी निर्यात में सुस्ती देखी जा रही थी।
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कुल 13 ब्लॉकों में से गुजरात के तट के पास लाइम स्टोन के तीन जी3 ब्लॉकों में अनुमानित 171.2 करोड़ टन संसाधन मौजूद
सरकारी कंपनियों का सीएसआर पर खर्च 4 साल के उच्च स्तर पर
वित्त मंत्रालय द्वारा जारी सार्वजनिक उद्यमों के ताजा सर्वे के मुताबिक केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों (सीपीएसई) का कॉर्पोरेट सामाजिक दायित्व (सीएसआर) पर खर्च वित्त वर्ष 2024 में 19 प्रतिशत बढ़कर 4,911 करोड़ रुपये हो गया है।
आगाज पर चमके 5 कंपनियों के शेयर
शेयरधारकों को सूचीबद्धता पर 18 फीसदी से लेकर 159 फीसदी तक का फायदा हुआ
ईटीएफ, इंडेक्स फंड फोलियो बढ़े
इंडेक्स फंडों और एक्सचेंज-ट्रेडेड फंडों (ईटीएफ) ने 2024 में निवेश खातों में शानदार इजाफा दर्ज किया है। सेक्टोरल और थीमेटिक निवेश के प्रति उत्साह बढ़ने से इन फोलियो में तेजी देखने को मिली। इंडेक्स फंडों में निवेश खाते या फोलियो चालू कैलेंडर वर्ष के दौरान दोगुने होने की ओर हैं जबकि ईटीएफ में फोलियो पहले ही 37 प्रतिशत बढ़ चुके हैं, हालांकि दिसंबर के आंकड़े अभी बाकी हैं। नवंबर में समाप्त 11 महीनों के दौरान पैसिव निवेश खंड में प्रबंधन अधीन परिसंपत्तियां (एयूएम) 23 प्रतिशत बढ़कर 11 लाख करोड़ रुपये हो गईं।
दिसंबर के पहले पखवाड़े में ऋण-जमा 11.5 फीसदी बढ़ा
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा जारी आंकड़ों से पता चलता है कि 13 दिसंबर को समाप्त हुए पखवाड़े में ऋण वृद्धि ने रफ्तार पकड़ी है।