जब प्रेमी हाथ उठाए
Grihshobha - Hindi|December Second 2022
हिंसा पर बेबसी का एहसास और इस का आदी हो जाना बहुत से मामलों में महिला को अवसाद की ओर ले जाता है, जहां दर्द उस की जिंदगी का हिस्सा बन जाता है...
गरिमा पंकज
जब प्रेमी हाथ उठाए

जय कोई आप को थप्पड़ मारता है तो होता है? क्या बस एक सैकंड का दर्द हो कर सब नौर्मल हो जाता है ? नहीं, ऐसा नहीं है, बौयफ्रैंड या पार्टनर के हाथों जब आप को थप्पड़ मारा जाता है तो गालों पर चोट लगने के साथसाथ कानों में एक सनसनी सी भी गूंजती है जो पूरे शरीर को पत्थर सा बना देती है. आप अपना संतुलन खो बैठती हैं क्योंकि यह चोट दिल में कहीं गहराई तक जा कर लगती है. आप का चेहरा लाल हो जाता है, कान में थप्पड़ की आवाज गूंजती रहती है और दूसरी सभी आवाजें म्यूट हो जाती हैं. बहुत समय तक लगता है सबकुछ नौर्मल होने में या फिर यह कह लें कि वह रिश्ता फिर कभी नौर्मल हो ही नहीं पाता. कभी लाचारी में और कभी प्यार में स्त्री कई बार सब सहती रहती है.

कई बार लड़कियां या महिलाएं अपने पार्टनर के खिलाफ कुछ नहीं बोलतीं और इस बात को नकारती हैं कि उन के साथ दुर्व्यवहार हो रहा है. इस का एक बड़ा कारण पुरुषों द्वारा आत्मग्लानि का शातिराना दिखावा करना होता है. महिला फिर से पुरुष को मौका देती है. यह प्रक्रिया बारबार दोहराई जाती है और तब कई बार अंत बहुत बुरा होता है

शर्मनाक घटना

हाल ही में मानवीय संवेदनाओं को झकझोर देने वाली एक घटना ने सब का ध्यान खींचा है. दक्षिणी दिल्ली के छतरपुर इलाके में 28 साल के आफताब पूनावाला ने 18 मई को अपनी गर्लफ्रैंड और लिव इन पार्टनर श्रद्धा वालकर (27 वर्ष) की बहुत ही दरिंदगी के साथ हत्या कर दी. फिर शव के कई टुकड़े कर फ्रिज में रखे और उन्हें धीरेधीरे शहर के कई हिस्सों में फेंकता रहा.

दोनों की मुलाकात मुंबई में एक डेटिंग ऐप के जरीए 2018 में हुई थी. 2019 में श्रद्धा ने अपनी मां को अपने बौयफ्रैंड आफताब के बारे में बताया था और साथ रहने की इच्छा जताई थी. लेकिन मां ने अलग धर्म होने की वजह से इनकार कर दिया था. इस के बाद श्रद्धा ने नाराज हो कर घर छोड़ दिया और आफताब के साथ लिव इन में रहने लगी.

आफताब पहले भी श्रद्धा पर कई बार हाथ उठा चुका था. श्रद्धा के दोस्त ने फोटो शेयर करते हुए 2 साल पहले दिसंबर, 2020 में आरोपी आफताब के द्वारा उस की पिटाई का दावा किया और कुछ फोटो शेयर किए जिन में श्रद्धा के चेहरे पर चोट के कई निशान नजर आ रहे थे.

Bu hikaye Grihshobha - Hindi dergisinin December Second 2022 sayısından alınmıştır.

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