वर्तमान मामले में आरोपी पति (अपीलकर्ता) ने झारखंड हाईकोर्ट, रांची खंडपीठ के समक्ष अग्रिम जमानत के लिए आवेदन किया। हालांकि हाईकोर्ट ने पति को जमानत तो दे दी, लेकिन एक अजीबोगरीब शर्त लगा दी कि पति को अपनी पत्नी को अपने घर ले जाना होगा और उसे सम्मान के साथ रखना होगा। हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि अग्रिम जमानत तो दी जाती है जो आदेश इस प्रकार है-
तदनुसार, याचिकाकर्ता को आज से छह सप्ताह के भीतर अदालत में आत्मसमर्पण करने का निर्देश दिया जाता है और उसकी गिरफ्तारी या आत्मसमर्पण की स्थिति में ट्रायल कोर्ट को संतुष्ट करने पर उसे जमानत मिल जाएगी कि याचिकाकर्ता ने प्रतिवादी नंबर 2 ने रांची के बांद्रा इलाके में उनका घर ले लिया है और उन्हें अपनी वैध पत्नी के रूप में पूरी गरिमा और सम्मान के साथ रखा और बनाए रखा।
पति ने हाईकोर्ट के उपरोक्त आदेश में संशोधन की प्रार्थना करते हुए फिर से हाईकोर्ट में याचिका लगाते हुए हाईकोर्ट का दरवाजा संजय मेहरा हाईकोर्ट एडवोकेट 98270 74132 खटखटाया। दायर याचिका (आदेश में संशोधन के लिए) में पति ने तर्क दिया कि उसने एक घर किराए पर लिया और वह अपनी पत्नी का भरण-पोषण करने के लिए तैयार है। इसके विपरीत, पत्नी ने तर्क दिया कि वह अपना वैवाहिक जीवन फिर से शुरू करने को तैयार है, बशर्ते उसका पति उसके साथ अपने घर में रहे। हालांकि, हाईकोर्ट ने यह कहते हुए उनकी याचिका खारिज कर दी कि अपीलकर्ता अपनी पत्नी के साथ अपने घर में फिर से जीवन शुरू नहीं करने पर दृढ़ है।
Bu hikaye Rising Indore dergisinin 20 December 2023 sayısından alınmıştır.
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