ज्ञानप्राप्ति व आत्म-विकास ही नहीं, अच्छा स्वास्थ्य व दीर्घायु प्रदान करने में भी सक्षम है स्वाध्याय
तैत्तिरीय उपनिषद् में एक दीक्षांत सन्देश मिलता है जिसमें विद्या पूर्ण करके जानेवाले स्नातकों को कुछ उपदेश दिए गए हैं जैसे-जैसे सत्यं वद, धर्मं चर, स्वाध्यायान्मा प्रमदः अर्थात् सत्य बोलिए, धर्म का पालन कीजिए व स्वाध्याय से मुँह न मोड़िए। और भी अनेक नीति की बातों का पालन करने का परामर्श दिया गया है। स्वाध्याय के विषय में पुनः ज़ोर देकर कहा गया है “स्वाध्यायप्रवचनाभ्यां न प्रमदितव्यम्”। स्वाध्याय और प्रवचनों में प्रमाद अथवा असावधानी नहीं होनी चाहिए। स्वाध्याय के साथ-साथ प्रवचन पर भी बल दिया गया है। स्वाध्याय के द्वारा अपने ज्ञान में वृद्धि करते रहिए और विद्या का प्रचार-प्रसार भी। योग में भी स्वाध्याय की चर्चा की गई है। योग के आठ अंग हैं: यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान और समाधि। इन आठ अंगों में दूसरा अंग है नियम। नियम में पाँच व्रतों के पालन की बात की गई है : शौच, संतोष, तपस, स्वाध्याय और ईश्वर प्रणिधान। स्वाध्याय योग का भी एक उपांग है। इससे स्वाध्याय के महत्त्व का ही पता चलता है।
हम जो स्वयं सीखकर औरों को जो बताते या सिखाते हैं वह प्रवचन है फिर स्वाध्याय क्या है? यदि हम किसी भी स्तर की शिक्षा किसी आश्रम अथवा विद्यालय या विश्वविद्यालय से प्राप्त करते हैं तो इस प्रक्रिया में कुछ उपयोगी ज्ञान व कुशलताओं को सीखते हैं लेकिन ज्ञान व कुशलताओं की कोई सीमा नहीं होती । न सीखने की ही सीमा होती है। जीवन को उत्कृष्ट बनाने के लिए भी हमें निरन्तर सीखने अथवा नया ज्ञान प्राप्त करने की आवश्यकता होती है। जो आवश्यक ज्ञान अथवा जानकारी हम औपचारिक शिक्षा अथवा डिग्री के माध्यम से नहीं प्राप्त कर पाते उसे पाने का तरीका है स्वाध्याय । जहाँ पठन-पाठन अथवा शिक्षा-दीक्षा की समुचित व्यवस्था नहीं होती वहाँ जिज्ञासु जन स्वाध्याय के द्वारा ही अपने ज्ञान में वृद्धि करते हैं। हम विभिन्न स्तरों के पाठ्यक्रमों के अतिरिक्त स्वयं जो कुछ भी पढ़ते हैं वह स्वाध्याय ही है।
Bu hikaye Kendra Bharati - केन्द्र भारती dergisinin Kendra Bharati - June 2023 sayısından alınmıştır.
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प्रेमकृष्ण खन्ना
स्थानिक विभूतियों की कथा - २५
स्वस्थ विश्व का आधार बना 'मिलेट्स'
मिलेट्स यानी मोटा अनाज। यह हमारे स्वास्थ्य, खेतों की मिट्टी, पर्यावरण और आर्थिक समृद्धि में कितना योगदान कर सकता है, इसे इटली के रोम में खाद्य एवं कृषि संगठन के मुख्यालय में मोटे अनाजों के अन्तरराष्ट्रीय वर्ष (आईवाईओएम) के शुभारम्भ समारोह के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदीजी के इस सन्देश से समझा जा सकता है :
जब प्राणों पर बन आयी
एक नदी के किनारे एक पेड़ था। उस पेड़ पर बन्दर रहा करते थे।
देव और असुर
बहुत पहले की बात है। तब देवता और असुर इस पृथ्वी पर आते-जाते थे।
हर्षित हो गयी वानर सेना
श्री हनुमत कथा-२१
पण्डित चन्द्र शेखर आजाद
क्रान्तिकारियों को एकजुट कर अंग्रेजी शासन की जड़ें हिलानेवाले अद्भुत योद्धा
भारत राष्ट्र के जीवन में नया अध्याय
भारत के त्रिभुजाकार नए संसद भवन का उद्घाटन समारोह हर किसी को अभिभूत करनेवाला था।
समान नागरिक संहिता समय की मांग
विगत दिनों से समान नागरिक संहिता का विषय निरन्तर चर्चा में चल रहा है। यदि इस विषय पर अब भी कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया तो इसके गम्भीर परिणाम आनेवाली सन्तति और देश को भुगतना पड़ सकता है।
शिक्षा और स्वामी विवेकानन्द
\"यदि गरीब लड़का शिक्षा के मन्दिर न आ सके तो शिक्षा को ही उसके पास जाना चाहिए।\"
लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक
२३ जुलाई, जयन्ती पर विशेष