विकास में लंबी छलांग, मंजिल अभी दूर
Business Standard - Hindi|January 01, 2025
देश में एक्सप्रेसवे-सड़कों का जाल फैला, बुलेट ट्रेन के साथ विश्व व्यापार में छाने को बंदरगाह हैं तैयार
ध्रुवाक्ष साहा और दीपक पटेल
विकास में लंबी छलांग, मंजिल अभी दूर

जब हम 21वीं सदी में कदम रख रहे थे तो देश का बुनियादी ढांचा विकास बहुत ही सुस्त था। तमाम परियोजनाएँ बिखरी हुई थीं और इनमें निजी क्षेत्र की भागीदारी सीमित थी। लेकिन अब जब हम सदी का चौथाई सफर पूरा कर चुके हैं तो विकास का परिदृश्य बिल्कुल बदला हुआ है। देश बहुत महत्त्वपूर्ण मोड़ पर खड़ा है। चौड़ी और लंबी-लंबी सड़कों की परियोजनाएँ फर्राटे भर रही हैं तो बुलेट ट्रेन का सपना साकार होने वाला है। वैश्विक व्यापार परिदृश्य में अपना प्रभुत्व जमाने के वादे के साथ बंदरगाहों का भी विस्तार हो रहा है।

दूरदराज के क्षेत्रों को राजमार्गों से जोड़ने से लेकर लाखों लोगों को सफर कराने वाले विमानन नेटवर्क के विस्तार तक भारत के बुनियादी विकास का सफर बदलाव की अनूठी कहानी है। चौथाई सदी की यह विकास यात्रा में अनेक उपलब्धियाँ हासिल हुई हैं तो अटकी परियोजनाएँ और सुरक्षा चिंताएँ जैसी बहुत सी चुनौतियाँ भी सामने आई हैं। जब देश 2047 तक 30 लाख डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के महत्त्वाकांक्षी लक्ष्य की ओर बढ़ रहा है तो इसके लिए अभी बहुत कुछ किया जाना बाकी है।

सड़कें : विकास का सुनहरा सफर

जब देश नई सदी का पहला साल पूरा कर रहा था तो तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने दिसंबर 2000 में राष्ट्रीय राजमार्ग विकास कार्यक्रम- स्वर्ण चतुर्भुज योजना के पहले चरण की शुरुआत की। उस समय यह देश की सबसे बड़ी राजमार्ग विकास परियोजना थी। कई लोगों ने इसे देश के बुनियादी ढाँचे के एकीकृत विकास की दिशा में पहला बड़ा कदम करार दिया था।

इन 25 सालों के दौरान 2024 में देश का राष्ट्रीय राजमार्ग नेटवर्क लगभग तीन गुना बढ़कर 146,000 किलोमीटर हो गया है। सड़कों का यह जाल जीपीएस आधारित टोल संग्रह और तेज गति के अनुकूल एवं एग्जिट-एंट्री प्वाइंट (एक्सेस कंट्रोल्ड एक्सप्रेसवे) जैसी आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित है। बुनियादी ढाँचा विकास के साथ निजी वाहनों की संख्या भी तेजी से बढ़ी है, जिससे प्राइवेट उद्योग भी खूब फला-फूला है। इस बदलाव में टोल संग्रह ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

Bu hikaye Business Standard - Hindi dergisinin January 01, 2025 sayısından alınmıştır.

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