"बड़े-बड़े गुनहगार छूट सकते हैं परंतु सनातन धर्म के रक्षक, संवाहक नहीं छूट सकते यह कितना बड़ा अन्याय है!"
'विश्व हिन्दू परिषद' के तत्कालीन मुख्य संरक्षक व अंतर्राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अशोक सिंहलजी भारतीय संस्कृति के संरक्षण के लिए पूज्य बापूजी के योगदान को भलीभाँति जानते थे। आप पूज्यश्री से मार्गदर्शन एवं आशीर्वाद प्राप्त करने हेतु कई बार सत्संग में आये। बापूजी को षड्यंत्र के तहत जेल में रखे जाने के खिलाफ आपने अनेक बार आवाज बुलंद की थी। सिंहलजी की जयंती (२७ सितम्बर) पर 'मंगलमय चैनल' द्वारा उनके करीबियों के साथ हुए विशेष चर्चासत्र का सजीव प्रसारण किया गया। उसके कुछ अंश:
श्री सतीश अग्रवाल, वरिष्ठ उपाध्यक्ष, भारतीय उद्योग व्यापार मंडल: श्री अशोक सिंहलजी एकमात्र ऐसे नेता थे जो बापू आशारामजी से मिलने जोधपुर कारागार में गये थे। बापूजी को १२ साल हो गये, हिन्दू सरकार के रहते हुए भी उन्हें छोड़ा नहीं गया, ऐसा नहीं होना चाहिए।
हैदराबाद आश्रम में मेरे सामने बापूजी ने अशोक सिंहलजी से कहा था कि 'जिन्होंने धर्म छोड़ दिया उनको वापस हिन्दू धर्म में लाया जाय और जो धर्म में हैं उनको सत्संग मिले।' तो 'घर-वापसी कार्यक्रम' पूज्य बापूजी की ही देन है।
Bu hikaye Rishi Prasad Hindi dergisinin November 2024 sayısından alınmıştır.
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ज्ञान के दीप, भक्ति के पुंज व सेवा की ज्योति से सजी दिवाली
ऋषि प्रसाद प्रतिनिधि | हमारी संस्कृति के पावन पर्व दीपावली पर दीप जलाने की परम्परा के पीछे अज्ञान-अंधकार को मिटाकर आत्मप्रकाश जगाने का सूक्ष्म संकेत है। १ से ७ नवम्बर तक अहमदाबाद आश्रम में हुए 'दीपावली अनुष्ठान एवं ध्यान योग शिविर' में उपस्थित हजारों शिविरार्थियों ने हमारे महापुरुषों के अनुसार इस पर्व का लाभ उठाया एवं अपने हृदय में ज्ञान व भक्ति के दीप प्रज्वलित कर आध्यात्मिक दिवाली मनायी।
पंचकोष-साक्षी शंका-समाधान
(पिछले अंक में आपने पंचकोष-साक्षी विवेक के अंतर्गत जाना कि पंचकोषों का साक्षी आत्मा उनसे पृथक् है । उसी क्रम में अब आगे...)
कुत्ते, बिल्ली पालने का शौक देता है गम्भीर बीमारियों का शॉक!
कुत्ते, बिल्ली पालने के शौकीन सावधान हो जायें !...
पुण्यात्मा कर्मयोगियों के नाम पूज्य बापूजी का संदेश
'अखिल भारतीय वार्षिक ऋषि प्रसाद-ऋषि दर्शन सम्मेलन २०२५' पर विशेष
मकर संक्रांति : स्नान, दान, स्वास्थ्य, समरसता, सुविकास का पर्व
१४ जनवरी मकर संक्रांति पर विशेष
समाजसेवा व परदुःखकातरता की जीवंत मूर्ति
२५ दिसम्बर को मदनमोहन मालवीयजी की जयंती है। मालवीयजी कर्तव्यनिष्ठा के आदर्श थे। वे अपना प्रत्येक कार्य ईश्वर-उपासना समझकर बड़ी ही तत्परता, लगन व निष्ठा से करते थे। मानवीय संवेदना उनमें कूट-कूटकर भरी थी।
ब्रह्मवेत्ता संत तीर्थों में क्यों जाते हैं?
एक बड़े नगर में स्वामी शरणानंदजी का सत्संग चल रहा था। जब वे प्रवचन पूरा कर चुके तो मंच पर उपस्थित संत पथिकजी ने पूछा कि ‘“महाराज ! आप जो कुछ कहते हैं वही सत्य है क्या?\"
भगवद्रस ऐसा सुखदायी है!
रामायण में शिवजी बोलते हैं : उमा राम सुभाउ जेहिं जाना । ताहि भजनु तजि भाव न आना ॥ (रामचरित. सुं.कां.: ३३.२)
पितरों को सद्गति देनेवाला तथा आयु, आरोग्य व मोक्ष प्रदायक व्रत
एकादशी माहात्म्य - मोक्षदा एकादशी पर विशेष
विलक्षण न्याय
विद्यार्थी संस्कार - पढ़िये-पढ़ाइये यह शिक्षाप्रद कथा