वर्ष १६७५ में पूरे देश में आपातकाल थोपकर संविधान की हत्या करनेवाले ४२वें संविधान संशोधन में इसमें सार्वभौम के बाद पंथनिरपेक्ष तथा समाजवादी ये दो विशेषण और जोड़े गए। संविधान की मूल प्रकृति तथा प्रावधान में किसी भी प्रकार के संशोधन के बिना ही उसके उद्देश्य में दो अनावश्यक संकल्पनाओं की पूछ जोड़ दी गई । चुनावी मजबूरियों के नाम पर इन को पुनः संशोधित करने का साहस कोई भी राजनीतिक दल आजतक नहीं दिखा पा रहा है। आपातकाल के बाद स्थापित जनता सरकार ने ४४वें संविधान संशोधन से ४२वें संशोधन द्वारा जनता मौलिक अधिकारों को स्थगित करनेवाले सभी प्रावधानों को तो निरस्त कर पूर्ववत् कर दिया किन्तु प्रस्तावना में की गई छेड़छाड़ को वैसे ही रखा। इन विशेषणों के जुड़ने के कारण ही आज हम राजनीतिक दलों को तुष्टिकरण की नित नई सीमाओं को लांघते हुए देखते हैं।
इन विषयों पर चिन्तन करना इसलिए आवश्यक है क्योंकि इन बातों से गणतन्त्र की नींव पर ही आघात हो रहे हैं। गणराज्य का आधार है गण। गण अर्थात एकमन से कार्य करनेवाला समूह। प्रबन्धन के क्षेत्र में आजकल अत्यधिक प्रचलित अंग्रेजी शब्द है- टीम। इसकी परिभाषा की जाती है, “एक कार्य के लिए गठित, एक लक्ष्यगामी दल”। यह तात्कालिक होता है कार्य की अवधि तक के लिए, कार्य की पूर्णता का लक्ष्य लेकर यह कार्य करता है। 'गण' की संकल्पना अधिक गहरी है। अंग्रेजी में उपयुक्त Republic शब्द से भी बहुत गहरी। गण एक पारम्पारिक पारिभाषिक शब्द है। इसके राजनीति शास्त्र के उपयोग से भी पूर्व इसका आध्यात्मिक प्रयोग है। हमारी परम्परा में पूजा का पहला अधिकार गणेशजी का है जो गणों के ईश, गणनायक हैं। केवल शिवजी के गणों का नायक होने के कारण ही वे गण-पति नहीं है। मानव का मानव से सम्बन्ध स्थापित करने की वैज्ञानिक आध्यात्मिक प्रक्रिया 'गण' के वे अधिपति हैं। 'मैं' से 'हम' की ओर जाने की प्रक्रिया है गण। और इस प्रक्रिया के लिए आवश्यक साधना के अधिपति हैं गणपति।
Bu hikaye Kendra Bharati - केन्द्र भारती dergisinin January 2023 sayısından alınmıştır.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber ? Giriş Yap
Bu hikaye Kendra Bharati - केन्द्र भारती dergisinin January 2023 sayısından alınmıştır.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber? Giriş Yap
प्रेमकृष्ण खन्ना
स्थानिक विभूतियों की कथा - २५
स्वस्थ विश्व का आधार बना 'मिलेट्स'
मिलेट्स यानी मोटा अनाज। यह हमारे स्वास्थ्य, खेतों की मिट्टी, पर्यावरण और आर्थिक समृद्धि में कितना योगदान कर सकता है, इसे इटली के रोम में खाद्य एवं कृषि संगठन के मुख्यालय में मोटे अनाजों के अन्तरराष्ट्रीय वर्ष (आईवाईओएम) के शुभारम्भ समारोह के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदीजी के इस सन्देश से समझा जा सकता है :
जब प्राणों पर बन आयी
एक नदी के किनारे एक पेड़ था। उस पेड़ पर बन्दर रहा करते थे।
देव और असुर
बहुत पहले की बात है। तब देवता और असुर इस पृथ्वी पर आते-जाते थे।
हर्षित हो गयी वानर सेना
श्री हनुमत कथा-२१
पण्डित चन्द्र शेखर आजाद
क्रान्तिकारियों को एकजुट कर अंग्रेजी शासन की जड़ें हिलानेवाले अद्भुत योद्धा
भारत राष्ट्र के जीवन में नया अध्याय
भारत के त्रिभुजाकार नए संसद भवन का उद्घाटन समारोह हर किसी को अभिभूत करनेवाला था।
समान नागरिक संहिता समय की मांग
विगत दिनों से समान नागरिक संहिता का विषय निरन्तर चर्चा में चल रहा है। यदि इस विषय पर अब भी कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया तो इसके गम्भीर परिणाम आनेवाली सन्तति और देश को भुगतना पड़ सकता है।
शिक्षा और स्वामी विवेकानन्द
\"यदि गरीब लड़का शिक्षा के मन्दिर न आ सके तो शिक्षा को ही उसके पास जाना चाहिए।\"
लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक
२३ जुलाई, जयन्ती पर विशेष