विश्व में खाद्य सुरक्षा एवं पोषण की स्थिति (सोफी) की 2023 की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में 2020 और 2022 के दरम्यान 7.4 करोड़ लोग अल्पपोषण के शिकार थे। इससे भारत में खाद्य असुरक्षा एवं भूख की स्थिति बयां होती है। 2023 में ग्लोबल हंगर इंडेक्स में 125 देशों के बीच भारत को 111वां स्थान दिया गया। यह सूचकांक बताता है कि किस देश के बच्चों में बौनेपन, दुर्बलता की समस्या और पोषण की कमी बहुत अधिक है। इससे यह भी पता चलता है कि उस देश की आबादी को रोजाना पर्याप्त भोजन मयस्सर नहीं हो रहा है। इस इंडेक्स की रिपोर्ट पर मीडिया और राजनीतिक हलकों में बहस छिड़ गई है मगर इससे भारत में लगातार चली आ रही खाद्य असुरक्षा की चुनौती भी उजागर होती है।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उपलब्ध आंकड़े तो बता रहे हैं कि बड़े स्तर पर लोग भूखे रहते हैं मगर यह आंकड़ा आसानी से नहीं मिलता कि रोज रात कितने लोगों को भूख पेट सोना पड़ता है। हाल ही में घरेलू खपत व्यय सर्वेक्षण (एचसीईएस) 2022-23 के आंकड़े जारी किए गए, जिसमें सर्वेक्षण से तीस दिन पहले तक खाए गए आहार की संख्या बताई गई है। तय परिभाषा के मुताबिक 'आहार' पकाई गई एक या एक से अधिक खाद्य सामग्री होती है, जिसमें बड़ा भाग अनाज का होता है। सर्वेक्षण में दर्ज की गई आहार की संख्या से पता चल जाता है कि कितने लोग दिन में दो जून की रोटी नहीं खा पा रहे हैं यानी 30 दिन के भीतर 60 बार भोजन नहीं कर पा रहे हैं। जो एक महीने में 60 से कम बार आहार ले पा रहे हैं, उन्हें भूख का शिकार माना जाता है और उनका अनुपात जितना ज्यादा होता है, भूख की स्थिति भी उतनी ही तीव्र मानी जाती है।
Bu hikaye Business Standard - Hindi dergisinin January 03, 2025 sayısından alınmıştır.
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