जब नारद जी ने दिया श्रीहरि को शाप!
Jyotish Sagar|May 2024
जिस रास्ते से नारद जी जा रहे थे, उसी रास्ते पर श्रीहरि ने सौ योजन का एक मायावी नगर रचा। उस नगर की रचना भगवान् विष्णु के नगर वैकुण्ठ से भी ज्यादा सुन्दर थी।
जब नारद जी ने दिया श्रीहरि को शाप!

रामचरितमानस में त्रेतायुग की अलग-अलग कथाएँ बताई गई हैं। इन कथाओं को भगवान् शिव माता पार्वती जी को, काकभुशुण्ड जी गरुड़ जी को, याज्ञवल्क्य मुनि भरद्वाज और तुलसीदास जी हम सभी को कथा सुना रहे हैं। इन्हीं कथाओं में से एक कथा है नारद जी के अभिमान (अहंकार) की कथा, जिसके बारे में भगवान् शिव माता पार्वती जी को बताते हैं।

एक बार भगवान् शिव माता पार्वती से कहते हैं, "एक कल्प में जब नारद जी ने श्रीहरि को शाप दे दिया था, तब उस त्रेतायुग में भी भगवान् ने मनुष्य रूप में अवतार लिया था।" यह बात सुनकर पार्वतीजी आश्चर्यचकित हुईं और बोलीं कि 'नारदजी तो भगवान् विष्णु भक्त हैं, फिर उन्हें अहंकार कैसे, और अहंकार भी इतना कि श्रीहरि को ही शाप दे दिया? यह तो बड़े आश्चर्य की बात है। इसलिए हे प्रभु! यह कथा मुझसे कहिए न कि नारद मुनि ने भगवान् को किस कारण से शाप दिया?"

तब भगवान् शिव हँसते हुए कथा कहते हैं। हिमालय पर्वत में एक पवित्र गुफा के समीप गंगाजी बहती थीं। वह स्थान नारद के मन को बड़ा भाया। पर्वत, नदी और वन की सुन्दरता को देखकर नादरजी का भगवान् के चरणों में प्रेम और भी बढ़ गया और वहीं बैठकर श्रीहरि का स्मरण करते हुए समाधि लगाकर तप करने लगे। नारद जी की तपस्या को देखकर देवराज इन्द्र घबरा गए, क्योंकि स्वभाव के अनुसार उन्हें लगा कि कहीं नारद जी भी मेरा राज्य पाने के लिए ही तो तप नहीं कर रहे हैं।

तब इन्द्रदेव ने कामदेव और कई अप्सराओं को नारद जी की तपस्या भंग करने के लिए भेज दिया। कामदेव और अप्सराओं ने नारद मुनि के सामने हर प्रकार के मायाजाल बिछाए, लेकिन उनकी कोई भी कला नारद पर असर नहीं कर सकी। यह देखकर कामदेव अत्यन्त भयभीत हो गए। उन्हें अपने ही नाश का डर सताने लगा। तब उन्होंने और सभी अप्सराओं ने नारद जी के चरणों में प्रणाम कर क्षमा माँगी और वहाँ से लौट गए। यह देखकर नारदजी के मन में भी कोई क्रोध नहीं आया। यह सब देख सुनकर इन्द्रदेव ने भी नारद जी की प्रशंसा की।

Bu hikaye Jyotish Sagar dergisinin May 2024 sayısından alınmıştır.

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बारहवाँ भाव : मोक्ष अथवा भोग
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बारहवाँ भाव : मोक्ष अथवा भोग

किसी भी जन्मपत्रिका के चतुर्थ, अष्टम और द्वादश भाव को 'मोक्ष त्रिकोण भाव' कहा जाता है, जिसमें से बारहवाँ भाव 'सर्वोच्च मोक्ष भाव' कहलाता है। लग्न से कोई आत्मा शरीर धारण करके पृथ्वी पर अपना नया जीवन प्रारम्भ करती है तथा बारहवें भाव से वही आत्मा शरीर का त्याग करके इस जीवन के समाप्ति की सूचना देती है अर्थात् इस भाव से ही आत्मा शरीर के बन्धन से मुक्त हो जाती है और अनन्त की ओर अग्रसर हो जाती है।

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December-2024
रामजन्मभूमि अयोध्या
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रामजन्मभूमि अयोध्या

रात के सप्तमोक्षदायी पुरियों में से एक अयोध्या को ब्रह्मा के पुत्र मनु ने बसाया था। वसिष्ठ ऋषि अयोध्या में सरयू नदी को लेकर आए थे। अयोध्या में काफी संख्या में घाट और मन्दिर बने हुए हैं। कार्तिक मास में अयोध्या में स्नान करना मोक्षदायी माना जाता है। कार्तिक पूर्णिमा के दिन यहाँ भक्त आकर सरयू नदी में डुबकी लगाते हैं।

