हाल ही में एक ईकौमर्स कंपनी ने अपने विज्ञापन के लिए अलगअलग उम्र की 30 महिलाओं और पुरुषों के साथ एक सोशल ऐक्सपैरिमैंट किया, जिस में उन से कई तरह के सवाल पूछे गए. इस के तहत अगर जवाब 'हां' होता तो उन्हें एक कदम आगे बढ़ाना था और अगर 'न' होता तो एक कदम पीछे जाना था.
जब तक उन से सामान्य सवाल जैसे साइकिल चलाने, खेल खेलने, संगीत, कपड़े प्रैस करने या फिर चायनाश्ता बनाने से जुड़े सवाल पूछे गए तब तक महिलाएं पुरुषों के मुकाबले में बराबरी पर थीं, लेकिन जब बिल पेमैंट, सैलरी ब्रेकअप, बीमा पौलिसी, बजट, निवेश, म्यूचुअल फंड, इनकम टैक्स से जुड़े सवाल पूछे गए तो महिलाओं और पुरुषों के बीच का फासला इतना बढ़ गया कि अंत में केवल पुरुष ही अगली कतार में खड़े नजर आए.
भारतीय शेयर बाजार में बाकी देशों की तुलना में पुरुषों और महिलाओं के बीच फासला में साफ नजर आएगा. ब्रोकरचूजर के आंकड़ों में पाया गया कि भारत में हर 100 निवेशकों में से सिर्फ 21 निवेशक ही महिलाएं हैं यानी उन की तादाद 21% ही है. वैसे भी पारंपरिक रूप से परिवारों में जो भी आर्थिक मामले होते हैं ज्यादातर उन का फैसला घर के पुरुष सदस्य ही करते हैं.
दरअसल, इस की वजह महिलाओं द्वारा इन विषयों में रुचि नहीं लेना है. बचपन से ही घर का माहौल कुछ ऐसा रहता है कि लड़कियां आर्थिक मसलों से जुड़े कामों या फैसलों से दूर ही रहती हैं. वे इन का दारोमदार पूरी तरह अपने पिता, भाइयों या फिर शादी के बाद पति पर छोड़ कर निश्चित हो जाती हैं. अपनी, घर की या देश की इनकम बढ़ाने के बारे में सामान्यतया ज्यादातर महिलाएं सोचती भी नहीं. वे खुद को घरगृहस्थी के कामों में उलझाए रखती हैं और इस तरह कहीं न कहीं वे खुद के साथ ही नाइंसाफी करती हैं.
रोजगार की स्थिति
इस मामले में यह समझना भी जरूरी है कि देश में महिलाओं के रोजगार की भी स्थिति कुछ ऐसी ही है. वर्ल्ड बैंक के 2020 के आंकड़ों के मुताबिक, भारत में लेबर फोर्स पार्टिसिपेशन रेट सिर्फ 18.6 फीसदी है. लेबर फोर्स पार्टिसिपेशन यानी कामकाजी उम्र की कितनी फीसदी महिलाएं काम कर रही हैं या काम की तलाश में हैं.
Bu hikaye Grihshobha - Hindi dergisinin September Second 2022 sayısından alınmıştır.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber ? Giriş Yap
Bu hikaye Grihshobha - Hindi dergisinin September Second 2022 sayısından alınmıştır.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber? Giriş Yap
स्ट्रैंथ ट्रेनिंग क्यों जरूरी
इस ढकोसलेबाजी को क्यों बंद किया जाए कि जिम जाना या वजन उठाना महिलाओं का काम नहीं.....
लड़कियों को लुभा रहा फोटोग्राफी कैरियर
फोटोग्राफी के क्षेत्र में पहले केवल पुरुषों का अधिकार था, लेकिन अब इस क्षेत्र में लड़कियां भी बाजी मारने लगी हैं....
समय की मांग है डिजिटल डिटौक्स
शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ और खुशहाल रहने के लिए बौडी डिटोक्स के साथ डिजिटल डिटौक्स भी जरूरी है....
पीरियडस क्या खाएं क्यो नहीं
मासिकधर्म के दौरान क्या खाना सही रहता है और क्या गलत, यहां जानिए...
पतिपत्नी रिश्ते में जरूरी है स्पेस
जरूरत से ज्यादा रोकटोक रिश्ते की मजबूती को बिगाड़ सकती है. ऐसे में क्या करें कि ताउम्र खुशहाल रहें....
औफिस के पहले दिन ऐसे करें तैयारी
औफिस में पहला दिन है, जानें कुछ जरूरी बातें....
क्या है अटेंशन डेफिसिट हाइपर ऐक्टिविटी डिसऑर्डर
क्या आप का बच्चा जिद्दी है, बातबात पर तोड़फोड़ करता है और खुद को नुकसान पहुंचा लेता है, तो जानिए वजह और निदान....
जब मन हो मंचिंग का
फ़ूड रेसिपीज
सेल सस्ती शौपिंग न पड़ जाए महंगी
अगर आप भी सस्ते के चक्कर में खरीदारी करने का शौक रखते हैं, तो यह जानकारी आप के लिए ही है....
डाइट के लिए बैस्ट है पिस्ता
पिस्ता सिर्फ एक गार्निश नहीं, एक न्यूट्रिशन पावरहाउस है....