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In this issue

मासूम बच्चियों के चाचा हिमंता...

असम में बाल विवाह की स्थितियां भयावह थीं और माना जाता था कि उन्हें सुधार सकना आसान नहीं है। कभी इसके लिए सामाजिक तर्क दिए जाते थे और कभी कानूनों में मौजूद कमियों का हवाला दिया जाता था। लेकिन इस बार हिमंता सरकार ने बाल विवाह के विरुद्ध निर्णायक कार्यवाही की है।जो बच्चियां दुल्हन बनने को विवश की जासक ती थीं, अब उनको डरने की आवश्यकता नहीं रह गई है। मुख्यमंत्री हिमंता बिस्व सरमा उनके संरक्षक बनकर खड़े हो गए है...

बचा लीं बेटियां

असम में बाल विवाह की स्थितियां भयावह रही हैं और माना जाता था कि उन्हें सुधार पाना आसान नहीं है। कभी इसके लिए सामाजिक बातें की जाती थीं, तो कभी कानूनों में मौजूद कमियों का हवाला दिया जाता था। लेकिन इस बार हिमंता सरकार ने बाल विवाह के विरुद्ध निर्णायक कार्यवाही की है। जो बच्चियां दुलहन बनाई जा सकती थीं, अब उन्हें डरने की आवश्यकता नहीं रह गई है। मुख्यमंत्री हिमंता बिस्व सरमा उनके संरक्षक बनकर खड़े हो गए हैं

बचा लीं बेटियां

8 mins

पानी पर निर्णायक पहल

सिंधु जल संधि पर पाकिस्तान के अड़ियल रवैये पर भारत ने निर्णायक कदम उठाते हुए संधि के प्रावधानों के अनुरूप इसमें संशोधन की मांग की है। भारत का यह रुख अतीत के दबावपूर्ण माहौल में हुए समझौतों को न्यायसंगत बनाने की दिशा में एक कदम माना जा रहा है

पानी पर निर्णायक पहल

6 mins

हाड़ौती ने बढ़ाई चिंता

रासायनिक उर्वरकों के अंधाधुंध प्रयोग से राजस्थान के हाड़ौती अंचल की भूमि में पोषक तत्वों की कमी हो गई है। इसका असर उत्पादन और फसल की गुणवत्ता पर ही नहीं, मनुष्यों पर भी पड़ेगा, जैविक खेती है इसका समाधान

हाड़ौती ने बढ़ाई चिंता

4 mins

दरार पर वामपंथी दुष्प्रचार

भू-धंसाव को लेकर वामपंथियों ने दुष्प्रचार किया कि विकास योजनाओं के कारण जोशीमठ खतरे में आ गया है, लेकिन यह सच नहीं है

दरार पर वामपंथी दुष्प्रचार

3 mins

भविष्य के भारत की राह

देश की अत्यंत महत्वाकांक्षी परियोजना नई दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे (डीएमई) के पहले चरण - सोहना (हरियाणा) - दौसा (राजस्थान) सेक्शन - को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 12 फरवरी को देश को समर्पित करेंगे। इसमें अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी के साथ पर्यावरण, स्थानीय विकास, रोजगार और भविष्य की कनेक्टिविटी का पूरा ध्यान रखा गया है। यह एक्सप्रेसवे न सिर्फ यात्रा की अवधि को कम करेगा बल्कि लोगों को विभिन्न अवसरों, विकास और सपनों की नई उड़ान भी प्रदान करेगा

भविष्य के भारत की राह

5 mins

समाज और स्वतंत्रता की जगाई अलख

आर्य समाज के संस्थापक स्वामी दयानंद सरस्वती ने जहां एक ओर वेदों का प्रचार किया, वहीं दूसरी ओर स्वतंत्रता की लड़ाई में भी भाग लिया। यही कारण है कि उनके अनेक शिष्यों ने देश के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया

समाज और स्वतंत्रता की जगाई अलख

7 mins

सनातन धर्म योद्धा

छत्रपति शिवाजी जैसे आदर्श शासक और संगठक विश्व के इतिहास में दूसरे नहीं हैं। उन्होंने एक राजा के तौर पर निष्पक्ष शासन किया और राजकीय व्यवस्था एवं सेना खड़ी करने की उनकी क्षमता अद्भुत थी

सनातन धर्म योद्धा

4 mins

एकनिष्ठ भारतभक्ति ही सच्चा भारतीयकरण

आज जब ‘इंडिया फर्स्ट' और 'मेक इन इंडिया' का दौर चल रहा है, तब भारतीयकरण का मुद्दा प्रासंगिक हो जाता है। अप्रैल, 1970 में पाञ्चजन्य के भारतीयकरण विशेषांक के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के तत्कालीन सरसंघचालक श्री गुरुजी का पाञ्चजन्य के तत्कालीन संपादक श्री देवेंद्र स्वरूप ने साक्षात्कार लिया था। प्रस्तुत है उस साक्षात्कार का संपादित अंश