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December-2024
जीवन प्रबन्धन का अनुपम ग्रन्थ श्रीमद्भगवद्गीता
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जीवन प्रबन्धन का अनुपम ग्रन्थ श्रीमद्भगवद्गीता

यह सर्वविदित है कि महाभारत के युद्ध में ही श्रीमद्भगवद्गीता का उपदेश भगवान् श्रीकृष्ण ने अर्जुन को दिया था। यह उपदेश मार्गशीर्ष शुक्ल एकादशी (11 दिसम्बर) को प्रदत्त किया गया था। महाभारत के युद्ध से पूर्व पाण्डव और कौरवों की ओर से भगवान् श्रीकृष्ण से सहायतार्थ अर्जुन और दुर्योधन दोनों ही गए थे, क्योंकि श्रीकृष्ण शक्तिशाली राज्य के स्वामी भी थे और स्वयं भी सामर्थ्यशाली थे।

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December-2024
तरक्की के द्वार खोलता है पुष्कर नवांशस्थ ग्रह
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तरक्की के द्वार खोलता है पुष्कर नवांशस्थ ग्रह

नवांश से सम्बन्धित 'वर्गोत्तम' अवधारणा से तो आप भली भाँति परिचित ही हैं। इसी प्रकार की एक अवधारणा 'पुष्कर नवांश' है।

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December-2024
सात धामों में श्रेष्ठ है तीर्थराज गयाजी
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सात धामों में श्रेष्ठ है तीर्थराज गयाजी

गया हिन्दुओं का पवित्र और प्रधान तीर्थ है। मान्यता है कि यहाँ श्रद्धा और पिण्डदान करने से पूर्वजों को मोक्ष प्राप्त होता है, क्योंकि यह सात धामों में से एक धाम है। गया में सभी जगह तीर्थ विराजमान हैं।

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September 2024
सत्साहित्य के पुरोधा हनुमान प्रसाद पोद्दार
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सत्साहित्य के पुरोधा हनुमान प्रसाद पोद्दार

प्रसिद्ध धार्मिक सचित्र पत्रिका ‘कल्याण’ एवं ‘गीताप्रेस, गोरखपुर के सत्साहित्य से शायद ही कोई हिन्दू अपरिचित होगा। इस सत्साहित्य के प्रचारप्रसार के मुख्य कर्ता-धर्ता थे श्री हनुमान प्रसाद जी पोद्दार, जिन्हें 'भाई जी' के नाम से भी सम्बोधित किया जाता रहा है।

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September 2024
राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर अमृत गीत तुम रचो कलानिधि
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राष्ट्रकवि स्व. रामधारी सिंह दिनकर को आमतौर पर एक प्रखर राष्ट्रवादी और ओजस्वी कवि के रूप में माना जाता है, लेकिन वस्तुतः दिनकर का व्यक्तित्व बहुआयामी था। कवि के अतिरिक्त वह एक यशस्वी गद्यकार, निर्लिप्त समीक्षक, मौलिक चिन्तक, श्रेष्ठ दार्शनिक, सौम्य विचारक और सबसे बढ़कर बहुत ही संवेदनशील इन्सान भी थे।

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September 2024
सेतुबन्ध और श्रीरामेश्वर धाम की स्थापना
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सेतुबन्ध और श्रीरामेश्वर धाम की स्थापना

जो मनुष्य मेरे द्वारा स्थापित किए हुए इन रामेश्वर जी के दर्शन करेंगे, वे शरीर छोड़कर मेरे लोक को जाएँगे और जो गंगाजल लाकर इन पर चढ़ाएगा, वह मनुष्य तायुज्य मुक्ति पाएगा अर्थात् मेरे साथ एक हो जाएगा।

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September 2024
वागड़ की स्थापत्य कला में नृत्य-गणपति
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वागड़ की स्थापत्य कला में नृत्य-गणपति

प्राचीन काल से ही भारतीय शिक्षा कर्म का क्षेत्र बहुत विस्तृत रहा है। भारतीय शिक्षा में कला की शिक्षा का अपना ही महत्त्व शुक्राचार्य के अनुसार ही कलाओं के भिन्न-भिन्न नाम ही नहीं, अपितु केवल लक्षण ही कहे जा सकते हैं, क्योंकि क्रिया के पार्थक्य से ही कलाओं में भेद होता है। जैसे नृत्य कला को हाव-भाव आदि के साथ ‘गति नृत्य' भी कहा जाता है। नृत्य कला में करण, अंगहार, विभाव, भाव एवं रसों की अभिव्यक्ति की जाती है।

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व्यावसायिक वास्तु के अनुसार शोरूम और दूकानें कैसी होनी चाहिए?
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ऑफिस के एकदम कॉर्नर का दरवाजा हमेशा बिजनेस में नुकसान देता है। ऐसे ऑफिस में जो वर्कर काम करते हैं, तो उनको स्वास्थ्य से जुड़ी कई परेशानियाँ आती हैं।

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September 2024