![वृक्षों पर होता है अलौकिक शक्तियों का निवास](https://cdn.magzter.com/1382621400/1693218708/articles/uzsQLAGTW1693460354920/1693460753393.jpg)
सारा वृक्ष-परिवार एवं मानव समाज को जोड़ने का यह प्रयत्न वृक्षवल्ली वंशवृद्धि के प्रतीक है। वृक्ष हमारे गुरु हैं, साथी हैं। भारतीय संस्कृति में परम्परानुसार यह माना जाता है कि वृक्षों पर अद्भुत एवं अलौकिक शक्ति का निवास है। इसलिए वृक्षों को पूजनीय माना जाता है। इसके अलावा अनेक वृक्षों के पत्ते, छाल, फूल, जड़ों आदि का औषधियों में उपयोग होता है। इन वृक्षों के प्रति हम कृतज्ञ हैं। अनेक सत्पुरुषों का सान्निध्य वृक्षों को मिला है। उनके सामने हम नतमस्तक हैं जैसे बोधिवृक्ष, गुलेर का वृक्ष आदि।
भारतीय संस्कृति प्रकृति के साथ ही विकसित हुई हैं। सीमेन्ट-कंक्रीट के जंगल मनुष्य ने ही विकसित किए हैं। पैसे के दासों ने प्रदूषण का खतरा पैदा किया है। भारतीय महिलाएँ वृक्ष पूजा करके पर्यावरण को सँवारती हैं। वे परोपकारी, निष्पक्ष वृक्षों का सम्मान करती है। पूरा 'आयुर्वेद' तो वे जानती भी नहीं हैं, फिर भी महिलाएँ भक्ति भाव से परम्पराओं को निभाती हैं। परमपिता ब्रह्मा का निवास स्थान पतिव्रता सावित्री ने वृक्ष के नीचे बैठकर अपने पति सत्यवान् की यमदत से प्रार्थना कर जीवित किया।
वटवृक्ष
हिन्दू धर्म में स्त्रियाँ वटसावित्री का व्रत करती हैं। प्रयाग में श्रीराम एवं सीताजी ने इसी वृक्ष के नीचे आश्रय लिया था। जटाएँ धारण करता यह वृक्ष वंश वृद्धि का प्रतीक माना जाता है। मध्यप्रदेश के चिचोली ग्राम में वटवृक्ष के नीचे 5,000 लोग छाया में बैठ सकते हैं। चिंरजीविता का यह प्रतीक है।
आम का वृक्ष
दूसरा पेड़ है आम्रवृक्ष अर्थात् आम का पेड़ । मंगल प्रसंग, धार्मिक विधि एवं शुभ कार्यों में इस वृक्ष को चैतन्य का प्रतीक माना जाता है। यह वृक्ष बहुत महत्त्व रखता है। घर-घर में इसके पत्ते से तोरणद्वार सजाते हैं। शिव, चन्द्रमा और मदन को आम का बयार आम्रमंजरी अत्यन्त प्रिय है एवं माघ सुदी द्वितीया को ये देवी को अर्पित की जाती है। दीर्घजीवी यह वृक्ष छायादार तो है ही, साथ ही यह वृक्ष फलों का राजा भी है।
भगवान महावीर ने आमराई में तपश्चर्या की है। विंध्यक्षेत्र में लोग आम्रवृक्ष की शादी चमेली की बेल से करते हैं। जब तक यह शादी नहीं होती, तब तक वे इस वृक्ष के फल नहीं खाते।
पीपल का वृक्ष
Bu hikaye Jyotish Sagar dergisinin September 2023 sayısından alınmıştır.
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![एकादशी व्रत का वैज्ञानिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/4730/1718785/wx1Dd0-dn1717490549774/1717490752361.jpg)
एकादशी व्रत का वैज्ञानिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण
व्रत और उपवास भारतीय जनमानस में गहरे गुँथे हुए शब्द हैं। 'व्रत' का अर्थ होता है, 'संकल्प हैं। लेना' अर्थात् अपने मन और शरीर की आवश्यकताओं को नियंत्रित करते हुए स्वयं को संयमित करना।
![पवित्र दिवस है गंगा-दशहरा](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/4730/1718785/zegU84DgF1717490350227/1717490505401.jpg)
पवित्र दिवस है गंगा-दशहरा
गंगा दशमी न केवल पूजा-पाठ और अध्यात्म तक सीमित रहना चाहिए वरन् इसके साथ-साथ हमें गंगा नदी के संरक्षण और गंगा जल जैसे पक्षों पर शोध की दिशा में भी आगे बढ़ना चाहिए।
![मनोचिकित्सा से आरोग्य लाभ](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/4730/1718785/bbPdmvJN-1717490130991/1717490336592.jpg)
मनोचिकित्सा से आरोग्य लाभ
आरोग्य की दृष्टि से शारीरिक रोगों के साथ-साथ मानसिक व्याधियों की भी मुख्य भूमिका रहती है।
![हनुमान् 'जयन्ती' या 'जन्मोत्सव'?](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/4730/1718785/vL5RQQZhC1717489780838/1717490123259.jpg)
हनुमान् 'जयन्ती' या 'जन्मोत्सव'?
