विवेकानन्द केन्द्र स्थापना की स्वर्ण जयन्ती
स्वामी विवेकानन्द कहते हैं - "मैं भविष्य को नहीं देखता, न ही जानने की चिन्ता करता हूँ, किन्तु एक दृश्य में अपने मनःचक्षुओं से स्पष्ट देख रहा हूँ कि यह प्राचीन मातृभूमि एक बार पुनः जाग गयी है और अपने सिंहासन पर आसीन है- पहले से कहीं अधिक गौरव एवं वैभव से प्रदीप्त; शान्ति और मंगलमय स्वर में उसकी पुनः प्रतिष्ठा की घोषणा समस्त विश्व में करो।" अध्यात्म प्रेरित सेवा संघठन विवेकानन्द केंद्र की स्थापना के सेवा में समर्पित ५० वर्ष पूर्ण होने के सुखद अवसर पर विवेकानन्द केन्द्र कन्याकुमारी के राजस्थान प्रान्त द्वारा १६ २०२२ से ०७ नवम्बर, २०२२ जनवरी २०२३ तक ५० दिन राजस्थान प्रदेश के सभी ०७ संभागों के ३३ जिलों में ७५ स्थानों पर जाने वाली “विवेकानन्द सन्देश यात्रा राजस्थान भारत के गौरव को आत्मसात करते हुए राष्ट्रसेवा कार्य में सहभागी होने का उत्तम सुअवसर है।
१८५७ से चले लम्बे स्वाधीनता संग्राम के उपरान्त भारत ने १५ अगस्त १९४७ को स्वतंत्रता प्राप्त की। इस वर्ष हमारी आजादी को ७५ वर्ष पूर्ण हो रहे हैं। इस महत्वपूर्ण अवसर पर भारत की संस्कृति और उपलब्धियों के गौरवशाली इतिहास, स्वतंत्रता संग्राम के योद्धाओं के बलिदान और मातृभूमि के प्रति समर्पण का स्मरण करते हुए; ज्ञान, विज्ञान इत्यादि समस्त क्षेत्रों में आत्मनिर्भरता की ओर तीव्रगति से अग्रसर हो रहे भारत की वैश्विक महत्ता और आवश्यकता को समझने तथा उस पर गर्व करते हुए, नए विकसित भारत के निर्माण में जुट जाने के का संकल्प लेते हुए हम भारत की आजादी का अमृत महोत्सव' मना रहे हैं।
Bu hikaye Kendra Bharati - केन्द्र भारती dergisinin Kendra Bharati - November 2022 sayısından alınmıştır.
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प्रेमकृष्ण खन्ना
स्थानिक विभूतियों की कथा - २५
स्वस्थ विश्व का आधार बना 'मिलेट्स'
मिलेट्स यानी मोटा अनाज। यह हमारे स्वास्थ्य, खेतों की मिट्टी, पर्यावरण और आर्थिक समृद्धि में कितना योगदान कर सकता है, इसे इटली के रोम में खाद्य एवं कृषि संगठन के मुख्यालय में मोटे अनाजों के अन्तरराष्ट्रीय वर्ष (आईवाईओएम) के शुभारम्भ समारोह के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदीजी के इस सन्देश से समझा जा सकता है :
जब प्राणों पर बन आयी
एक नदी के किनारे एक पेड़ था। उस पेड़ पर बन्दर रहा करते थे।
देव और असुर
बहुत पहले की बात है। तब देवता और असुर इस पृथ्वी पर आते-जाते थे।
हर्षित हो गयी वानर सेना
श्री हनुमत कथा-२१
पण्डित चन्द्र शेखर आजाद
क्रान्तिकारियों को एकजुट कर अंग्रेजी शासन की जड़ें हिलानेवाले अद्भुत योद्धा
भारत राष्ट्र के जीवन में नया अध्याय
भारत के त्रिभुजाकार नए संसद भवन का उद्घाटन समारोह हर किसी को अभिभूत करनेवाला था।
समान नागरिक संहिता समय की मांग
विगत दिनों से समान नागरिक संहिता का विषय निरन्तर चर्चा में चल रहा है। यदि इस विषय पर अब भी कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया तो इसके गम्भीर परिणाम आनेवाली सन्तति और देश को भुगतना पड़ सकता है।
शिक्षा और स्वामी विवेकानन्द
\"यदि गरीब लड़का शिक्षा के मन्दिर न आ सके तो शिक्षा को ही उसके पास जाना चाहिए।\"
लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक
२३ जुलाई, जयन्ती पर विशेष