रावण के भव्य दरबार में हनुमान को बांधकर ले आए। मेघनाथ और गर्वोक्तिपूर्ण स्वर में बोले- "लीजिए पिताश्री, जिस असाधारण वानर ने हमारे अनेक शक्तिशाली सेनापतियों, सैनिकों को मार दिया, और तो और महाबली भाई अक्षयकुमार का भी जिसने वध कर दिया, उस मायावी वानर को में ब्रह्मपाश में बांधकर ले आया हूँ।" फिर अट्टहास करते हुए कहने लगा- "देखिए पिताश्री, कैसे छटपटा रहा है ये वानर।"
मेघनाथ की बात सुनकर राज दरबार के सभी राक्षसगण जोर जोर से अट्टहास करने लगे। रावण भी लंका में भय व्याप्त कर देनेवाले वानर को यूँ बंधा देखकर आनन्दित हो रहा है। रावण और उसकी सभा को हनुमानजी ध्यानपूर्वक देख रहे हैं। विविध प्रकार के अद्भुत रत्नों और मणियों से सुसज्जित विशाल और अत्यन्त सुन्दर सिंहासन पर बैठे हुए रावण के मस्तक पर स्वर्ण निर्मित मूल्यवान मोतियों से सज्जित मुकूट सुशोभित हो रहा है।
यह सही है कि लोभ-मोह में की गई एक बड़ी भूल व्यक्ति की सम्पूर्ण प्रतिष्ठा को धूमिल कर देती है। इसलिए सर्वसामर्थ्यवान, सर्वज्ञानी रावण भी नासमझ अपराधी की भांति दिख रहा है। हनुमान भी यही विचार कर रहे हैं कि 'यदि इस रावण से सीतामाता के हरण का अधर्म न हुआ होता तो यह तीनों लोकों में सर्वश्रेष्ठ शासक होता।'
Bu hikaye Kendra Bharati - केन्द्र भारती dergisinin अप्रैल 2023 sayısından alınmıştır.
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प्रेमकृष्ण खन्ना
स्थानिक विभूतियों की कथा - २५
स्वस्थ विश्व का आधार बना 'मिलेट्स'
मिलेट्स यानी मोटा अनाज। यह हमारे स्वास्थ्य, खेतों की मिट्टी, पर्यावरण और आर्थिक समृद्धि में कितना योगदान कर सकता है, इसे इटली के रोम में खाद्य एवं कृषि संगठन के मुख्यालय में मोटे अनाजों के अन्तरराष्ट्रीय वर्ष (आईवाईओएम) के शुभारम्भ समारोह के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदीजी के इस सन्देश से समझा जा सकता है :
जब प्राणों पर बन आयी
एक नदी के किनारे एक पेड़ था। उस पेड़ पर बन्दर रहा करते थे।
देव और असुर
बहुत पहले की बात है। तब देवता और असुर इस पृथ्वी पर आते-जाते थे।
हर्षित हो गयी वानर सेना
श्री हनुमत कथा-२१
पण्डित चन्द्र शेखर आजाद
क्रान्तिकारियों को एकजुट कर अंग्रेजी शासन की जड़ें हिलानेवाले अद्भुत योद्धा
भारत राष्ट्र के जीवन में नया अध्याय
भारत के त्रिभुजाकार नए संसद भवन का उद्घाटन समारोह हर किसी को अभिभूत करनेवाला था।
समान नागरिक संहिता समय की मांग
विगत दिनों से समान नागरिक संहिता का विषय निरन्तर चर्चा में चल रहा है। यदि इस विषय पर अब भी कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया तो इसके गम्भीर परिणाम आनेवाली सन्तति और देश को भुगतना पड़ सकता है।
शिक्षा और स्वामी विवेकानन्द
\"यदि गरीब लड़का शिक्षा के मन्दिर न आ सके तो शिक्षा को ही उसके पास जाना चाहिए।\"
लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक
२३ जुलाई, जयन्ती पर विशेष