12 क्लास में पढ़ने वाली काव्या पर जब 2 अनजान मनचलों ने कमैंट पास किया तो उस से रहा नहीं गया. वह उन लड़कों से भिड़ गई और लड़कियों की तरह काव्या उन से डरी नहीं बल्कि उन का डट कर सामना किया. पहले सिर्फ जबानी लड़ाई हुई, फिर बात हाथापाई पर आ गई. काव्या ने भी अपने हाथपैर चलाने शुरू कर दिए. मनचले काव्या की हिम्मत देख कर डर गए और वहां से भाग खड़े हुए.
काव्या का उन मनचलों से न डरने का कारण था उस का आत्मविश्वास. यह आत्मविश्वास उसे जिम जा कर मसल्स बना कर मिला, जहां उस ने जाना कि हर लड़की अपनी लड़ाई खुद लड़ने में सक्षम है, बस उसे अपनी ताकत का एहसास होना चाहिए.
जिस वक्त लड़कियां पार्लर का रुख कर रही थीं उस वक्त काव्या ने जिम को चुना. वह जानती थी कि आज के समय में जिम जाना बेहद जरूरी है. एक ओर जहां देश में महिलाओं के प्रति हिंसा और बलात्कार जैसे मामले दिनबदिन बढ़ रहे हैं. वहीं दूसरी ओर महिलाओं को अपनी सुरक्षा खुद ही करनी होगी क्योंकि मणिपुर में हुई महिलाओं के खिलाफ भयानक हिंसा ने यह साबित कर दिया कि महिलाओं की सुरक्षा अब सरकार के हाथ में नहीं. इस घटना ने न सिर्फ सरकार की काररवाई पर सवाल खड़े किए बल्कि उस के अस्तित्व पर भी प्रश्नचिह्न लगा दिया. महिलाओं को यह भी समझा दिया कि उन्हें अपनी रक्षक खुद ही बनना होगा.
अकसर होता यह है कि लड़कियां फैशन के मारे ब्यूटीपार्लर का रुख कर लेती हैं और अपनी शारीरिक ताकत पर बिलकुल भी ध्यान नहीं देती हैं. माना कि खूबसूरती महिलाओं के लिए जरूरी है लेकिन इस से भी कई ज्यादा जरूरी है आप की शारीरिक ताकत जो आप को हर मुश्किल का सामना करने की हिम्मत और कौन्फिडेंस देती है.
ऐक्सपीरियंस
जिम से जुड़ा अपना ऐक्सपीरियंस बताते हुए मध्य प्रदेश की जिला खेल अधिकारी उमा पटेल कहती हैं हर दिन शाम को औफिस का काम निबटाने के बाद मैं जिम जाती हूं. 2 घंटे व्यायाम करने के बाद स्वयं को चुस्तदुरुस्त रखती हूं. मैं ने खेल और जिम को ही अपनी हौबी बना लिया है. मैं 2006 से जिम में नियमित समय दे रही हूं. यही वजह है कि आज मेरे नाम कई खिताब हैं. वे कहती हैं कि लगातार मेहनत और जिम जाने के कारण मैं एमपी की स्ट्रॉंग वूमन भी बनी हूं.
Bu hikaye Grihshobha - Hindi dergisinin August Second 2024 sayısından alınmıştır.
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