शदी से पहले सरिता सिन्हा ने ग्रैजुएशन खत्म होने के बाद कई कोर्स किए थे जैसे अचार, जैम, चटनी बनाने का कोर्स, सिलाईकढ़ाई का कोर्स और गार्डनिंग तो उस को बड़े भैया ने सिखा दी थी. लेकिन यह सब उस ने इसलिए सीखा था ताकि किसी अच्छे परिवार में उस की शादी हो जाए और इन खूबियों के चलते ससुराल में उस का मानसम्मान बना रहे. यह न कहा जाए कि लड़की को कुछ आताजाता नहीं है.
शादी के बाद सरिता को घर के कामों से ही फुरर्सत नहीं मिलती थी. ननद और देवर दोनों छोटे थे, पढ़ रहे थे. पति और ससुरजी नौकरी में थे. सुबहसुबह इन सब का चायनाश्ता, फिर दोपहर के भोजन की तैयारी और फिर घर की साफसफाई कब दिन कैसे बीत जाता सरिता को पता ही नहीं चलता था.
3 साल के अंदर 2 बच्चे हो गए तो वह और व्यस्त हो गई. समय पंख लगा कर उड़ता गया. ननद की शादी हो गई. सासससुर छोटे बेटे के परिवार के साथ रहने लगे और सरिता अपने 2 बच्चों और पति के साथ रह गई. तीजत्योहार पर ही अब सब का मिलनामिलाना होता है. आज सरिता का बड़ा बेटा हाई स्कूल में पहुंच गया है और छोटा 9वीं कक्षा में है.
खाली समय का सदुपयोग
अब काम का इतना बोझ भी नहीं है. पति के औफिस और बच्चों के स्कूल चले जाने के बाद दिन में काफी समय सरिता खाली ही होती है. एक दिन पौधे वाला दरवाजे से निकला तो सरिता ने 4-5 पौधे और कुछ गमले उस से खरीद लिए. सोचा आंगन के एक कोने में कुछ फूल के पौधे लगा देगी. बागबानी का शौक तो बचपन से था, मगर शादी के बाद 16-17 सालों में इस के लिए कभी वक्त नहीं मिला.
मगर अब जो समय हाथ आया तो सरिता ने अपने आंगन का एक कोना फूलपौधों से सजा लिया. अपने हाथों से लगाए पौधों में जब फूल आने लगे तो सरिता ही नहीं बच्चे और पति भी उन्हें देख कर बहुत खुश हुए.
आंगन बड़ा था. सरिता ने कई क्यारियां बना कर मिर्च, धनिया, टमाटर और बैगन के बीज भी रोप दिए. जल्द ही पौधों ने जमीन से सिर निकाला. नन्हेनन्हे पौधे देख कर सरिता झूम उठी. वक्त काटने का यह बहुत अच्छा काम उसे मिल गया. फिर यूट्यूब पर गार्डनिंग के नएनए तरीके देख कर उस ने घर की छत पर पूरा किचन गार्डन ही तैयार कर लिया. इस काम में बच्चों ने भी खूब मदद की.
शौक बन गया व्यवसाय
Bu hikaye Grihshobha - Hindi dergisinin April Second 2023 sayısından alınmıştır.
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