प्रार्थना की वृत्ति देश - काल की सीमाओं में आबद्ध होकर सार्वकालिक व सर्वव्यापक है। प्रार्थना जीवन का सहज किंतु महान् अवलम्बन है। यह विषय संकटों, दुर्भाग्य, दुर्योगों, हृदयविदारक एवं असहनीय कष्टों से विजय प्राप्त करने की शक्ति प्रदान करती है। मनुष्य की अनेक अग्नि परीक्षाओं से उद्धार करती है। एक व्यक्ति जिस क्षण स्वयं को प्रभु के हाथों में समर्पण कर देता है उसी क्षण दान एक प्रशांत लहर आगे अंतः चेतना में प्रवाहित होकर उसे सब कुछ सहन कसे की शक्ति प्राप्त हो जाती है। किंतु यह संमर्पण हृदय के गहनतम स्थल से हो।
मानव विकास के आदिम काल से ही मनुष्य अनेक संकरों से ग्रस्त और विशाल नैसर्गिक शक्तियों से होकर आक्रान्त होकर अपने से श्रेष्ठ शक्तियों के प्रति नतमस्तक होकर उनकी प्रसन्नता के लिए प्रार्थनामय रहा है। धार्मिक भावनाओं के विकास के साथ मनुष्य की प्रार्थना वृत्ति भी परिमार्जित होती गयी। आज युग-युगान्तरों की तपस्या और अनुतियों के फलस्वरूप प्रार्थना का निखरा हुआ स्वरूप एक उज्ज्वल आदर्श के रूप में हमारे सामने है। इससे यह समझ उत्पन्न हुई कि प्रार्थना कैसी होनी चाहिये?
प्रार्थना की शक्ति है जीवन पोषण :
प्रार्थना की अद्भुत शक्ति हमारे जीवन का भरपूर पोषण करती है। क्योंकि यह जीवन के आदि स्त्रोत से व्यक्ति का संबंध जोड़ती है । इसी कारण पाश्चात्य मनीषी अलैक्स कैरल ने अपनी अनुभूतियों ने आधार पर कहा कि‘प्रार्थना सबसे शक्तिशाली ऊर्जा है, जिसे मनुष्य उत्पन्न कर सकता है। शरीर शास्त्री भले ही मानवीय शरीर एवं मस्तिष्क पर इनके प्रभाव को ग्रंथियों के स्त्राव के रूप में दर्शाएं, पर इसके परिणामस्वरूप शारीरिक सशक्तता, बौद्धिक प्रखरता, नैतिक साहस और मानवीय संबंधों में अंतर्निहित गहन सार्थकता सब कुछ जीवंत हो उठती है। प्रार्थना जीवन को विधेयात्मक ढंग से जीने का एक तरीका है। सच्चा जीवन वस्तुतः प्रार्थना से भरा हुआ जीवन होता है। निश्चित रूप से प्रार्थना आत्मा के लिए एक टॉनिक का कार्य करती है तथा जीवन को जीवन्त और सार्थक बनाती है।
Bu hikaye Kendra Bharati - केन्द्र भारती dergisinin Kendra Bharati - June 2023 sayısından alınmıştır.
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प्रेमकृष्ण खन्ना
स्थानिक विभूतियों की कथा - २५
स्वस्थ विश्व का आधार बना 'मिलेट्स'
मिलेट्स यानी मोटा अनाज। यह हमारे स्वास्थ्य, खेतों की मिट्टी, पर्यावरण और आर्थिक समृद्धि में कितना योगदान कर सकता है, इसे इटली के रोम में खाद्य एवं कृषि संगठन के मुख्यालय में मोटे अनाजों के अन्तरराष्ट्रीय वर्ष (आईवाईओएम) के शुभारम्भ समारोह के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदीजी के इस सन्देश से समझा जा सकता है :
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देव और असुर
बहुत पहले की बात है। तब देवता और असुर इस पृथ्वी पर आते-जाते थे।
हर्षित हो गयी वानर सेना
श्री हनुमत कथा-२१
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क्रान्तिकारियों को एकजुट कर अंग्रेजी शासन की जड़ें हिलानेवाले अद्भुत योद्धा
भारत राष्ट्र के जीवन में नया अध्याय
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समान नागरिक संहिता समय की मांग
विगत दिनों से समान नागरिक संहिता का विषय निरन्तर चर्चा में चल रहा है। यदि इस विषय पर अब भी कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया तो इसके गम्भीर परिणाम आनेवाली सन्तति और देश को भुगतना पड़ सकता है।
शिक्षा और स्वामी विवेकानन्द
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लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक
२३ जुलाई, जयन्ती पर विशेष