नवरात्र में आद्याशक्ति की उपासना
Jyotish Sagar|October 2022
चारों नवरात्र का अपना अलग-अलग महत्त्व है। वैसे शारदीय नवरात्र में ही अधिक अनुष्ठान आदि किए जाते हैं। गुप्त नवरात्र में तन्त्र सिद्धियाँ अधिक होती हैं।
डॉ. श्याम मनोहर व्यास
नवरात्र में आद्याशक्ति की उपासना

या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

द्याशक्ति की आराधना आदिकाल से प्रचलित रही है। वाङ्मय में वर्णित शक्ति चेतना का ही पर्याय है। शक्ति ऊर्जा का ही रूप है। प्रकृति और पुरुष ही सृष्टि के संचालक हैं। परमात्मा के विविध रूप ब्रह्मा, विष्णु और महेश भिन्न होकर भी अभिन्न हैं। वैसे ही शक्ति के विविध रूप महागौरी, सरस्वती, दुर्गा, महाकाली आदि भी भिन्न होकर भी अभिन्न हैं। श्रीमद्देवी भागवत पुराण के अनुसार, "माँ दुर्गा के अवतरण का प्रमुख उद्देश्य है वेदों को सुरक्षित रखना और दुष्टों का संहार करना ।” ऋग्वेद (10/10/125) के अनुसार माँ जगदम्बा ही आदिशक्ति हैं। उन्हीं की ऊर्जा से अखिल विश्व का संचालन होता है।

सर्वं खल्विदमेवाहं नान्यदस्ति सनातनम् ॥

- देवीभागवत् पुराण 1/15/52

कूर्मपुराण के अनुसार देवी का स्वरूप अनन्त, अच्युत, निर्विकार एवं निर्गुण है। मार्कण्डेय पुराण के अनुसार आद्याशक्ति का विशिष्ट एवं विराट् स्वरूप प्रकट होता है, जो अपनी शक्ति से महिषासुर, शुम्भ, निशुम्भ, दुर्ग आदि दैत्यों का संहार कर जगत् एवं सत्पुरुषों को संरक्षण प्रदान करती है।

दुर्गासप्तशती मार्कण्डेय पुराण का ही एक प्रभाग है। आद्याशक्ति के तीनों स्वरूप महालक्ष्मी, महासरस्वती एवं महाकाली तीनों गुणों सत्, रज एवं तम के प्रतीक हैं। नवरात्र में देवी का विधिविधान से अनुष्ठान करने पर लौकिक एवं पारलौकिक सिद्धियाँ प्राप्त होती हैं। देवी आराधना में निम्नलिखित श्लोक लाभकारी और देवी के भक्तों में अति लोकप्रिय है :

या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता ।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ॥

अर्थात् जो देवी सभी प्राणियों में शक्ति रूप में स्थित है, उनको मैं बारम्बार प्रणाम करता हूँ।

Bu hikaye Jyotish Sagar dergisinin October 2022 sayısından alınmıştır.

Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.

Bu hikaye Jyotish Sagar dergisinin October 2022 sayısından alınmıştır.

Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.

JYOTISH SAGAR DERGISINDEN DAHA FAZLA HIKAYETümünü görüntüle
सात धामों में श्रेष्ठ है तीर्थराज गयाजी
Jyotish Sagar

सात धामों में श्रेष्ठ है तीर्थराज गयाजी

गया हिन्दुओं का पवित्र और प्रधान तीर्थ है। मान्यता है कि यहाँ श्रद्धा और पिण्डदान करने से पूर्वजों को मोक्ष प्राप्त होता है, क्योंकि यह सात धामों में से एक धाम है। गया में सभी जगह तीर्थ विराजमान हैं।

time-read
2 dak  |
September 2024
सत्साहित्य के पुरोधा हनुमान प्रसाद पोद्दार
Jyotish Sagar

सत्साहित्य के पुरोधा हनुमान प्रसाद पोद्दार

प्रसिद्ध धार्मिक सचित्र पत्रिका ‘कल्याण’ एवं ‘गीताप्रेस, गोरखपुर के सत्साहित्य से शायद ही कोई हिन्दू अपरिचित होगा। इस सत्साहित्य के प्रचारप्रसार के मुख्य कर्ता-धर्ता थे श्री हनुमान प्रसाद जी पोद्दार, जिन्हें 'भाई जी' के नाम से भी सम्बोधित किया जाता रहा है।

time-read
5 dak  |
September 2024
राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर अमृत गीत तुम रचो कलानिधि
Jyotish Sagar

राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर अमृत गीत तुम रचो कलानिधि

