‘स्वतंत्रता' की पूर्ण प्राप्ति तब तक नहीं होती, जब तक उसके साथ "संग्राम' अथवा 'आंदोलन' शब्द नहीं जुड़ते। 'स्वतंत्रता आंदोलन के दीर्घकालिक संघर्ष को लघुतर प्रमाणित करने के उद्देश्य से प्रायः 'संग्राम' को 'विद्रोह' कहा गया और ऐसा ही लिखा जाता रहा है। भारत के स्वतंत्रता संग्राम की व्यापकता को कम आंकना षड्यन्त्र ही कहा जा सकता है। इसी शृंखला में संग्राम एवं आंदोलन से प्राप्त स्वतंत्रता को नकार कर, देश में अस्थिरता उत्पन्न करने की इच्छा से ग्रसित प्रदर्शन - प्रेमी (राष्ट्रद्रोही) युवाओं के 'आज़ादी- आज़ादी' नारों में भारत को खोखला बनाने का षड्यन्त्र दिखाई देता है। अतः 'आजादी' शब्द में पवित्र भाव होने के बावजूद उसका घनघोर अर्थसंकोच हो चुका देश को अस्थिरता की ओर ले जानेवाला यह नारा कब गीत बना, पता ही नहीं चला। कहना न होगा कि 'आजादी' राष्ट्र हितचिन्तकों की दृष्टि से 'स्वतंत्रता संग्राम की पवित्रता एवं सेनानियों के बलिदान एवं महात्म्य को कम आंकनेवाला प्रतीत होता है। हम 'स्वतंत्रता का अमृत महोत्सव' मना रहे हैं, परन्तु अज्ञात एवं अदृश्य शक्ति के दबाव में गौरवान्वित करनेवालीं स्मृतियों को ‘आज़ादी का महोत्सव' अमृत कहने को बाध्य हैं? 'स्वतंत्रता संग्राम' है । ( आंदोलन ) उल्लेख एवं उच्चारण से ही राष्ट्रप्रेमियों की आत्मा झंकृत हो उठती है। इसलिए जब-जब निष्क्रियता, राष्ट्राभिमान का लोप हो अथवा सुषुप्तावस्था उत्पन्न होने लगे, 'स्वतंत्रता संग्राम' की स्मृतियों का पुनःस्मरण करना चाहिए। यह कहना अत्युक्तिपूर्ण नहीं होगा कि ‘आज़ादी’ को कृतघ्न, बिकाऊ, स्वार्थलोलुप एवं अतृप्त आत्माओं ने कुल मिलाकर, लुच्चे-लफंगों ने अपहृत कर लिया है।
Bu hikaye Kendra Bharati - केन्द्र भारती dergisinin Kendra Bharati September 2022 sayısından alınmıştır.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber ? Giriş Yap
Bu hikaye Kendra Bharati - केन्द्र भारती dergisinin Kendra Bharati September 2022 sayısından alınmıştır.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber? Giriş Yap
प्रेमकृष्ण खन्ना
स्थानिक विभूतियों की कथा - २५
स्वस्थ विश्व का आधार बना 'मिलेट्स'
मिलेट्स यानी मोटा अनाज। यह हमारे स्वास्थ्य, खेतों की मिट्टी, पर्यावरण और आर्थिक समृद्धि में कितना योगदान कर सकता है, इसे इटली के रोम में खाद्य एवं कृषि संगठन के मुख्यालय में मोटे अनाजों के अन्तरराष्ट्रीय वर्ष (आईवाईओएम) के शुभारम्भ समारोह के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदीजी के इस सन्देश से समझा जा सकता है :
जब प्राणों पर बन आयी
एक नदी के किनारे एक पेड़ था। उस पेड़ पर बन्दर रहा करते थे।
देव और असुर
बहुत पहले की बात है। तब देवता और असुर इस पृथ्वी पर आते-जाते थे।
हर्षित हो गयी वानर सेना
श्री हनुमत कथा-२१
पण्डित चन्द्र शेखर आजाद
क्रान्तिकारियों को एकजुट कर अंग्रेजी शासन की जड़ें हिलानेवाले अद्भुत योद्धा
भारत राष्ट्र के जीवन में नया अध्याय
भारत के त्रिभुजाकार नए संसद भवन का उद्घाटन समारोह हर किसी को अभिभूत करनेवाला था।
समान नागरिक संहिता समय की मांग
विगत दिनों से समान नागरिक संहिता का विषय निरन्तर चर्चा में चल रहा है। यदि इस विषय पर अब भी कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया तो इसके गम्भीर परिणाम आनेवाली सन्तति और देश को भुगतना पड़ सकता है।
शिक्षा और स्वामी विवेकानन्द
\"यदि गरीब लड़का शिक्षा के मन्दिर न आ सके तो शिक्षा को ही उसके पास जाना चाहिए।\"
लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक
२३ जुलाई, जयन्ती पर विशेष