आज के युग में उन्नति का अर्थ केवल धनोपार्जन से लिया जा रहा है अर्थात जो व्यक्ति जितना अधिक धन अर्जित कर रहा है, वह उतना ही सफल माना जा रहा है। मनुष्य की उन्नति की इस परिभाषा ने पारिवारिक सम्बन्धों से मान-सम्मान ही समाप्त कर दिया है। माता-पिता बड़े लाड़-प्यार से अपने बच्चों का लालन-पालन करते हैं। उच्च शिक्षा दिलाने के लिए यथासम्भव प्रयास करते हैं बच्चे बड़े एवं शिक्षित होकर माता-पिता को छोड़ कर महानगरों अथवा विदेशों में जाकर रहने लगते हैं | ऐसी स्थिति में असहाय वृद्ध माता-पिता अकेले रह जाते हैं। ऐसे लोग भी बहुत हैं, जो एकल परिवार चाहते हैं। वे अपने वृद्ध माता-पिता को वृद्धाश्रम में डाल देते हैं। ऐसे समाचार भी सुनने को मिलते रहते हैं कि वृद्धों को उनके ही बच्चों द्वारा मारा पीटा जा रहा है। उन्हें भरपेट भोजन नहीं दिया जाता तथा अस्वस्थ होने पर उनका उपचार नहीं भी करवाया जाता। ऐसे में उनका जीवन नारकीय बन जाता है।
देश में वृद्ध लोगों की संख्या तीव्र गति से बढ़ रही है। संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार, भारत की वृद्ध जनसंख्या वर्ष २०५० तक वर्तमान में लगभग २० प्रतिशत होने का अनुमान है। वर्तमान में यह दर ८ प्रतिशत है। वर्ष २०५० तक वृद्धों की संख्या में ३२६ प्रतिशत की वृद्धि होने का अनुमान है, जबकि इनमें ८० वर्ष एवं उससे अधिक आयु के लोगों की संख्या में ७०० प्रतिशत होने का अनुमान है। गैर सरकारी संगठन की एक रिपोर्ट के अनुसार लहक डाउन की समयावधि में ७३ प्रतिशत वृद्धों के साथ दुर्व्यवहार किया गया, जबकि ३५ वृद्धों को घरेलू हिंसा पड़ा अ का सामना करना उनके साथ उनके ही परिवार के सदस्यों ने मारपीट की।
Bu hikaye Kendra Bharati - केन्द्र भारती dergisinin Kendra Bharati September 2022 sayısından alınmıştır.
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प्रेमकृष्ण खन्ना
स्थानिक विभूतियों की कथा - २५
स्वस्थ विश्व का आधार बना 'मिलेट्स'
मिलेट्स यानी मोटा अनाज। यह हमारे स्वास्थ्य, खेतों की मिट्टी, पर्यावरण और आर्थिक समृद्धि में कितना योगदान कर सकता है, इसे इटली के रोम में खाद्य एवं कृषि संगठन के मुख्यालय में मोटे अनाजों के अन्तरराष्ट्रीय वर्ष (आईवाईओएम) के शुभारम्भ समारोह के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदीजी के इस सन्देश से समझा जा सकता है :
जब प्राणों पर बन आयी
एक नदी के किनारे एक पेड़ था। उस पेड़ पर बन्दर रहा करते थे।
देव और असुर
बहुत पहले की बात है। तब देवता और असुर इस पृथ्वी पर आते-जाते थे।
हर्षित हो गयी वानर सेना
श्री हनुमत कथा-२१
पण्डित चन्द्र शेखर आजाद
क्रान्तिकारियों को एकजुट कर अंग्रेजी शासन की जड़ें हिलानेवाले अद्भुत योद्धा
भारत राष्ट्र के जीवन में नया अध्याय
भारत के त्रिभुजाकार नए संसद भवन का उद्घाटन समारोह हर किसी को अभिभूत करनेवाला था।
समान नागरिक संहिता समय की मांग
विगत दिनों से समान नागरिक संहिता का विषय निरन्तर चर्चा में चल रहा है। यदि इस विषय पर अब भी कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया तो इसके गम्भीर परिणाम आनेवाली सन्तति और देश को भुगतना पड़ सकता है।
शिक्षा और स्वामी विवेकानन्द
\"यदि गरीब लड़का शिक्षा के मन्दिर न आ सके तो शिक्षा को ही उसके पास जाना चाहिए।\"
लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक
२३ जुलाई, जयन्ती पर विशेष