वैदिक युग से यह हमारी आध्यात्मिक और सांस्कृतिक विरासत को सम्भाल कर विराजमान है। भारत के आध्यात्मिक मानचित्र के सर्वसन्दर्भ समान स्कंदपुराण के प्रभास खंड में सोमतीर्थ का दिव्य वर्णन है। यहाँ पर प्रभास क्षेत्र की भौगोलिक सीमाएं भी आंकी गई है। आज के गीर सोमनाथ जिला उपरान्त इसमें जूनागढ़ गिरनार क्षेत्र का भी समावेश होता है। इसके उत्तर में भावर नदी, पूर्व-पश्चिम में तुलसीश्याम माधवपुर और दक्षिण में रत्नाकर समुद्र से बने भूभाग को प्रभास क्षेत्र कहा गया। यहाँ सागर के किनारे चन्द्रदेव ने दक्ष प्रजापति के श्राप के निवारण हेतु चार करोड़ महामृत्युंजय मंत्र का अनुष्ठान किया और शिवजी की कृपा से क्षय रोग से मुक्त हुए। सबसे पहले शिवालय का निर्माण चन्द्रदेव ने किया था, इसलिए महादेव, सोमनाथ अथवा सोमेश्वर नाम से प्रख्यात हुए। भगवान श्रीकृष्ण ने भी सोमनाथ महालय का पुनर्निर्माण किया था, ऐसा प्रभास खंड में वर्णन है। युगों-युगों से भगवान सोमेश्वर की अखण्ड ज्योत प्रज्जवलित है।
Bu hikaye Kendra Bharati - केन्द्र भारती dergisinin February 2023 Issue sayısından alınmıştır.
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प्रेमकृष्ण खन्ना
स्थानिक विभूतियों की कथा - २५
स्वस्थ विश्व का आधार बना 'मिलेट्स'
मिलेट्स यानी मोटा अनाज। यह हमारे स्वास्थ्य, खेतों की मिट्टी, पर्यावरण और आर्थिक समृद्धि में कितना योगदान कर सकता है, इसे इटली के रोम में खाद्य एवं कृषि संगठन के मुख्यालय में मोटे अनाजों के अन्तरराष्ट्रीय वर्ष (आईवाईओएम) के शुभारम्भ समारोह के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदीजी के इस सन्देश से समझा जा सकता है :
जब प्राणों पर बन आयी
एक नदी के किनारे एक पेड़ था। उस पेड़ पर बन्दर रहा करते थे।
देव और असुर
बहुत पहले की बात है। तब देवता और असुर इस पृथ्वी पर आते-जाते थे।
हर्षित हो गयी वानर सेना
श्री हनुमत कथा-२१
पण्डित चन्द्र शेखर आजाद
क्रान्तिकारियों को एकजुट कर अंग्रेजी शासन की जड़ें हिलानेवाले अद्भुत योद्धा
भारत राष्ट्र के जीवन में नया अध्याय
भारत के त्रिभुजाकार नए संसद भवन का उद्घाटन समारोह हर किसी को अभिभूत करनेवाला था।
समान नागरिक संहिता समय की मांग
विगत दिनों से समान नागरिक संहिता का विषय निरन्तर चर्चा में चल रहा है। यदि इस विषय पर अब भी कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया तो इसके गम्भीर परिणाम आनेवाली सन्तति और देश को भुगतना पड़ सकता है।
शिक्षा और स्वामी विवेकानन्द
\"यदि गरीब लड़का शिक्षा के मन्दिर न आ सके तो शिक्षा को ही उसके पास जाना चाहिए।\"
लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक
२३ जुलाई, जयन्ती पर विशेष