जोधपुर। राजस्थान में ५० दिनों से चली आ रही 'विवेकानन्द सन्देश यात्रा' की आज औपचारिक समाप्ति है, परन्तु हमारे जीवन में विवेकानन्द के सन्वेश का आरम्भ है। इसके माध्यम से आनेवाले वर्षों में सम्पूर्ण राजस्थान में विवेकानन्द के विचारों व भारतीय जीवन दर्शन को जन जीवन में स्थापित करने का कार्य सभी को मिलकर करना है। यह विचार विवेकानन्द केन्द्र कन्याकुमारी की राष्ट्रीय उपाध्यक्षा निवेदिता रघुनाथ भिड़े ने कहीं। निवेदिता दीदी ने मेडिकल कॉलेज सभागार में आयोजित विवेकानन्द सन्देश यात्रा - राजस्थान के समापन समारोह को मुख्य वक्ता के रूप में सम्बोधित किया।
पद्मश्री से सम्मानित निवेदिता दीदी ने आगे कहा कि स्वामी विवेकानन्द व दयानंद आदि महापुरुष स्वयं प्रत्यक्ष रूप से स्वतंत्रता आंदोलन में उपस्थित नहीं थे, किन्तु इन महापुरुषों से ही क्रान्तिकारियों को प्रेरणा मिलती थी और उसमें विवेकानन्द अग्रणी थे। उन्होंने कहा कि विवेकानन्द ऐसे व्यक्तित्व के धनी थे जिनकी प्रेरणा से अनेक युवा स्वतंत्रता सेनानी बने, जब भी कोई क्रान्तिकारी पकड़ा जाता तो उसकी एक जेब में भगवद् गीता में और दूसरी जेब में स्वामी विवेकानन्द के विचारों से सम्बन्धित कोई पुस्तक होती। इतना ही नहीं अंग्रेजों ने अनेक बार अपने विचारों को रामकृष्ण मिशन जैसे संगठनों नजर रखने का आदेश भी दिया था।
Bu hikaye Kendra Bharati - केन्द्र भारती dergisinin February 2023 Issue sayısından alınmıştır.
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प्रेमकृष्ण खन्ना
स्थानिक विभूतियों की कथा - २५
स्वस्थ विश्व का आधार बना 'मिलेट्स'
मिलेट्स यानी मोटा अनाज। यह हमारे स्वास्थ्य, खेतों की मिट्टी, पर्यावरण और आर्थिक समृद्धि में कितना योगदान कर सकता है, इसे इटली के रोम में खाद्य एवं कृषि संगठन के मुख्यालय में मोटे अनाजों के अन्तरराष्ट्रीय वर्ष (आईवाईओएम) के शुभारम्भ समारोह के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदीजी के इस सन्देश से समझा जा सकता है :
जब प्राणों पर बन आयी
एक नदी के किनारे एक पेड़ था। उस पेड़ पर बन्दर रहा करते थे।
देव और असुर
बहुत पहले की बात है। तब देवता और असुर इस पृथ्वी पर आते-जाते थे।
हर्षित हो गयी वानर सेना
श्री हनुमत कथा-२१
पण्डित चन्द्र शेखर आजाद
क्रान्तिकारियों को एकजुट कर अंग्रेजी शासन की जड़ें हिलानेवाले अद्भुत योद्धा
भारत राष्ट्र के जीवन में नया अध्याय
भारत के त्रिभुजाकार नए संसद भवन का उद्घाटन समारोह हर किसी को अभिभूत करनेवाला था।
समान नागरिक संहिता समय की मांग
विगत दिनों से समान नागरिक संहिता का विषय निरन्तर चर्चा में चल रहा है। यदि इस विषय पर अब भी कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया तो इसके गम्भीर परिणाम आनेवाली सन्तति और देश को भुगतना पड़ सकता है।
शिक्षा और स्वामी विवेकानन्द
\"यदि गरीब लड़का शिक्षा के मन्दिर न आ सके तो शिक्षा को ही उसके पास जाना चाहिए।\"
लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक
२३ जुलाई, जयन्ती पर विशेष