आश्रम के बीचोंबीच बड़ा मैदान था। प्रांगण के चारों ओर राजकुमारों के आवास थे। अश्वत्थामा की कुटिया एकदम गुरुदेव के केन्द्रीय आवास के निकट थी। उसके आगे बायीं ओर युधिष्ठिर, भीम आदि पांडवों के तथा दायीं ओर दुर्योधन, दुःशासन आदि कौरव के आवास थे। इस प्रकार बड़े मैदान के चारों ओर आश्रम फैला था। बस्ती के निवासी इसे गुरुग्राम के नाम से पुकारते थे। यह आश्रम गुरु द्रोणाचार्य का था।
सायंकाल से पूर्व आश्रम में आज वाण-विद्या की एक विशेष परीक्षा का आयोजन किया गया था। गुरुजी ने कुशल शिल्पी से मिट्टी का पक्षी बनवाया था और उसे एक ऊँचे पेड़ की चोटी पर टंगवा दिया। जब सब शिष्यों को लेकर वे वहाँ पहुंचे और पक्षी दिखाया तो सबने उसे सचमुच का पक्षी ही समझा।
गुरुजी ने कहा, “इस पक्षी की आँख में निशाना लगाना है, पर शर्त यह है कि सब बारी-बारी से आए, निशाना साधें, और पहले मेरे प्रश्नों का उत्तर दें।"
“ठीक है", सबने एक स्वर में कहा।
सर्वप्रथम युधिष्ठिर आगे आए, निशाना साधा।
गुरुजी ने पूछा “युधिष्ठिर ! तुम अपने सामने क्या देखते हो?”
Bu hikaye Kendra Bharati - केन्द्र भारती dergisinin January 2023 sayısından alınmıştır.
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प्रेमकृष्ण खन्ना
स्थानिक विभूतियों की कथा - २५
स्वस्थ विश्व का आधार बना 'मिलेट्स'
मिलेट्स यानी मोटा अनाज। यह हमारे स्वास्थ्य, खेतों की मिट्टी, पर्यावरण और आर्थिक समृद्धि में कितना योगदान कर सकता है, इसे इटली के रोम में खाद्य एवं कृषि संगठन के मुख्यालय में मोटे अनाजों के अन्तरराष्ट्रीय वर्ष (आईवाईओएम) के शुभारम्भ समारोह के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदीजी के इस सन्देश से समझा जा सकता है :
जब प्राणों पर बन आयी
एक नदी के किनारे एक पेड़ था। उस पेड़ पर बन्दर रहा करते थे।
देव और असुर
बहुत पहले की बात है। तब देवता और असुर इस पृथ्वी पर आते-जाते थे।
हर्षित हो गयी वानर सेना
श्री हनुमत कथा-२१
पण्डित चन्द्र शेखर आजाद
क्रान्तिकारियों को एकजुट कर अंग्रेजी शासन की जड़ें हिलानेवाले अद्भुत योद्धा
भारत राष्ट्र के जीवन में नया अध्याय
भारत के त्रिभुजाकार नए संसद भवन का उद्घाटन समारोह हर किसी को अभिभूत करनेवाला था।
समान नागरिक संहिता समय की मांग
विगत दिनों से समान नागरिक संहिता का विषय निरन्तर चर्चा में चल रहा है। यदि इस विषय पर अब भी कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया तो इसके गम्भीर परिणाम आनेवाली सन्तति और देश को भुगतना पड़ सकता है।
शिक्षा और स्वामी विवेकानन्द
\"यदि गरीब लड़का शिक्षा के मन्दिर न आ सके तो शिक्षा को ही उसके पास जाना चाहिए।\"
लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक
२३ जुलाई, जयन्ती पर विशेष