मटन के नाम पर कुत्तों का मांस बेचा जा रहा था अंशुमन झा
Grihshobha - Hindi|March Second 2023
अभिनेता व निर्माता अंशुमन पशुओं के प्रति लोगों के नजरिए में बदलाव लाने के लिए हमेशा कुछ न कुछ करते रहते हैं. ऐसा वे क्यों करते हैं, जानिए खुद उन्हीं से...
शांतिस्वरूप त्रिपाठी
मटन के नाम पर कुत्तों का मांस बेचा जा रहा था अंशुमन झा

'लव सैक्स और धोखा' से बौलीवुड में अभिनय का कैरियर शुरू करने वाले अंशुमन झा ने 13 वर्ष की उम्र में थिएटर से शुरुआत की थी. फिल्मों में अभिनय करने से पहले उन्होंने सुभाष घई के साथ मुख्य सहायक निर्देशक और जौन ओवेन के साथ बतौर ऐसोसिएट निर्देशक भी काम किया. बहरहाल, बतौर अभिनेता पिछले 11 वर्ष के अंतराल में अंशुमन झा 'यह है बकरापुर, ' 'चैरंगा, ' 'नो फादर्स इन कश्मीर' और 'हम भी अकेले तुम भी अकेले' सहित कई फिल्मों व 'मस्तराम' सहित कुछ वैब सीरीज में अपने अभिनय के कई रंग दिखा चुके हैं.

अब वह बतौर अभिनेता व निर्माता पशुओं के प्रति लोगों के नजरिए में बदलाव लाने के मकसद से ऐक्शनप्रधान फिल्म 'लकड़बग्घा' ले कर आए हैं. सिनेमाघरों में पहुंचने से पहले विक्टर मुखर्जी द्वारा निर्देशित यह फिल्म कई अंतर्राष्ट्रीय फिल्म समारोहों में शोहरत बटोर चुकी है.

प्रस्तुत हैं, अंशुमन झा से हुई बातचीत के कुछ अंश :

13 वर्ष की उम्र में आप ने थिएटर करना शुरू किया था. उस वक्त इस बात की समझ नहीं होती है कि किस क्षेत्र में कैरियर बनाना है. ऐसे में थिएटर से जुड़ना कैसे हुआ?

जब मैं 5 वर्ष का था और इलाहाबाद में रहता था, तब एक दिन मेरे घर फिल्म 'त्रिदेव' का वीएचएस रह गया. वीएचएस किराए पर देने वाले की दुकान बंद हो चुकी थी. तो उस फिल्म को मैं ने 30-40 बार देखा और मुझे नसीरुद्दीन शाह से प्यार हो गया. तभी मैं ने अपनी मां से कहा कि मुझे तो यही करना है. कुदरत का शुक्रगुजार हूं कि मुझे बहुत जल्दी क्लीयरिटी दे दी कि मुझे किस चीज से प्यार है. मुझे फिल्म के सैट पर काम करने में सब से ज्यादा आनंद आता है. मेरे लिए अभिनय आनंद पाने का जरीया है. अभिनय करते समय मैं खुश नहीं बहुत आनंदमय होता हूं.

वैसे मैं पढ़ाई में बहुत अच्छा था, तो मेरे मातापिता चाहते थे कि मैं इंजीनियर बनूं. फिर हम इलहाबाद से दिल्ली पहुंच गए. दिल्ली में नाटक का माहौल मिला. मुंबई में मेरी बहन रहती थी, इसलिए मैं अकसर पृथ्वी थिएटर पर वर्कशॉप के लिए मुंबई आता रहता था.

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