नीलम के पति की अचानक मृत्यु से वह अपने दोनों छोटे बच्चों के साथ अकेली रह गई. बेटे की मृत्यु के बाद के ससुराल वाले आ कर कुछ दिन ठीकठाक रहे, उस के बाद सास और नीलम के साथ रोजरोज किसी न किसी बात को ले कर कहासुनी होने लगी. इस में उस की छोटी ननद भी मां के साथ मिल कर भलाबुरा कहने लगी. इस से बचने के लिए नीलम ने अपने पति की कंपनी में नौकरी की तलाश की और उसे नौकरी मिल गई, पर सास के ताने कम नहीं हुए, उन का कहना था कि भले ही तुम नौकरी करती हो, लेकिन घर का काम नहीं करती. मेरे लिए बच्चों की देखभाल करना और खाना बनाना संभव नहीं.
तब नीलम ने खाना बनाने वाली और घर के सारे कामों के लिए एक नौकरानी रख दी पर इस से भी सास संतुष्ट नहीं हुई क्योंकि वह अच्छा खाना नहीं बनाती. समस्या तो उस दिन हुई जब सास और ननद ने नीलम को अपने मायके जाने के लिए कह दिया. नीलम का कहना था कि मां के घर से उस का औफिस काफी दूर है, ऐसे में वहां जा कर रहना संभव नहीं और यह घर भी तो उस का है.
इस पर सास ने तुरंत कहा कि नहीं इस में तुम्हारा नाम नहीं है और तुम्हारे ससुर ने पैसा दिया था, इसलिए बेटा और पिता ने इसे तुम्हारी शादी से पहले खरीदा है, इसलिए तुम्हारा नाम नहीं है. इस पर नीलम ने कहा कि मैं तो उन की पत्नी हूं और कानूनन मेरा हक है.
इस पर सास ने कहा कि ठीक है, कानून की सहायता से लड़ लो क्योंकि पहले तुम ने ससुर की डैथ के बाद मुझे और मेरी बेटी को अपने पास नहीं रखा, मैं विवश हो कर अलग रही, लेकिन अब तुम भी उसी रास्ते पर हो, जहां पर मैं आज से कुछ साल पहले से हूं. तब नीलम को लगने लगा कि वह इस घर में नहीं रह सकती. शांति के लिए उसे घर छोड़ना पड़ेगा.
नीलम ने पिता को फोन कर अपनी बात बताई और बच्चों के साथ रहने चली गई. वहां भी कुछ दिनों तक ठीक था, लेकिन भाई और भाभी के आते ही कभी खाना तो कभी बच्चों को ले कर कहासुनी होने लगी. एक दिन नीलम ने अपनी सहेली को सारी बातें बताईं, तो सहेली ने उसे अलग किराए का घर ले कर रहने की सलाह दी, लेकिन बच्चों को छोड़ कर वह औफिस कैसे जाएगी? उस के पूछने पर सहेली ने उसे डे केयर में बच्चे को रखने की सलाह दी.
Bu hikaye Grihshobha - Hindi dergisinin September Second 2022 sayısından alınmıştır.
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