राष्ट्रकवि स्व. रामधारी सिंह दिनकर को आमतौर पर एक प्रखर राष्ट्रवादी और ओजस्वी कवि के रूप में माना जाता है, लेकिन वस्तुतः दिनकर का व्यक्तित्व बहुआयामी था। कवि के अतिरिक्त वह एक यशस्वी गद्यकार, निर्लिप्त समीक्षक, मौलिक चिन्तक, श्रेष्ठ दार्शनिक, सौम्य विचारक और सबसे बढ़कर बहुत ही संवेदनशील इन्सान भी थे।

time-read
4 dak  |
September 2024
सेतुबन्ध और श्रीरामेश्वर धाम की स्थापना
Jyotish Sagar

सेतुबन्ध और श्रीरामेश्वर धाम की स्थापना

जो मनुष्य मेरे द्वारा स्थापित किए हुए इन रामेश्वर जी के दर्शन करेंगे, वे शरीर छोड़कर मेरे लोक को जाएँगे और जो गंगाजल लाकर इन पर चढ़ाएगा, वह मनुष्य तायुज्य मुक्ति पाएगा अर्थात् मेरे साथ एक हो जाएगा।

time-read
5 dak  |
September 2024
वागड़ की स्थापत्य कला में नृत्य-गणपति
Jyotish Sagar

वागड़ की स्थापत्य कला में नृत्य-गणपति

प्राचीन काल से ही भारतीय शिक्षा कर्म का क्षेत्र बहुत विस्तृत रहा है। भारतीय शिक्षा में कला की शिक्षा का अपना ही महत्त्व शुक्राचार्य के अनुसार ही कलाओं के भिन्न-भिन्न नाम ही नहीं, अपितु केवल लक्षण ही कहे जा सकते हैं, क्योंकि क्रिया के पार्थक्य से ही कलाओं में भेद होता है। जैसे नृत्य कला को हाव-भाव आदि के साथ ‘गति नृत्य' भी कहा जाता है। नृत्य कला में करण, अंगहार, विभाव, भाव एवं रसों की अभिव्यक्ति की जाती है।

time-read
2 dak  |
September 2024
व्यावसायिक वास्तु के अनुसार शोरूम और दूकानें कैसी होनी चाहिए?
Jyotish Sagar

व्यावसायिक वास्तु के अनुसार शोरूम और दूकानें कैसी होनी चाहिए?

ऑफिस के एकदम कॉर्नर का दरवाजा हमेशा बिजनेस में नुकसान देता है। ऐसे ऑफिस में जो वर्कर काम करते हैं, तो उनको स्वास्थ्य से जुड़ी कई परेशानियाँ आती हैं।

time-read
5 dak  |
September 2024
श्रीगणेश नाम रहस्य
Jyotish Sagar

श्रीगणेश नाम रहस्य

हिन्दुओं के पंच परमेश्वर में भगवान् गणेश का स्थान प्रथम माना जाता है। शंकराचार्य जी ने के भी पंचायतन पूजा में गणेश पूजन विधान का उल्लेख किया है। गणेश से तात्पर्य गण + ईश अर्थात् गणों का ईश से है। भगवान् गणेश को कई अन्य नामों से भी पूजा जाता है जैसे विघ्न विनाशक, विनायक, लम्बोदर, सिद्धि विनायक आदि।

time-read
2 dak  |
September 2024
प्रेम और भक्ति की अनन्य प्रतीक 'श्रीराधा'
Jyotish Sagar

प्रेम और भक्ति की अनन्य प्रतीक 'श्रीराधा'

कृष्ण चरित के प्रतिनिधि शास्त्र भागवत और महाभारत में राधा का उल्लेख नहीं होने के बावजूद वे लोकमानस में प्रेम और भक्ति की अनन्य प्रतीक के रूप में बसी हुई हैं। सन्त महात्माओं ने उन्हें कृष्णचरित का अभिन्न अंग माना है। उनकी मान्यता है कि प्रेम और भक्ति की जैसे कोई सीमा नहीं है, उसी तरह राधा का चरित, उनकी लीला और स्वरूप भी प्रेमाभक्ति का चरमोत्कर्ष है।

time-read
3 dak  |
September 2024
राजस्थान के लोकदेवता और समाज सुधारक बाबा रामदेव
Jyotish Sagar

राजस्थान के लोकदेवता और समाज सुधारक बाबा रामदेव

राजस्थान के देवी-देवताओं में बाबा रामदेव का नाम काफी विख्यात है। इनके अनुयायी राजस्थान, मध्यप्रदेश, गुजरात और सिन्ध (पाकिस्तान) आदि में बड़ी संख्या में हैं।

time-read
2 dak  |
September 2024
जन्मपत्रिका में चन्द्रमा और मनुष्य का भावनात्मक जुड़ाव
Jyotish Sagar

जन्मपत्रिका में चन्द्रमा और मनुष्य का भावनात्मक जुड़ाव

जिस प्रकार लग्न हमारा शरीर अर्थात् बाहरी व्यक्तित्व है, उसी प्रकार चन्द्रमा हमारा सूक्ष्म व्यक्तित्व है, जो किसी को भी दिखाई नहीं देता, लेकिन महसूस अवश्य होता है।

time-read
8 dak  |
September 2024