दुनिया के अलग-अलग स्थानों से हिन्दूफोबिया यानी हिन्दू विरोधी नफरत एवं हिंसा की बढ़ती घटनाएं गम्भीर चिन्ता का विषय है। हम कई देशों में हिन्दुओं, हिन्दू प्रतीकों, हिन्दू धर्मस्थलों आदि पर हमले के साथ-साथ हिन्दू धर्म के विरुद्ध प्रचार अभियानों को देख रहे हैं। ब्रिटेन की 'द हेनरी जैक्सन सोसाइटी' द्वारा जारी अध्ययन रिपोर्ट ने इस बात को फिर से साबित किया है कि हिन्दू समाज के लिए यह कठिन चुनौती का समय है। रिपोर्ट का शीर्षक है,- 'एंटी हिन्दू हेट इन स्कूल्स'। रिपोर्ट में स्पष्ट कहा गया है कि ब्रिटेन के स्कूलों में हिन्दू विरोधी घृणा चरम पर है और हिन्दू बच्चों को अनेक देवी-देवताओं के पूजन, गाय को पवित्र मानने, जाति व्यवस्था आदि के आधार पर चिढ़ाया जाता है, अपमानित किया जाता है और उन्हें मुस्लिम बच्चे काफिर पुकारते हैं।
इसमें ६६८ हिन्दू अभिभावकों से बातचीत की गई है। ५१ प्रतिशत अभिभावकों ने कहा कि उनके बच्चों ने हिन्दू विरोधी घृणा का सामना किया है। केवल १६ प्रतिशत अभिभावकों ने कहा कि शिक्षण संस्थान इसकी पहचान कर ठीक करेगा।
यह ब्रिटेन में अपने किस्म की हिन्दू विरोधी घृणा पर पहली अध्ययन रिपोर्ट है जो पिछले साल हुए लीसेस्टर में हिन्दू विरोधी दंगों की रिपोर्ट के बाद आई है। उस रिपोर्ट में कहा गया था कि हिंसा का एक प्रमुख कारण हिन्दू विरोधी दुष्प्रचार ही था।
रिपोर्ट के कुछ अंश देखिए :
निरामिष ( शाकाहारी ) होने का मजाक उड़ाते हुए एक बच्ची पर गाय का मांस फेंका गया और कहा गया कि तू इस्लाम ग्रहण कर लो तो हम परेशान करना बंद कर देंगे।
एक छात्र को कहा गया कि हिन्दू धर्म की पढ़ाई करना मूर्खता है क्योंकि यह ३३ करोड़ देवताओं के साथ हाथी, बंदर और मूर्ति की पूजा करते हैं।
एक ईसाई ने हिन्दू बच्चे को कहा कि हमारा यीशु तुम्हारे सारे देवताओं को नर्क में भेजेगा।
हिन्दू धर्म में स्वास्तिक जैसे प्रतीक को हिटलर के प्रतीक से तुलना कर, उसी तरह हिन्दू बच्चों को निशाना बनाने की घटनाएं हुई जैसे एक समय यहूदियों के साथ होता था।
रिपोर्ट में हिन्दू बच्चों द्वारा इस्लाम या ईसाइयत के विरुद्ध टिप्पणी करने की बात नहीं है। इसलिए यह नहीं कहा जा सकता कि मुस्लिम या ईसाई छात्र और शिक्षक आदि प्रतिक्रिया में ऐसा कर रहे हैं।
Bu hikaye Kendra Bharati - केन्द्र भारती dergisinin Kendra Bharati - June 2023 sayısından alınmıştır.
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प्रेमकृष्ण खन्ना
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मिलेट्स यानी मोटा अनाज। यह हमारे स्वास्थ्य, खेतों की मिट्टी, पर्यावरण और आर्थिक समृद्धि में कितना योगदान कर सकता है, इसे इटली के रोम में खाद्य एवं कृषि संगठन के मुख्यालय में मोटे अनाजों के अन्तरराष्ट्रीय वर्ष (आईवाईओएम) के शुभारम्भ समारोह के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदीजी के इस सन्देश से समझा जा सकता है :
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