हाल ही में सुप्रीम कोर्ट में मणिपुर हिंसा खासकर महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमाने के मामले में सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान ही वकील और भाजपा की दिग्गज नेता सुषमा स्वराज की बेटी बांसुरी स्वराज जिन्हें हाल ही में बीजेपी ने दिल्ली प्रदेश संगठन में राज्य सचिव नियुक्त किया है ने दलील दी कि पश्चिम बंगाल में भी महिलाओं के खिलाफ हिंसा के 9 हजार से अधिक मामले सामने आए हैं. उन्होंने अदालत से कहा कि यह अदालत जिस भी तरीके से मणिपुर में मामले की जांच कराना चाहती है ठीक उसी तरह की जांच पश्चिम बंगाल, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और केरल में भी होनी चाहिए क्योंकि वहां भी इसी तरह की घटनाएं हुई हैं.
इस दलील को चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने सिरे से खारिज करते हुए कहा कि मणिपुर में जो कुछ हुआ उसे हम यह कह कर उचित नहीं ठहरा सकते कि ऐसा कहीं और भी हुआ है. यह घटना अभूतपूर्व है. यहां हिंसा सांप्रदायिक भी है और विभिन्न संप्रदायों के बीच भेदभाव, घृणा या पूर्वाग्रह से ग्रस्त भी है.
हकीकत यही है कि महज यह दलील दे कर कि इस तरह की घटनाएं अलगअलग जगह पहले भी हो चुकी हैं, न्याय विभाग अपने दायित्व से मुंह नहीं मोड़ सकता. जबकि यहां हालात और मामले की गंभीरता एक अलग ही लैवल पर है. हम इस की तुलना पश्चिम बंगाल या किसी अन्य राज्य की घटना से नहीं कर सकते. मणिपुर में जो कुछ हुआ वह मानवता को शर्मसार करने वाला है.
हम मणिपुर की घटना को इस आधार पर उचित नहीं ठहरा सकते कि ऐसी घटनाएं अन्य राज्यों में भी हुई हैं. यह कानून और प्रशासन की जिम्मेदारी है कि उन दोनों महिलाओं को न्याय मिले. इस तरह के मामलों में सब से पहले सरकार का यह दायित्व बनता है कि वह पीड़ितों को जल्द से जल्द कानूनी सहायता मुहैया कराए और उन के पुनर्वास का इंतजाम करे. दोषी लोगों की तुरंत गिरफ्तारी हो ताकि और कोई ऐसा करने की हिम्मत न करे.
मणिपुर मामले की जांच पर बांसुरी स्वराज की दलील को चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने सिरे से खारिज करते हुए कहा कि मणिपुर में जो कुछ हुआ उसे हम यह कह कर उचित नहीं ठहरा सकते कि ऐसा कहीं और भी हुआ है. यह घटना अभूतपूर्व है. यहां हिंसा सांप्रदायिक भी है और विभिन्न संप्रदायों के बीच भेदभाव, घृणा या पूर्वाग्रह से ग्रस्त भी है...
क्या है मामला
Bu hikaye Grihshobha - Hindi dergisinin August Second 2023 sayısından alınmıştır.
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