वैवाहिक रिश्ते कभी प्यार कभी तकरार
Grihshobha - Hindi|December First 2023
शादी के नाम जिंदगी को दुखद बना कर ढोना गलत है. थोड़ी सूझबूझ से आप इसे किस तरह खूबसूरत बना सकते हैं, जरूर जानिए...
रीता गुप्ता
वैवाहिक रिश्ते कभी प्यार कभी तकरार

मोला और अक्षत के प्रेमविवाह को करीब 4 वर्ष हो चुके थे. दोनों की एक छोटी बेटी भी थी, पर ऐसा लगता था कि दोनों के बीच प्रेम कपूर बन उड़ गया हो. दोनों ही गरममिजाज थे. उन का झगड़ा कहीं भी कभी भी किसी भी जगह शुरू हो जाता. जब दोनों गुस्से में होते तो उन्हें यह भी ध्यान नहीं रहता कि वे किस के सामने झगड़ रहे हैं. जब वे एकदूसरे पर दोषारोपण कर रहे होते तो बेटी उन्हें सहमी सी देखती.

एक बार रमोला की मम्मी बेटीजमाई के घर गई हुई थी. आएदिन दोनों आदत के अनुसार उन के समक्ष भी बहस कर लेते. ज्यादातर बहस घरेलू कामों को ले कर होती थी. चूंकि रमोला भी नौकरी थी तो उसे लगता अक्षत उस की मदद करे. मगर अक्षत मनमौजी सा इंसान था. जब मन होता करता वरना हाथ नहीं बंटाता.

उन के घर के कलहयुक्त वातावरण से घबरा कर रमोला की मम्मी एक दिन बोल पड़ीं, "यदि नहीं पटती है तो दोनों अलग हो जाओ. जबरदस्ती साथ रह कर दुखी मत रहो. बच्ची पर भी इस का गलत असर पड़ रहा है." 

"पर पहले जरा यह सोचो कि एकदूसरे की किन खूबियों को देख कर तुम दोनों ने प्रेमविवाह किया था. हमें तो लगा था एकदूजे को पसंद करते होंगे पर तुम दोनों के व्यवहार से तो ऐसा नहीं लगता है. ऐसे में अच्छा है कि अलग ही हो जाओ."

Bu hikaye Grihshobha - Hindi dergisinin December First 2023 sayısından alınmıştır.

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