एकनिष्ठ भारतभक्ति ही सच्चा भारतीयकरण

7 mins

समस्या खड़ी करने में माहिर वामपंथी

वामपंथी एक अच्छे विषय को उपयोगिता की सीमा से परे ले जाकर वहां खड़ा हैं, वह समस्या बन जाता है। वे स्त्रियों के अधिकारों को परिवार की संरचना, मजदूरों के वेतन के विषय को उद्योगों और पर्यावरण के प्रश्न को आर्थिक प्रगति के विरुद्ध खड़ा कर देते हैं।

समस्या खड़ी करने में माहिर वामपंथी

2 mins

माटी का मोल

गढ़मुक्तेश्वर के पास ढाना देवली स्थित 'माटी कला केंद्र' के परिसर में आधुनिक मशीनों के माध्यम से मिट्टी के 30 से अधिक प्रकार के बर्तन बनाए जा रहे हैं। इससे जहां लगभग 500 परिवारों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिल रहा है, वहीं पर्यावरण की रक्षा भी हो रही

माटी का मोल

4 mins

सृष्टि को सहेजने की सीख देती है शिवपूजा

भगवान् शिव अपने संपूर्ण स्वरूप से जिस तरह समूची प्रकृति को रूपायित करते हैं, वह अपने आप में विलक्षण है। शिव की आराधना हमें प्रकृति को सहेजना सिखाती है

सृष्टि को सहेजने की सीख देती है शिवपूजा

4 mins

सत्य ही शिवत्व

प्रेम प्राणीमात्र को एकसूत्र में बांधने वाली शक्ति है, प्रेम का आधार शिवत्व ही है । शिवत्व अर्थात् कल्याण के उच्चतर स्तर पर उठना जहां दूसरा कोई शेष न रहे

सत्य ही शिवत्व

2 mins

बढे हमलों से दहशत में हिंदू

2022 में 66 हिंदू महिलाओं का रेप, 154 की हत्या, 333 को गोमांस खाने के लिए किया मजबूर हिंदू परिवारों की 8990 एकड़ जमीन जिहादियों ने हड़प ली तो 128 हिंदू मंदिरों में आग लगा दी गई

बढे हमलों से दहशत में हिंदू

2 mins

साहित्य, संस्कृति और डिजिटल तकनीक

साहित्यिक संस्थाएं प्रौद्योगिकी के प्रयोग के माध्यम से न सिर्फ अपनी पहुंच बढ़ा सकती है बल्कि आर्थिक अभावों का भी मुकाबला कर सकती हैं

साहित्य, संस्कृति और डिजिटल तकनीक

3 mins

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Panchjanya Magazine Description:

Publisher: Bharat Prakashan (Delhi) Limited

Category: Politics

Language: Hindi

Frequency: Weekly

स्वतंत्रता प्राप्ति के तुरन्त बाद 14 जनवरी, 1948 को मकर संक्राति के पावन पर्व पर अपने आवरण पृष्ठ पर भगवान श्रीकृष्ण के मुख से शंखनाद के साथ श्री अटल बिहारी वाजपेयी के संपादकत्व में 'पाञ्चजन्य' साप्ताहिक का अवतरण स्वाधीन भारत में स्वाधीनता आन्दोलन के प्रेरक आदशोंर् एवं राष्ट्रीय लक्ष्यों का स्मरण दिलाते रहने के संकल्प का उद्घोष ही था।

अटल जी के बाद 'पाञ्चजन्य' के सम्पादक पद को सुशोभित करने वालों की सूची में सर्वश्री राजीवलोचन अग्निहोत्री, ज्ञानेन्द्र सक्सेना, गिरीश चन्द्र मिश्र, महेन्द्र कुलश्रेष्ठ, तिलक सिंह परमार, यादव राव देशमुख, वचनेश त्रिपाठी, केवल रतन मलकानी, देवेन्द्र स्वरूप, दीनानाथ मिश्र, भानुप्रताप शुक्ल, रामशंकर अग्निहोत्री, प्रबाल मैत्र, तरुण विजय, बल्देव भाई शर्मा और हितेश शंकर जैसे नाम आते हैं। नाम बदले होंगे पर 'पाञ्चजन्य' की निष्ठा और स्वर में कभी कोई परिवर्तन नहीं आया, वे अविचल रहे।

किन्तु एक ऐसा नाम है जो इस सूची में कहीं नहीं है, परन्तु वह इस सूची के प्रत्येक नाम का प्रेरणा-स्रोत कहा जा सकता है जिसने सम्पादक के रूप में अपना नाम कभी नहीं छपवाया, किन्तु जिसकी कल्पना में से 'पाञ्चजन्य' का जन्म हुआ, वह नाम है पं. दीनदयाल उपाध्याय।

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