लोकतंत्र का भविष्य राजनीतिक ग्रह और गण निर्धारित करते हैं। राजनीति में चुनाव का साल युद्ध और फतेह का साल होता है। नया साल 2023 देश में 9 राज्यों में चुनाव का साल है। इनमें बड़े राज्य कर्नाटक, तेलंगाना, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश शामिल हैं। मध्यप्रदेश में चुनाव नवंबर-दिसंबर में होते रहे हैं। पिछले 25 सालों में मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्रियों ने नवंबर के अंतिम सप्ताह या दिसंबर में शपथ ग्रहण की है। कांग्रेस में टूट के बाद पहली बार शिवराज सिंह चौहान ने मार्च के महीने में मुख्यमंत्री की कुर्सी पर मार्च किया है। इसके पहले तीनों बार उन्होंने नवंबर-दिसंबर में ही शपथ ग्रहण की थी।
नए साल 2023 के नवंबर-दिसंबर में ही प्रदेश को नया मुख्यमंत्री मिल जाएगा। चेहरा कौन होगा यह तो भविष्य के गर्त में है। साल 2022 मध्यप्रदेश में राजनीतिक दृष्टि से उथल-पुथल भरा रहा है। पंचायतों और नगरीय निकायों के चुनाव में जनादेश के नजरिए से राज्य के दोनों मुख्य दल बीजेपी और कांग्रेस अपने-अपने वर्चस्व का दावा करते रहे हैं लेकिन नगरीय निकायों में निश्चित रूप से कांग्रेस लाभ में रही है।
मध्यप्रदेश में दोनों दलों में नेतृत्व और कैडर के बीच टेंशन साफ-साफ देखा जा रहा है। दोनों दलों में नेतृत्व के स्तर पर नए सिरे से जमावट की चर्चाओं का जोर देखा जा सकता है। कांग्रेस में युवा नेतृत्व की मांग उठ रही है तो बीजेपी में भी आक्रोश की छाया दिखाई पड़ रही है। मीडिया में दोनों दलों में बदलाव की खबरें गाहे-बगाहे दिखाई पड़ जाती हैं।
राजनीतिक दलों में चुनावी साल में नई जमावट आम बात है। 2018 में अरुण यादव को हटाकर कमलनाथ को नया अध्यक्ष बनाया गया था। चुनावी जमावट चाहे पार्टी में हो या सरकार में उसमें इस बात का ध्यान रखा जाता है कि कम से कम एक साल का समय तो नए लोगों को काम करने के लिए मिलना चाहिए। बीजेपी ने उत्तराखंड, गुजरात में चुनाव के पहले नया मुख्यमंत्री बनाया था। इन दोनों राज्यों में बीजेपी ने मुख्यमंत्री बदलने का राजनीतिक निर्णय करीब एक साल पहले लिया था।
Bu hikaye Rising Indore dergisinin 11 January 2023 sayısından alınmıştır.
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