अच्छी सेहत पाने की चाहत हर किसी की रहती है. यह चाहत कई बार इस कदर बढ़ बढ़ जाती है कि लोग अपना तनाव बढ़ा लेते हैं, जिस की वजह से अच्छी सेहत पाने के लिए टैंशन होने लगती है जिस से सेहत और भी खराब हो जाती है. हर किसी का वजन, सुंदरता, बालों का रंग, बालों का होना या न होना, लंबाई सब अलगअलग हो सकता है. सब के अंदर बस एक बात कौमन होती है कि सब को सुंदर और स्मार्ट दिखना है.
मगर हरकोई एकजैसा नहीं दिख सकता क्योंकि सब की सेहत और शरीर अलगअलग होता है. जैसे जैसे उम्र गुजरती जाती है वैसेवैसे लोगों के अंदर अच्छी सेहत बनाने का रुझान भी बढ़ता जाता है. इस के लिए वे तमाम जतन करते हैं जैसे वे ऐक्सरसाइज करने लगते हैं, खानेपीने में तमाम तरह के परहेज करने लगते हैं, डाइटीशियन के अनुसार खाना लेने लगते हैं.
मनोविज्ञानी नेहा तिवारी कहती हैं, "अच्छी सेहत की सोच रखने वाले तमाम लोग ऐसे होते हैं जो अपने सामने किसी फिल्मी हीरो, हीरोइन, मौडल या खिलाड़ी को रखते हैं. विज्ञापनों में जल्दी परिणाम पाने के तमाम तरह के तरीके बताए जाते हैं. एक तय समय में अपनी सोच के अनुसार परिणाम पाते दिखाया जाता है जैसे किसी ने 30 दिन में 20 किलोग्राम वजन कम कर लिया, अपनी कमर का साइज या मोटापा कम कर लिया. हो सकता है कि रियल लाइफ में यह परिणाम देर से मिले और उस के लिए ज्यादा समय देना पड़े. कई बार बहुत कुछ करने पर भी परफैक्ट परिणाम नहीं मिलता. ऐसे में टैंशन होने लगती है. यह टैंशन अच्छी सेहत पाने के लिए होती है पर यह सेहत को और खराब कर सकती है."
Bu hikaye Grihshobha - Hindi dergisinin May Second 2023 sayısından alınmıştır.
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