पुत्रों के नाम गणेश, विनायक, नारायण और पुत्री का नाम मैना था। देव कृपा से घर में सकारात्मक वातावरण था। दामोदर पंत उद्भट विद्वान थे। श्रेष्ठ कवि थे। अपनी संतानों को संस्कारित करने के लिए वे उन्हें रामायण, महाभारत, छत्रपति वीर शिवाजी महाराणा प्रताप और अन्य देशभक्त वीरों कहानियां एवं गीत सुनाया करते थे। इस सबका प्रभाव उनके बच्चों के व्यक्तित्व में दिखने लगा था। आगे चलकर सभी संतानों ने देश की सेवा की और अदम्य साहस का परिचय दिया। भारतमाता को परतंत्रता से मुक्ति दिलाने के लिए इस परिवार ने जैसा बलिदान दिया, उसके जैसे उदाहरण अन्यत्र कम ही मिलते हैं। दामोदर पंत के दूसरे बेटे विनायक दामोदर को मानो पराक्रम, शौर्य, बलिदान एवं क्रान्ति के पर्याय ही हो गए।
कहते हैं कि पूत के पांव पालने में ही दिख जाते हैं। अर्थात् व्यक्ति का भविष्य छुटपन में ही उसके व्यवहार से दिखने लगता है। विनायक की बचपन की गतिविधियां बता रही थीं कि यह बालक आगे चलकर भारतमाता का साहसी बेटा बनेगा, जिसे लोग 'स्वातंत्र्यवीर सावरकर' के नाम से पहचानेंगे। विनायक केवल आठ-दस वर्ष की उम्र से ही कविताएं लिखने लगे थे। उनकी कविताएं उस समय के प्रसिद्ध मराठी समाचारपत्रों में प्रकाशित होने लगी थीं। उनकी कविताएं छापनेवाला सम्पादक भी बिना जाने यह नहीं कह सकता था कि ये कविताएं किसी दस वर्ष के बालक ने लिखी हैं। उनके जीवन पर छत्रपति शिवाजी का बहुत गहरा प्रभाव था । शिवाजी की विजय गाथाएं, विनायक स्वयं तो बड़े चाव से पढ़ते ही थे, अपने मित्रों को भी गर्व के साथ सुनाया करते थे। शिवाजी एवं अन्य महापुरुषों की वीरगाथाएं पढ़कर उनके मन में भी देशभक्ति, बलिदान, त्याग, समर्पण और देशसेवा की भावनाएं जोर मारने लगी थीं।
Bu hikaye Kendra Bharati - केन्द्र भारती dergisinin December 2022 sayısından alınmıştır.
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प्रेमकृष्ण खन्ना
स्थानिक विभूतियों की कथा - २५
स्वस्थ विश्व का आधार बना 'मिलेट्स'
मिलेट्स यानी मोटा अनाज। यह हमारे स्वास्थ्य, खेतों की मिट्टी, पर्यावरण और आर्थिक समृद्धि में कितना योगदान कर सकता है, इसे इटली के रोम में खाद्य एवं कृषि संगठन के मुख्यालय में मोटे अनाजों के अन्तरराष्ट्रीय वर्ष (आईवाईओएम) के शुभारम्भ समारोह के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदीजी के इस सन्देश से समझा जा सकता है :
जब प्राणों पर बन आयी
एक नदी के किनारे एक पेड़ था। उस पेड़ पर बन्दर रहा करते थे।
देव और असुर
बहुत पहले की बात है। तब देवता और असुर इस पृथ्वी पर आते-जाते थे।
हर्षित हो गयी वानर सेना
श्री हनुमत कथा-२१
पण्डित चन्द्र शेखर आजाद
क्रान्तिकारियों को एकजुट कर अंग्रेजी शासन की जड़ें हिलानेवाले अद्भुत योद्धा
भारत राष्ट्र के जीवन में नया अध्याय
भारत के त्रिभुजाकार नए संसद भवन का उद्घाटन समारोह हर किसी को अभिभूत करनेवाला था।
समान नागरिक संहिता समय की मांग
विगत दिनों से समान नागरिक संहिता का विषय निरन्तर चर्चा में चल रहा है। यदि इस विषय पर अब भी कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया तो इसके गम्भीर परिणाम आनेवाली सन्तति और देश को भुगतना पड़ सकता है।
शिक्षा और स्वामी विवेकानन्द
\"यदि गरीब लड़का शिक्षा के मन्दिर न आ सके तो शिक्षा को ही उसके पास जाना चाहिए।\"
लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक
२३ जुलाई, जयन्ती पर विशेष