Panchjanya - March 19, 2023
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Bu konuda
परलोक ही नहीं, इहलोक भी है |
भारत में मंदिर आध्यात्मिक ऊर्जा एवं सांस्कृतिक एकता के केंद्र तो हैं ही, ये अर्थव्यवस्था के भी वाहक हैं। मंदिर एवं धर्मस्थल न सिर्फ उस क्षेत्र के विकास को सुनिश्चित करते हैं बल्कि स्थानीय लोगों के लिए रोजगार का सृजन भी करते हैं, यही कारण है कि देश की जीडीपी में मंदिरों की अर्थव्यवस्था की हिस्सेदारी 2.32 प्रतिशत है |
Panchjanya Magazine Description:
Yayıncı: Bharat Prakashan (Delhi) Limited
kategori: Politics
Dil: Hindi
Sıklık: Weekly
स्वतंत्रता प्राप्ति के तुरन्त बाद 14 जनवरी, 1948 को मकर संक्राति के पावन पर्व पर अपने आवरण पृष्ठ पर भगवान श्रीकृष्ण के मुख से शंखनाद के साथ श्री अटल बिहारी वाजपेयी के संपादकत्व में 'पाञ्चजन्य' साप्ताहिक का अवतरण स्वाधीन भारत में स्वाधीनता आन्दोलन के प्रेरक आदशोंर् एवं राष्ट्रीय लक्ष्यों का स्मरण दिलाते रहने के संकल्प का उद्घोष ही था।
अटल जी के बाद 'पाञ्चजन्य' के सम्पादक पद को सुशोभित करने वालों की सूची में सर्वश्री राजीवलोचन अग्निहोत्री, ज्ञानेन्द्र सक्सेना, गिरीश चन्द्र मिश्र, महेन्द्र कुलश्रेष्ठ, तिलक सिंह परमार, यादव राव देशमुख, वचनेश त्रिपाठी, केवल रतन मलकानी, देवेन्द्र स्वरूप, दीनानाथ मिश्र, भानुप्रताप शुक्ल, रामशंकर अग्निहोत्री, प्रबाल मैत्र, तरुण विजय, बल्देव भाई शर्मा और हितेश शंकर जैसे नाम आते हैं। नाम बदले होंगे पर 'पाञ्चजन्य' की निष्ठा और स्वर में कभी कोई परिवर्तन नहीं आया, वे अविचल रहे।
किन्तु एक ऐसा नाम है जो इस सूची में कहीं नहीं है, परन्तु वह इस सूची के प्रत्येक नाम का प्रेरणा-स्रोत कहा जा सकता है जिसने सम्पादक के रूप में अपना नाम कभी नहीं छपवाया, किन्तु जिसकी कल्पना में से 'पाञ्चजन्य' का जन्म हुआ, वह नाम है पं. दीनदयाल उपाध्याय।
- İstediğin Zaman İptal Et [ Taahhüt yok ]
- Sadece Dijital