8 अगस्त, 2023 को गुजरात हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति ए. एस. सुपेहिया और एम.आर. मेंगडे की डिवीजन बेंच में बिरजू सल्ला उर्फ अमर सोनी बनाम गुजरात सरकार की सुनवाई चल रही थी. 2019 में बिरजू सल्ला को एनआईए की स्पैशल कोर्ट से आजीवन कारावास एवं 5 करोड़ रुपए के माने की सजा सुनाई गई थी. इसके अलावा उनकी तमाम प्रौपर्टी भी जब्त करने का आदेश दिया गया था. इस के बाद बिरजू सल्ला ने इस सजा के खिलाफ गुजरात हाईकोर्ट में अपील की थी.
बिरजू सल्ला ने खुद को निर्दोष साबित करने के लिए हाईकोर्ट के सीनियर वकीलों की पूरी फौज खड़ी कर दी थी. उन की ओर से सीनियर एडवोकेट हार्दिक मोध अपने सहयोगियों के साथ बहस के लिए खड़े थे. उन के सहायक भी उन के साथ खड़े थे.
एडवोकेट हार्दिक मोध ने कहा, "माई लार्ड, मेरा मुवक्किल एक बहुत बड़ा बिजनैसमैन है, जिसकी समाज में ही नहीं, व्यापार जगत में बड़ी इज्जत है. जैसा कि उस के बारे में कहा गया है कि उस ने एक लड़की के लिए जेट एयरवेज को बदनाम करने के लिए जेट एयरवेज के हवाई जहाज के टायलेट में एक धमकी भरा पत्र रखा था कि अगर हवाई जहाज को पीओके यानी पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर नहीं ले जाया गया तो उसे उड़ा दिया जाएगा.
सबूत के तौर पर वह पत्र अदालत में पेश किया गया था. अब सवाल यह उठता है कि पुलिस ने यह कैसे साबित कर दिया कि टायलेट में वह पत्र हमारे मुवक्किल ने ही रखा था?"
फाइल पलट रहे दोनों न्यायाधीशों ने एक बार सीनियर एडवोकेट हार्दिक मोध की ओर देखा, उसके बाद सरकारी वकील की ओर देखा तो सरकार की ओर से मुकदमे की पैरवी करने के लिए खड़ी सीनियर एडवोकेट सुश्री वृंदा सी शाह ने कहा, "माई लार्ड, उस पत्र को भले ही किसी ने बिरजू सल्ला को रखते नहीं देखा, पर क्रू मेंबर की एक एयरहोस्टेस शिवानी मल्होत्रा ने उन्हें टायलेट की ओर जाते देखा था. उस का कहना था कि बिरजू सल्ला के अलावा उस समय तक और कोई दूसरा बिजनैस क्लास के उस टायलेट में नहीं गया था."
न्यायाधीश श्री सुपेहिया ने कहा, "आप यह दावे के साथ कैसे कह सकती हैं कि बिरजू सल्ला के पहले बिजनैस क्लास से कोई और टायलेट नहीं गया था."
"माई लार्ड एयरहोस्टेस का यही कहना है," एडवोकेट वृंदा शाह ने कहा.
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