नाथ श्री रामचन्द्र रानडे तथा श्रीमती रमाबाई के आठवें पुत्र थे। श्री रामचन्द्र रानडे रेलवे में काम करते थे इसलिए परिवार को लेकर उनको भिन्न-भिन्न नगरों में रहना पड़ा। जब नाथ का जन्म हुआ, वे टिमटाला नामक छोटे से गांव में रहते थे। वर्ष १६२१ में नाथ को अपने बड़े भैया के पास नागपुर भेजा गया। तब नाथ दूसरी कक्षा में पढ़ता था।
नाथ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के 'कुश पथक' का स्वयंसेवक था । नियमित रूप में शाखा जाया करता था। खेल, व्यायाम आदि में उसकी विशेष रूचि थी । कबड्डी का खेल तो उसे बहुत अच्छा लगता था। खेल में नाथ जिस चमू में होता था वे बच्चे खुश रहते थे क्योंकि नाथ एकसाथ ४/५ बच्चों को अपने साथ खींचकर लाता था और दूसरी चमू के अधिकतर खिलाड़ी आउट हो जाते थे। बालपन से ही नाथ बलवान और निडर था।
Bu hikaye Kendra Bharati - केन्द्र भारती dergisinin December 2022 sayısından alınmıştır.
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प्रेमकृष्ण खन्ना
स्थानिक विभूतियों की कथा - २५
स्वस्थ विश्व का आधार बना 'मिलेट्स'
मिलेट्स यानी मोटा अनाज। यह हमारे स्वास्थ्य, खेतों की मिट्टी, पर्यावरण और आर्थिक समृद्धि में कितना योगदान कर सकता है, इसे इटली के रोम में खाद्य एवं कृषि संगठन के मुख्यालय में मोटे अनाजों के अन्तरराष्ट्रीय वर्ष (आईवाईओएम) के शुभारम्भ समारोह के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदीजी के इस सन्देश से समझा जा सकता है :
जब प्राणों पर बन आयी
एक नदी के किनारे एक पेड़ था। उस पेड़ पर बन्दर रहा करते थे।
देव और असुर
बहुत पहले की बात है। तब देवता और असुर इस पृथ्वी पर आते-जाते थे।
हर्षित हो गयी वानर सेना
श्री हनुमत कथा-२१
पण्डित चन्द्र शेखर आजाद
क्रान्तिकारियों को एकजुट कर अंग्रेजी शासन की जड़ें हिलानेवाले अद्भुत योद्धा
भारत राष्ट्र के जीवन में नया अध्याय
भारत के त्रिभुजाकार नए संसद भवन का उद्घाटन समारोह हर किसी को अभिभूत करनेवाला था।
समान नागरिक संहिता समय की मांग
विगत दिनों से समान नागरिक संहिता का विषय निरन्तर चर्चा में चल रहा है। यदि इस विषय पर अब भी कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया तो इसके गम्भीर परिणाम आनेवाली सन्तति और देश को भुगतना पड़ सकता है।
शिक्षा और स्वामी विवेकानन्द
\"यदि गरीब लड़का शिक्षा के मन्दिर न आ सके तो शिक्षा को ही उसके पास जाना चाहिए।\"
लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक
२३ जुलाई, जयन्ती पर विशेष