पिलखुवा गाँव, जि. हापुड़ (उ.प्र.) के पास की घटना है। दलवीर खाँ नामक एक मुसलमान बढ़ई ने १०० रुपये में किसी राजपूत से एक हरा पीपल का वृक्ष खरीदा। इस सौदे में इसाक खाँ नामक दूसरा बढ़ई हिस्सेदार था। दोनों ने सोचा कि इसे काट-बेचकर जो धन आयेगा उसे बराबर भागों में दोनों बाँट लेंगे।
वृक्ष में जान होती है और कभी किसी कारण से ऊँची आत्माओं को वृक्ष की योनि में भी आना पड़ता है। वे आत्माएँ समझदार और कार्यशील होती हैं।
भगवान श्रीकृष्ण ने कहा है :
अश्वत्थः सर्ववृक्षाणां... अर्थात् मैं सब वृक्षों में पीपल का वृक्ष हूँ। (गीता : १०.२६)
पीपल की जीवात्मा दलवीर खाँ के स्वप्न में आयी। पीपल कह रहा था : "तुम मुझे काटनेवाले हो, मेरी मृत्यु हो जायेगी। तुमने मुझे १०० रुपये में खरीदा है और जो भी मुनाफा होगा वह सब मैं तुम्हें लौटा देता हूँ। मेरी जड़ में एक जगह तुम खोदोगे तो तुमको सोने की शलाका मिलेगी। उसे बेचकर तुम्हें जो मुनाफा होगा उससे तुम्हारा सारा खर्च निकल जायेगा। इसलिए कृपा करके मुझे कल काटना मत। मुझे प्राणों का दान देना।”
Bu hikaye Rishi Prasad Hindi dergisinin December 2023 sayısından alınmıştır.
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ज्ञान के दीप, भक्ति के पुंज व सेवा की ज्योति से सजी दिवाली
ऋषि प्रसाद प्रतिनिधि | हमारी संस्कृति के पावन पर्व दीपावली पर दीप जलाने की परम्परा के पीछे अज्ञान-अंधकार को मिटाकर आत्मप्रकाश जगाने का सूक्ष्म संकेत है। १ से ७ नवम्बर तक अहमदाबाद आश्रम में हुए 'दीपावली अनुष्ठान एवं ध्यान योग शिविर' में उपस्थित हजारों शिविरार्थियों ने हमारे महापुरुषों के अनुसार इस पर्व का लाभ उठाया एवं अपने हृदय में ज्ञान व भक्ति के दीप प्रज्वलित कर आध्यात्मिक दिवाली मनायी।
पुत्रप्राप्ति आदि मनोरथ पूर्ण करनेवाला एवं समस्त पापनाशक व्रत
१० जनवरी को पुत्रदा एकादशी है। इसके माहात्म्य के बारे में पूज्य बापूजी के सत्संग-वचनामृत में आता है :
पंचकोष-साक्षी शंका-समाधान
(पिछले अंक में आपने पंचकोष-साक्षी विवेक के अंतर्गत जाना कि पंचकोषों का साक्षी आत्मा उनसे पृथक् है । उसी क्रम में अब आगे...)
कुत्ते, बिल्ली पालने का शौक देता है गम्भीर बीमारियों का शॉक!
कुत्ते, बिल्ली पालने के शौकीन सावधान हो जायें !...
हिम्मत करें और ठान लें तो क्या नहीं हो सकता!
मनुष्य में बहुत सारी शक्तियाँ छुपी हुई हैं। हिम्मत करे तो लाख-दो लाख रुपये की नौकरी मिलना तो क्या, दुकान का, कारखाने का स्वामी बनना तो क्या, त्रिलोकी के स्वामी को भी प्रकट कर सकता है, ध्रुव को देखो, प्रह्लाद को, मीरा को देखो।
पुण्यात्मा कर्मयोगियों के नाम पूज्य बापूजी का संदेश
'अखिल भारतीय वार्षिक ऋषि प्रसाद-ऋषि दर्शन सम्मेलन २०२५' पर विशेष
मकर संक्रांति : स्नान, दान, स्वास्थ्य, समरसता, सुविकास का पर्व
१४ जनवरी मकर संक्रांति पर विशेष
समाजसेवा व परदुःखकातरता की जीवंत मूर्ति
२५ दिसम्बर को मदनमोहन मालवीयजी की जयंती है। मालवीयजी कर्तव्यनिष्ठा के आदर्श थे। वे अपना प्रत्येक कार्य ईश्वर-उपासना समझकर बड़ी ही तत्परता, लगन व निष्ठा से करते थे। मानवीय संवेदना उनमें कूट-कूटकर भरी थी।
संतों की रक्षा कीजिये, आपका राज्य निष्कंटक हो जायेगा
आप कहते हैं... क्या पुरातत्त्व विभाग के खंडहर और जीर्ण-शीर्ण इमारतें ही राष्ट्र की धरोहर हैं? ... राष्ट्रसेवा करने का सनातनियों ने उन्हें यही फल दिया !
ब्रह्मवेत्ता संत तीर्थों में क्यों जाते हैं?
एक बड़े नगर में स्वामी शरणानंदजी का सत्संग चल रहा था। जब वे प्रवचन पूरा कर चुके तो मंच पर उपस्थित संत पथिकजी ने पूछा कि ‘“महाराज ! आप जो कुछ कहते हैं वही सत्य है क्या?\"