इस में कोई शक नहीं कि प्रजनन काल और अधेड़ उम्र की महिलाएं मोटापे के प्रति ज्यादा संवेदनशील होती हैं. ऐसा संभवतः हारमोन के उतारचढ़ाव के कारण होता है. इतना ही नहीं, पुरुषों की तुलना में महिलाएं इस के प्रति ज्यादा संवेदनशील होती हैं. वैसी महिलाएं जिन के शरीर में चरबी की मात्रा 30% से ज्यादा होती है मोटापे का शिकार मानी जाती हैं. यह मोटापा पूरी दुनिया के चिकित्सकों के लिए चैलेंज बना हुआ है क्योंकि इस से कई तरह की शारीरिक व मानसिक बीमारियां होने की संभावना बनी रहती हैं.
इन में स्तन, अंडाशय, मासिकचक्र में गड़बड़ी, जोड़ों की समस्याएं. पित्त की थैली की बीमारियों के साथसाथ मानसिक और | मनोवैज्ञानिक परेशानियां भी शामिल हैं. इन के अतिरिक्त हृदयरोग, उच्च रक्तचाप से ले कर डायबिटीज जैसे गंभीर रोग के होने की भी संभावना ज्यादा होती है.
कैंसर और मोटापा
हाल ही में औनलाइन ब्रिटिश मैडिकल जर्नल में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार महिलाओं में आधे से अधिक प्रजन्न अंगों और भोजन की नली में होने वाले कैंसर का कारण मोटापा या वजन का अधिक होना बताया गया है. जर्नल ने संयुक्त राष्ट्र की महिलाओं के संबंध में पहली बार अध्ययन और शोध के बाद व्यापक फलक में कैंसर के लिए एक अत्यंत विश्वसनीय रिपोर्ट प्रकाशित करने का दावा किया है.
रिपोर्ट में यह भी पूरे तथात्यामक प्रमाण के साथ बताया गया है कि मध्य वय तथा उम्रदराज महिलाओं में होने वाले कैंसर के 6% का कारण मोटापा होता है और प्रति वर्ष लगभग 6 हजार महिलाएं इस का शिकार होती हैं. यह भी दावा किया गया है कि कई ऐसे दूसरे अंग हैं जिन में भी कैंसर की संभावना बनी रहती है जैसे किडनी का कैंसर, रक्त कैंसर, पैंक्रियाज, ओवरी आदि का कैंसर, स्तन और पाचनतंत्र के कैंसर की भी संभावना बताई गई है.
संयुक्त राष्ट्र कैंसर रिसर्च ने पूरी दुनिया का सर्वाधिक बड़ा शोध होने का दावा करते हुए बताया है कि इस दौरान 10 लाख से भी ज्यादा महिलाओं पर अध्ययन किया गया और 7 वर्षों के दौरान 45 हजार कैंसर पीड़ितों का पता चला जिन में लगभग 17 हजार कैंसर पीड़ितों की मौत हो गई.
Bu hikaye Grihshobha - Hindi dergisinin November Second 2022 sayısından alınmıştır.
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