आमतौर पर देखा जाता है कि गांव की औरतों की तुलना में शहर की औरतें ज्यादा सुंदरसलोनी और कमनीय होती हैं. उन की स्किन साफ और चमकदार होती है. इस की वजह है ब्यूटीपार्लर की सुविधा और कौस्मैटिक्स का इस्तेमाल, जो गांव की औरतों को उपलब्ध नहीं होता. लेकिन शहरी औरतों की शारीरिक ताकत और इम्यूनिटी गांव की औरतों के मुकाबले काफी कम होती है.
गांव की औरतों को बीमारियां भी शहरी औरतों की अपेक्षा कम होती हैं. बड़ी बीमारी प्रसव या मासिक से जुड़ी होती है. साधारण सर्दीबुखार तो घरेलू दवा जैसे काढ़े आदि के प्रयोग से ही ठीक हो जाता है. मगर शहर की औरतों को तनाव, ब्लड प्रैशर, सांस फूलना, हृदय रोग, अथ्रराइटिस, स्किन प्रौब्लम, बाल झड़ना, अवसाद जैसी तमाम तकलीफें बहुत कम उम्र में ही शुरू हो जाती हैं, उन के रोजमर्रा के जीव को तबाह कर देती हैं.
राधिका एक मध्यवर्गीय परिवार की बहू है. उम्र 29 साल है. शादी को 6 साल हो चुके हैं. उन का एक 4 साल का बेटा है जो अब स्कूल जाने लगा है. यह एक अच्छा खातापीता परिवार है. जरूरत की सभी चीजें घर में हैं. कामवाली भी लगी है.
बीते 2 महीनों से राधिका को महसूस हो रहा है कि अपने फ्लोर की सीढ़ियां चढ़ते हुए उस की सांस चढ़ने लगी है. छत पर जाती है तो दिल की धड़कन बढ़ जाती है और हलक सूख जाता है. उस ने अपना वजन नापा तो पहले से 10 किलोग्राम बढ़ चुका था. राधिका चिंतित हो उठी. सांस का फूलना यकीनन बढ़ते वजन के कारण है, इसे किसी भी तरह कम करना होगा यह सोच कर राधिका ने कामवाली की छुट्टी कर दी. सोचा अब घर का झाड़पोंछा, बरतन वह स्वयं करेगी. इस से उस का बढ़ा हुआ वजन कम हो जाएगा और रोजाना अच्छी वर्जिश हो जाएगी.
मशीनों के सहारे जिंदगी
राधिका ने सुबह जल्दी उठ कर झाड़पोंछा शुरू किया, लेकिन यह उस के लिए आसान नहीं था. घर में झाडू लगाने में राधिका को 15 मिनट का समय लगा. मगर इन 15 मिनट में झुकेझुके उस की कमर में दर्द हो गया. कामवाली जिस तरह आराम से उंकडू बैठ कर पोंछा लगाती थी वैसे तो राधिका बैठ ही नहीं पाई. फिर उस ने खड़ेखड़े पैरों से ही पोंछा लगाया. आधे घंटे के काम के बाद वह निढाल हो कर बिस्तर पर पड़ गई. उस दिन नाश्ता और लंच उस की सास को बनाना पड़ा.
Bu hikaye Grihshobha - Hindi dergisinin January Second 2023 sayısından alınmıştır.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber ? Giriş Yap
Bu hikaye Grihshobha - Hindi dergisinin January Second 2023 sayısından alınmıştır.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber? Giriş Yap
2024 के ये आइटम सौंग्स क्यों हुए पौपुलर
जानिए 2024 के लोकप्रिय और धमाकेदार आइटम नंबर, जो पहुंचे दर्शकों के दिलों तक...
मौडर्न सोच बनाएगी रिश्ता मजबूत
आप की सोच किस तरह रिश्तों को मजबूत बनाए रख सकती है, एक बार जानिए जरूर...
वर्किंग कपल्स की स्पैशल किचन
किचन में वर्किंग कपल्स का काम करेंगे ये आसान टिप्स...
स्टूडैंट पौलिटिक्स में गर्ल्स जरूरी
छात्र राजनीति किस तरह सकारात्मक परिवर्तन की शुरुआत है, एक बार जानिए जरूर...
मैस्कुलिन ड्रैस स्टाइल भी कौन्फिडेंस भी
आजकल मैस्कुलिन ड्रैस वर्किंग वूमन के लिए सुरक्षित और बेहतर विकल्प बन गए हैं....
क्या है हेयर ग्लौस ट्रीटमैंट
आप भी अपने बालों को हैल्दी और शाइन बनाना चाहते हैं, तो यह जानकारी आप के लिए ही है.....
न्यू ईयर फैशन टिप्स
नए साल में ग्लैमरस लुक के लिए फैशन के ये टिप्स बड़े काम के साबित होंगे....
किट्टी पार्टी स्नैक्स
किट्टी पार्टी में बनाये यह स्वादिष्ट स्नैक्स
जैनरेशन जैड की स्मार्ट स्टाइलिंग
नए साल में अपने लुक को ट्रैंडी बनाना चाहते हैं, तो ये फैशन ट्रेंड्स और स्टाइलिंग टिप्स आजमाएं...
क्यों जरूरी है विंटर में वैक्सिंग
सर्दी के मौसम में वैक्स कराना खूबसूरती और हैल्थ के लिए क्यों जरूरी है, जरूर जानिए...