किन्तु आज पूजा का अर्थ सीमित हो गया है, बदल - सा गया है। सामान्यतः पूजा का अर्थ दीप जलाकर आरती करना, इतना ही समझा जाता है। कुछ नाचते हैं, झूमते हैं या गीत गाते हैं। किन्तु पूजा का वास्तविक अर्थ क्या है, इस पर भी हमें चिन्तन करना चाहिए।
'ईश्वर, किसी देवी-देवता अथवा गुरु के प्रति श्रद्धा, सम्मान, विनय और समर्पण का भाव प्रकट करनेवाला कार्य को पूजा कहा जाता है। अर्थात अपने पूजनीय देवता को अपना सर्वस्व अर्पित कर देना। आज से मेरी मर्जी समाप्त अर्थात् वे जो कहेंगे, वही हमें करना है। अपने पूजनीय देवता के आदर्शों पर चलना, उनकी तरह बनने का प्रयत्न करना भी " "पूजा"।
सद्गुरु कबीर कहते हैं:
पूजा गुरु की कीजिए, सब पूजा जेहि मांहिं ।
जब जल सींचो मूल तरु, साखा पत्र अघाहिं ।।
अर्थात गुरु की पूजा सभी तरह की पूजा का मूल है। जिस तरह वृक्ष की जड़ में पानी डालने से पूरे वृक्ष को अर्थात वृक्ष की डालियों, पत्तियों, फूलों और फलों का पोषण होता है; इसी तरह गुरु की पूजा करने से ईश्वर की पूजा हो जाती है। एक अर्थ में सम्पूर्ण सृष्टि की, सबकी पूजा हो जाती है। इसलिए तो हम बचपन से कहते और सुनते आए हैं :-
गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः ।
गुरुरेव परंब्रह्म तस्मै श्रीगुरवे नमः ।।
इसलिए भारतवर्ष में गुरु का बड़ा ही महत्त्व है। हमारे सभी सम्प्रदायों और पंथों में गुरु को सर्वोच्च स्थान प्राप्त है। प्रत्येक समाज में सबसे पहले गुरु की वंदना होती है। पुराणों ने गुरु को सर्वप्रथम पूजनीय बताया है । सदगुरु कबीर साहब ने तो यहाँ तक कह दिया कि
सात द्वीप नौ खंड में गुरु से बड़ा न कोय ।
करता करे न कर सके, गुरु करे सो होय ।।
प्रत्येक मनुष्य के जीवन में गुरु की भूमिका सबसे अधिक होती है। शिष्य अपने गुरु के बताए पथ पर आगे बढ़ता है । शिष्य के जीवन में सदाचार, कौशल, ज्ञान और बुद्धिमत्ता का विकास गुरु की कृपा से ही सम्भव होता है। इसलिए शिष्य को गुरु का कृपापात्र होना आवश्यक है। जिसमें पात्रता नहीं वह कदापि ज्ञान का अधिकारी नहीं हो सकता। संत कबीर ने शिष्य के पूर्ण समर्पण को प्राथमिकता देते हुए कहा है कि :-
Bu hikaye Kendra Bharati - केन्द्र भारती dergisinin July 2023 sayısından alınmıştır.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber ? Giriş Yap
Bu hikaye Kendra Bharati - केन्द्र भारती dergisinin July 2023 sayısından alınmıştır.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber? Giriş Yap
प्रेमकृष्ण खन्ना
स्थानिक विभूतियों की कथा - २५
स्वस्थ विश्व का आधार बना 'मिलेट्स'
मिलेट्स यानी मोटा अनाज। यह हमारे स्वास्थ्य, खेतों की मिट्टी, पर्यावरण और आर्थिक समृद्धि में कितना योगदान कर सकता है, इसे इटली के रोम में खाद्य एवं कृषि संगठन के मुख्यालय में मोटे अनाजों के अन्तरराष्ट्रीय वर्ष (आईवाईओएम) के शुभारम्भ समारोह के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदीजी के इस सन्देश से समझा जा सकता है :
जब प्राणों पर बन आयी
एक नदी के किनारे एक पेड़ था। उस पेड़ पर बन्दर रहा करते थे।
देव और असुर
बहुत पहले की बात है। तब देवता और असुर इस पृथ्वी पर आते-जाते थे।
हर्षित हो गयी वानर सेना
श्री हनुमत कथा-२१
पण्डित चन्द्र शेखर आजाद
क्रान्तिकारियों को एकजुट कर अंग्रेजी शासन की जड़ें हिलानेवाले अद्भुत योद्धा
भारत राष्ट्र के जीवन में नया अध्याय
भारत के त्रिभुजाकार नए संसद भवन का उद्घाटन समारोह हर किसी को अभिभूत करनेवाला था।
समान नागरिक संहिता समय की मांग
विगत दिनों से समान नागरिक संहिता का विषय निरन्तर चर्चा में चल रहा है। यदि इस विषय पर अब भी कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया तो इसके गम्भीर परिणाम आनेवाली सन्तति और देश को भुगतना पड़ सकता है।
शिक्षा और स्वामी विवेकानन्द
\"यदि गरीब लड़का शिक्षा के मन्दिर न आ सके तो शिक्षा को ही उसके पास जाना चाहिए।\"
लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक
२३ जुलाई, जयन्ती पर विशेष