मैंस्टुअल कप्स उन दिनों की चिंता से आजादी
Grihshobha - Hindi|January First 2024
मैंस्ट्रुअल कप्स का प्रचलन यों तो भारत में आम नहीं हुआ है, मगर महिलाओं के लिए यह कितना उपयोगी है, जरूर जानिए...
डा. नाजिया खान
मैंस्टुअल कप्स उन दिनों की चिंता से आजादी

समाचारपत्रों ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि 75% सैनिटरी पैड्स तयशुदा मानकों पर खरे नहीं उतरे हैं और इन से मूत्र संक्रमण एवं गर्भाशय संक्रमण से ले कर गर्भाशय कैंसर तक का खतरा है. जो सुरक्षित हैं, वे बहुत महंगे हैं और कोई फुल डे तो कोई फुल नाइट प्रोटैक्शन की बात करता है इसलिए भी 5-6 घंटे में बदले नहीं जाते.

अभी केवल 12% भारतीय महिलाएं इस विकल्प को वहन कर सकती हैं फिर भी औसतन किसी महिला के अपने जीवनकाल में 125-150 किलोग्राम टैंपन, पैड और ऐप्लिकेटर प्रयुक्त करने का अनुमान है. प्रतिमाह भारत में 43.3 करोड़ ऐसे पदार्थ कूड़े में जाते हैं, जिन में से अधिकांश रिवर बैड, लैंडफिल या सीवेज सिस्टम में भरे मिलते हैं क्योंकि एक तो ठीक से डिस्पोज करने की व्यवस्था नहीं होती और दूसरा अपशिष्ट बीनने वाले सफाईकर्मी हाथों से सैनिटरी पैड्स और डायपर्स को अलग करने के प्रति अनिच्छुक होते हैं, जबकि उन को अलग कर के उन्हें जलाने के लिए तैयार करना भारत सरकार की नगरपालिका ठोस अपशिष्ट प्रबंधन और हैंडलिंग नियमों के तहत आवश्यक है.

मैंस्ट्रअल कप्स का प्रचलन भारत में अभी आम नहीं हुआ है. छोटे ही नहीं, बड़े शहरों में भी बहुत कम महिलाएं इन का उपयोग करती हैं.

मैंस्ट्रुअल कप्स के कम प्रचलन के कारण

• सब से पहला और सब से बड़ा तो यही कि अभी तक कई लोगों ने इस के बारे में ने सुना भी नहीं है.

• हमारे शरीर की रचना के प्रति ही इतनी अनभिज्ञता है कि इसके सही प्रयोग का तरीका नहीं पता होता.

• आज भी समाज में दाग लगने का हौआ इतना है कि मासिकस्राव शुरू होने से पहले ही इस का ट्रायल करने के बारे में सोचा जाता है जबकि सर्विक्स माहवारी के दौरान ही इतना नर्म और लचीला होता है कि इसे आसानी से लगाया जा सके. बाकी दिनों में बहुत मुश्किल और कष्टप्रद होता है.

• सही आकार का चुनाव भी समस्या है. यह उम्र और प्रसव के प्रकार पर निर्भर है.

Bu hikaye Grihshobha - Hindi dergisinin January First 2024 sayısından alınmıştır.

Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.

Bu hikaye Grihshobha - Hindi dergisinin January First 2024 sayısından alınmıştır.

Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.

GRIHSHOBHA - HINDI DERGISINDEN DAHA FAZLA HIKAYETümünü görüntüle
पेट है अलमारी नहीं
Grihshobha - Hindi

पेट है अलमारी नहीं

फ्री का खाना और टेस्ट के चक्कर में पेटू बनने की आदत आप को कितना नुकसान पहुंचा सकती है, क्या जानना नहीं चाहेंगे...

time-read
5 dak  |
November First 2024
इंटीमेट सीन्स में मिस्ट्री जरूरी..अपेक्षा पोरवाल
Grihshobha - Hindi

इंटीमेट सीन्स में मिस्ट्री जरूरी..अपेक्षा पोरवाल

खूबसूरती और अदाकारी से दर्शकों के दिलों पर राज करने वाली अपेक्षा का मिस इंडिया दिल्ली से बौलीवुड तक का सफर कैसा रहा, जानिए खुद उन्हीं से...

time-read
4 dak  |
November First 2024
टैंड में पौपुलर ब्रालेट
Grihshobha - Hindi

टैंड में पौपुलर ब्रालेट

जानिए ब्रालेट और ब्रा में क्या अंतर है...

time-read
3 dak  |
November First 2024
रैडी टु ईट से बनाएं मजेदार व्यंजन
Grihshobha - Hindi

रैडी टु ईट से बनाएं मजेदार व्यंजन

झटपट खाना कैसे बनाएं कि खाने वाले देखते रह जाएं...

time-read
4 dak  |
November First 2024
संभल कर करें औनलाइन लव
Grihshobha - Hindi

संभल कर करें औनलाइन लव

कहते हैं प्यार अंधा होता है, मगर यह भी न हो कि आप को सिर्फ धोखा ही मिले...

time-read
2 dak  |
November First 2024
बौलीवुड का लिव इन वाला लव
Grihshobha - Hindi

बौलीवुड का लिव इन वाला लव

लिव इन में रहने के क्या फायदेनुकसान हैं, इस रिलेशनशिप में रहने का फायदा लड़कों को ज्यादा होता है या लड़कियों को, आइए जानते हैं...

time-read
5 dak  |
November First 2024
ग्लोइंग स्किन के लिए जरूरी क्लींजिंग
Grihshobha - Hindi

ग्लोइंग स्किन के लिए जरूरी क्लींजिंग

जानिए, आप अपनी स्किन को किस तरह तरोताजा और खूबसूरत रख सकती हैं...

time-read
3 dak  |
November First 2024
करें बातें दिल खोल कर
Grihshobha - Hindi

करें बातें दिल खोल कर

भावनाओं को व्यक्त करने के लिए एक सच्चा दोस्त जरूरी है, मगर मित्र बनाते समय इन बातों का ध्यान जरूर रखें...

time-read
3 dak  |
November First 2024
क्रेज फंकी मेकअप का
Grihshobha - Hindi

क्रेज फंकी मेकअप का

अपने लुक के साथ ऐसा क्या करें जो पारंपरिक मेकअप से अलग हो...

time-read
2 dak  |
November First 2024
दिखेगी बेदाग त्वचा
Grihshobha - Hindi

दिखेगी बेदाग त्वचा

गर्ल्स में ऐक्ने की समस्या आम होती है. यह समस्या तब और पेरशान करती है जब किसी पार्टी में जाना हो या फिर फ्रैंड्स के साथ आउटिंग पर बहुत सी लड़कियां दादीनानी के घरेलू उपाय अपनाती हैं लेकिन इन से ऐक्ने जाते नहीं.

time-read
1 min  |
November First 2024