स्पोर्ट्स देखते वक्त हम भावुक क्यों हो जाते हैं। कुछ लोग तो रो पड़ते हैं? विशेषज्ञों कि इसकी प्रमुख वजह कभी का कहना असहाय महसूस करना, अभिभूत या विस्मय जैसी भावनाएं हैं। दुनिया के शीर्ष एथलीट्स को संघर्ष करते हुए देखने वाले दर्शकों के शरीर में ऐसी भावनाएं उबाल लेती हैं। खासकर जब खिलाड़ी देश का हो। आंसुओं पर किताब लिख चुके बेंजामिन पेरी कहते हैं, हमें गर्व होता है कि जिस व्यक्ति ने हमारा झंडा पहना है, उसने कुछ सार्थक किया। ओलिंपिक से जुड़ाव ज्यादा होता है क्योंकि इनका आयोजन 4 साल में एक बार होता है। ऐसे में अपनी भावनाओं को कैसे मैनेज करें, जानिए एक्सपर्ट से...
खेल इस कदर जोड़ देते हैं कि खिलाड़ी देश का न हो तब भी हम समर्थन करते हैं, लक्ष्य भी साझा हो जाता है
Bu hikaye Dainik Bhaskar Mumbai dergisinin July 30, 2024 sayısından alınmıştır.
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