सन १८५७ का स्वतंत्रता संग्राम सब देशभक्तों ने मिलकर लड़ा था। अंग्रेज़ इस क्रान्ति से तिलमिला उठे थे। उन्होंने भोले-भाले भारतीयों का धर्म नष्ट करने की चालें चलना आरम्भ किया। उन्हें मांसाहार की ओर आकर्षित करने हेतु पवित्र नगरों में मांस बिक्री की दुकानें सजने लगीं, बूचड़खाने खोले गए जिनमें गाय का मांस भी खुलेआम बिकता था।
उस समय पंजाब की जनता में गुरु रामसिंहजी का बहुत प्रभाव था। उनके अनुयायी 'नामधारी' कहलाते। 'नाम दीक्षा' पाकर वे भगवान का नाम रटने की सरलतम एवं साधन रहित साधना में रम जाते। उनके अनुयायी जब प्रेम से गुरु रूप ईश्वर को पुकारते तो उनके कंठों से ‘वाहेगुरु' का नाम 'कूक' ( कोयल के स्वर को कूक कहते हैं) जैसा मधुर स्वर गूंज उठता। यह बात इतनी प्रिय हो चली कि लोग उन्हें 'कूका' ही कहने लगे।
Bu hikaye Kendra Bharati - केन्द्र भारती dergisinin December 2022 sayısından alınmıştır.
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प्रेमकृष्ण खन्ना
स्थानिक विभूतियों की कथा - २५
स्वस्थ विश्व का आधार बना 'मिलेट्स'
मिलेट्स यानी मोटा अनाज। यह हमारे स्वास्थ्य, खेतों की मिट्टी, पर्यावरण और आर्थिक समृद्धि में कितना योगदान कर सकता है, इसे इटली के रोम में खाद्य एवं कृषि संगठन के मुख्यालय में मोटे अनाजों के अन्तरराष्ट्रीय वर्ष (आईवाईओएम) के शुभारम्भ समारोह के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदीजी के इस सन्देश से समझा जा सकता है :
जब प्राणों पर बन आयी
एक नदी के किनारे एक पेड़ था। उस पेड़ पर बन्दर रहा करते थे।
देव और असुर
बहुत पहले की बात है। तब देवता और असुर इस पृथ्वी पर आते-जाते थे।
हर्षित हो गयी वानर सेना
श्री हनुमत कथा-२१
पण्डित चन्द्र शेखर आजाद
क्रान्तिकारियों को एकजुट कर अंग्रेजी शासन की जड़ें हिलानेवाले अद्भुत योद्धा
भारत राष्ट्र के जीवन में नया अध्याय
भारत के त्रिभुजाकार नए संसद भवन का उद्घाटन समारोह हर किसी को अभिभूत करनेवाला था।
समान नागरिक संहिता समय की मांग
विगत दिनों से समान नागरिक संहिता का विषय निरन्तर चर्चा में चल रहा है। यदि इस विषय पर अब भी कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया तो इसके गम्भीर परिणाम आनेवाली सन्तति और देश को भुगतना पड़ सकता है।
शिक्षा और स्वामी विवेकानन्द
\"यदि गरीब लड़का शिक्षा के मन्दिर न आ सके तो शिक्षा को ही उसके पास जाना चाहिए।\"
लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक
२३ जुलाई, जयन्ती पर विशेष