क्या आप ने कभी किसी पुरुष को फूटफूट कर रोते देखा है ? यह प्रश्न अजीब लगता है क्योंकि पुरुष के साथ आंसुओं का कोई संबंध हो सकता है, यह बात आमतौर पर गले नहीं उतरती. लेकिन यह सत्य है कि पुरुष भी रोते हैं खासतौर पर तब जब पुरुष किसी ऐसी स्त्री से शादी कर लेता है, जिस से तालमेल तो नहीं बैठता, लेकिन जीवन निभाने वाली स्थिति में भी नहीं रह पाता क्योंकि पत्नी के रूप में उस के जीवन में आई स्त्री उस का जीना दूभर कर देती है. ऐसी पत्नियों को आतंकवादी पत्नियां कहना कोई गलत न होगा.
पत्नी द्वारा आतंकवाद क्या और कैसे होता है ? पतियों की यह आम शिकायत होती है कि जब पत्नियां अपनी समस्याओं के बारे में बात करती हैं तो सारा दोष पतियों पर मढ़ देती हैं, साथ ही पुरुषों के लिए यह भी कहा जाता हैं कि वे पत्नियों को बिलकुल नहीं समझते और उन का केवल 'सैक्स' के लिए इस्तेमाल किया जाता है. तभी तो छोटी सी बात पर भी पत्नियों को मारने के लिए हाथ तक उठा देते हैं. यहां तक कि जला भी डालते हैं.
पुरुष ही विलेन क्यों
भारतीय पुरुषों को तो मीडिया ने काफी हद तक विलेन बना कर दिखाया है. ज्यादातर भारतीय पुरुषों को संवेदनशीलता से दूर क्रूर और दुष्ट माना जाता है, लेकिन जैसे अच्छे और बुरे दोनों पुरुष होते हैं वैसे ही अच्छी और बुरी दोनों तरह की स्त्रियां होती हैं.
प्रमोद कुमार एक सफल डाक्टर हैं. उन का खुशमिजाज स्वभाव उन के अपने मरीजों से बातचीत करते समय साफ पता चलता है. लेकिन घर में पहुंचते ही उन की यह मुसकराहट गायब हो जाती है. एक भरेपूरे संपन्न परिवार से संबंध रखते हुए डा. प्रमोद घर पहुंचते ही पूर्णया चुप्पी साध लेते हैं.
Bu hikaye Grihshobha - Hindi dergisinin August Second 2022 sayısından alınmıştır.
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