मूल रूप से 'जयन्ती' शब्द ' जन्मदिवस' या 'जन्मोत्सव' के रूप में प्रयुक्त नहीं होता था, परन्तु श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के एक भेद के रूप में कृष्ण जयन्ती से चलते हुए यह शब्द अन्य देवी-देवताओं के जन्मतिथि के सन्दर्भ में भी प्रयुक्त होने लगा।
![पाकिस्तान स्थित गुरुद्वारा करतारपुर साहिब और नवनिर्मित कोरीडोर-टर्मिनल](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/4730/1718785/nIlnEEMbu1717489473517/1717489776705.jpg)
पाकिस्तान स्थित गुरुद्वारा करतारपुर साहिब और नवनिर्मित कोरीडोर-टर्मिनल
आखिर ऐसा क्या है कि इतना प्रसिद्ध तीर्थस्थल होने के बाद भी गुरुद्वारा करतारपुर साहिब में जाने वाले दर्शनार्थियों की संख्या जैसी उम्मीद की गई थी, उसकी तुलना में हमेशा ही बहुत कम रहती है।
![शनि साढ़ेसाती और मनुष्य के जीवन पर प्रभाव](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/4730/1718785/nlnWRtezY1717485878963/1717486133863.jpg)
शनि साढ़ेसाती और मनुष्य के जीवन पर प्रभाव
ज्योतिष शास्त्र अति प्राचीन काल से जाना जाता है। सिद्धान्त, संहिता तथा होरा नामक तीन स्कन्धों से युक्त इसे 'वेदों का नेत्र' कहा गया है। वैसे तो वेद के दो नेत्र होते हैंस्मृति और ज्योतिष।
![गोचराष्टक वर्ग से शनि के गोचर का अध्ययन](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/4730/1718785/nvu03X-qv1717485453437/1717485866948.jpg)
गोचराष्टक वर्ग से शनि के गोचर का अध्ययन
यदि ग्रह गोचराष्टक वर्ग में 4 या अधिक रेखाओं वाली राशि पर गोचर कर रहा है, तो जिन-जिन कक्षाओं में उस राशि को शुभ रेखाएँ प्राप्त हुई हैं, उन कक्षाओं के स्वामी ग्रह के जन्मपत्रिका में भावों और नैसर्गिक कारकत्वों से सम्बन्धित शुभफलों की प्राप्ति होती है।
![सप्तर्षि और सप्तर्षि मण्डल](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/4730/1718785/vayhOmmzt1717485129027/1717485421191.jpg)
सप्तर्षि और सप्तर्षि मण्डल
प्रत्येक मनु के काल को मन्वन्तर कहा जाता है। प्रत्येक मन्वन्तर में देवता, इन्द्र, सप्तर्षि और मनु पुत्र भिन्न-भिन्न होते हैं। जैसे ही मन्वन्तर बदलता है, तो मनु भी बदल जाते हैं और उनके साथ ही सप्तर्षि, देवता, इन्द्र आदि भी बदल जाते हैं।
![अजमेर की भगवान् नृसिंह प्रतिमाएँ](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/4730/1679328/2yWm_u4W31714474136097/1714474267037.jpg)
अजमेर की भगवान् नृसिंह प्रतिमाएँ
विधानानुसार नृसिंहावतार मानव एवं पशु रूप धारण किए, शीश पर मुकुट, बड़े नाखून, अपनी जानू पर स्नेह के साथ प्रह्लाद को बिठाए हुए है। बालक प्रह्लाद आँखें मूँदे, करबद्ध विनम्र भाव से स्तुति करते प्रतीत हो रहे हैं।
![सूर्य नमस्कार से आरोग्य लाभ](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/4730/1679328/vHJD203bs1714473957430/1714474112917.jpg)
सूर्य नमस्कार से आरोग्य लाभ
सूर्य नमस्कार की विशेष बात यह है कि इसका प्रत्येक अगले आसन के लिए प्रेरित करता है। इस क्रम में लगातार 12 आसन होते हैं। इन आसनों में श्वास को पूरी तरह भीतर लेने और बाहर निकालने पर बल दिया जाता है।