आज का 21वीं सदी का पढ़ालिखा, पैसे वाला, अंग्ररेजी बोलनेसमझने वाला और धर्म के चक्करों में घिरा आधुनिक समाज एक औरत की खुशी बरदाश्त नहीं कर सकता. आज भी विधवा या डिवोर्स हो जाने के बाद औरत को खुश रहने का कोई हक नहीं. उसे अपनी जिंदगी अपनी मरजी से जीने का कोई अधिकार नहीं है. उसे समाज की घिनौनी और दकियानूसी मानसिकता के अनुसार ही जीना होगा.
दोगला समाज एक तरफ स्त्री सशक्तीकरण के राग अलाप रहा है और दूसरी तरफ अगर कोई स्त्री चुटकीभर खुश रह कर गम को भुलाने की कोशिश करते जी रही है तो उस पर ढेरों लांछन लगा कर व्यंग्यबाण छोड़ने से नहीं चूकता.
हाल ही में सोशल मीडिया के इंस्टाग्राम पर नीतू सिंह (नीतूऋषि कपूर) की एक पोस्ट पर लोगों की टिप्पणियां हैरान कर देने वाली हैं. लोगों द्वारा की गई गंदी व भद्दी टिप्पणियां उन के मानसिक दिवालियापन और दकियानूसीपन को दर्शाती हैं.
कुछ अरसा पहले ऋषि की कैंसर से मृत्यु हो गई थी. नीतू कपूर दुनिया में अकेली रह गई. अब आहिस्ता आहिस्ता दुख को भूलने की कोशिश में खुद को व्यस्त रखते हुए काम करने लगी है.
गुनाह क्यों
टीवी पर एक शो की जज के तौर पर जाहिर सी बात है वह सफेद साड़ी पहन कर तो नहीं बैठेगी. थोड़ा सा सजधज लिया, हंसबोल लिया या दर्शकों की फरमाइश पर डांस के 2 स्टैप्स क्या कर लिए जैसे कोई बहुत बड़ा गुनाह कर दिया हो. वे लोग जो भगवा ट्रोल करने के आदी हैं, इस मौके को भला कैसे छोड़ते. उन्होंने जबरदस्त ट्रोल किया.
'कुछ तो शर्मलिहाज करो,' 'ऋषि कपूर को गुजरे कुछ समय ही बीता है,' 'इसे तो कोई दुख ही नहीं है,' कैसे ऐसे, 'कपड़े पहन सकती है,' 'कैसे नाच सकती है,' वगैरहवगैरह मैसेजों की बाढ़ सी आ गई.
Bu hikaye Grihshobha - Hindi dergisinin February First 2024 sayısından alınmıştır.
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