व्यक्ति अपने स्वस्थ रहने के लिए अनेक प्रकार के व्यायाम करता है। फल, कोई जीम में जोर लगा रहा है तो कोई मैदान में दौड़। व्यक्ति अपने शरीर के पोषण के लिए सब्जियां और दुग्ध पदार्थ तो खाता ही है, साथ ही अपनी शारीरिक क्षमता बढ़ाने के लिए अनेक आयुर्वेदिक औषधि अथवा विटामिन्स की एलोपैथिक दवाई भी लेता है। क्योंकि “जान है तो जहान है।"
लेकिन क्या हमने कभी यह सोचा कि जहान के बिना क्या हम जीवित रह सकते हैं? क्या पर्यावरण के बिना हम एक क्षण भी रह सकते हैं? तनिक ठहर कर, इस बात पर भी विचार करना चाहिए। क्योंकि मानव जीवन पूर्णतः प्रकृति पर निर्भर है। फल, सब्जी, आनाज, औषधि, ऊर्जा, प्रकाश, प्राणवायु, - सब कुछ पर्यावरण से प्राप्त होता है। भूमि, जल, अग्नि, वायु और आकाश इन पांच तत्वों से सृष्टि बनी है। अन्न, सब्जियां, फल और फूलों की प्राप्ति के लिए मनुष्य खेती करता है। नदियों से उसे जल मिलता है। वनों से औषधि मिलती है। पर्यावरण के बिना मानव जीवन की कल्पना ही नहीं की जा सकती है। इसलिए "जान है तो जहान है।" यह कहावत एकतरफा लगता है। क्योंकि जान तो जहान पर निर्भर है। इसलिए अब यह कहना होगा कि “जहान है तो जान है”।
Bu hikaye Kendra Bharati - केन्द्र भारती dergisinin Kendra Bharati - June 2023 sayısından alınmıştır.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber ? Giriş Yap
Bu hikaye Kendra Bharati - केन्द्र भारती dergisinin Kendra Bharati - June 2023 sayısından alınmıştır.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber? Giriş Yap
प्रेमकृष्ण खन्ना
स्थानिक विभूतियों की कथा - २५
स्वस्थ विश्व का आधार बना 'मिलेट्स'
मिलेट्स यानी मोटा अनाज। यह हमारे स्वास्थ्य, खेतों की मिट्टी, पर्यावरण और आर्थिक समृद्धि में कितना योगदान कर सकता है, इसे इटली के रोम में खाद्य एवं कृषि संगठन के मुख्यालय में मोटे अनाजों के अन्तरराष्ट्रीय वर्ष (आईवाईओएम) के शुभारम्भ समारोह के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदीजी के इस सन्देश से समझा जा सकता है :
जब प्राणों पर बन आयी
एक नदी के किनारे एक पेड़ था। उस पेड़ पर बन्दर रहा करते थे।
देव और असुर
बहुत पहले की बात है। तब देवता और असुर इस पृथ्वी पर आते-जाते थे।
हर्षित हो गयी वानर सेना
श्री हनुमत कथा-२१
पण्डित चन्द्र शेखर आजाद
क्रान्तिकारियों को एकजुट कर अंग्रेजी शासन की जड़ें हिलानेवाले अद्भुत योद्धा
भारत राष्ट्र के जीवन में नया अध्याय
भारत के त्रिभुजाकार नए संसद भवन का उद्घाटन समारोह हर किसी को अभिभूत करनेवाला था।
समान नागरिक संहिता समय की मांग
विगत दिनों से समान नागरिक संहिता का विषय निरन्तर चर्चा में चल रहा है। यदि इस विषय पर अब भी कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया तो इसके गम्भीर परिणाम आनेवाली सन्तति और देश को भुगतना पड़ सकता है।
शिक्षा और स्वामी विवेकानन्द
\"यदि गरीब लड़का शिक्षा के मन्दिर न आ सके तो शिक्षा को ही उसके पास जाना चाहिए।\"
लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक
२३ जुलाई, जयन्ती पर विशेष