Jyotish Sagar Magazine - February 2020
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In this issue
Jyotish Sagar’s February 2020 issue is special issue on Mangal Dosa (Mangali Dosha) and Mahashivaratri. Index of some articles of the issue is as follows :
1. The Ganges (Ganga) themselves do the Shivalinga's Jalabhishek!
2. Shivling changes color three times a day!
3. Shiva temple goes in the lap of the ocean
4. Who is 'Mangli'?
5. What happens to Mangaldosh?
6. Who is not 'Mangli'?
7. How to match Mangaldosh?
8. In relation to Mangali Milan. Raman's numerical method for Matching Mangal Dosha
9. Mangal Dosha Prevention Measures
10. How to alleviate Mangaldosh?
11. Predictive Astrology: How did he fall from the sky, and fell down on the ground?
12. Predictive Astrology: Raja Yoga after attaining adversity
13. Spirituality astrology: body, universe and astrology
14. Predictive Astrology: How many children and when?
15. Predictive Transit: What is Shani Dhaya and why does Shani become special in Dhaya?
16. Predictive astrology: special yoga for Female Nativity
17. Predictive astrology: eighth house Ketu and its impact on life
18. Vastu Shastra: Vastu-analysis of Baghdadi's house! (Murder-suicide and vaastudosh)
19. Ududayapradeep Mimamsa: The results of the planets and the position of Rahu and Ketu.
20. Predictive astrology: Sun in the eighth house of Leo ascendant
21. Special on Mahashivratri (21 February): wishes supplicant Rudrabhishek
22. Special on Mahashivratri (21 February): Rudraksha is the best means to receive the grace of Lord Shiva.
23. Parapsychology: Theology and Trikala Philosophy
24. Jayanti: Swami Dayanand, founder of Arya Samaj
25. Raghavayadaviyam
26. Bhakti: Rama-Rasayan
27. Jayanti: The worshiper of Mahakali Ramakrishna Paramahamsa
स्वयं गंगा मैया करती है शिवलिंग का जलाभिषेक
स्वयं गंगा मैया करती है शिवलिंग का जलाभिषेक
1 min
राम-रसायन
नारद जी से जब यह प्रश्न किया गया कि ना इस घोर कलियुग में मनुष्य के लिए दुःखों से विमुक्ति होने का कौन-सा उपाय है, तो नारद जी ने कहा 'हरेर्नाम हरेर्नाम हरेर्नाम हि केवलम्।' अर्थात् केवल भगवान्नाम स्मरण ही मनुष्यों को दुःखों से मुक्ति प्रदान कर सकता है।
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सागर की गोद में चला जाता है शिव मन्दिर
हिन्दू धर्म में 33 करोड़ देवी-देवताओं का उल्लेख है, जिसमें सबसे अधिक आराधना देवों के देव महादेव की ही होती है। इसी क्रम में हम बात कर रहे हैं गुजरात में स्थित एक अनोखे मन्दिर की।
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मनोकामना पूर्तिकारक रुद्राभिषेक
भगवान् शिव सभी मनोरथों को पूर्ण करने म वाले, पापों का क्षय करने वाले और पुरुषार्थ चतुष्ट्य की सिद्धि प्रदान करने वाले हैं। भगवान् शिव को जलाभिषेक अत्यधिक प्रिय है। यही कारण है कि दिन एवं रात्रि दोनों समय में उन्हें जल चढ़ाया जा सकता है।
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कौन है 'मंगली' ?
ग्रहमेलापन प्रक्रिया के अन्तर्गत मंगलदोष के आधार पर मेलापन का प्रचलन सर्वाधिक है। मंगलदोष को 'कुजदोष', 'भौमदोष' आदि नामों से भी जाना जाता है। दक्षिण भारत में इसे 'कलत्रदोष' के नाम से भी जाना जाता है। बोलचाल की भाषा में इसे 'मंगलीदोष', 'मंगलीक दोष', 'मांगलिक दोष' आदि नामों से भी जानते हैं।
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क्या होता है मंगलदोष से?
क्या होता है मंगलदोष से?
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कैसे करें मंगलदोष का मिलान?
ग्रह-मेलापन के अन्तर्गत मंगलीदोष का न मिलान सतर्कता के साथ करना चाहिए। वर और वधू की कुण्डलियों में मंगलदोष से सम्बन्धित निम्नलिखित तीन स्थितियाँ सम्भव हैं :
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कैसे करें मंगलदोष का शमन?
ज्योतिष का यह सुस्थापित सिद्धान्त है कि किसी भी ग्रह की शान्ति के लिए उसके मन्त्र का जप, स्तोत्र कवच आदि का पाठ, यन्त्र पूजन एवं धारण, सम्बन्धित वस्तुओं का दान, सम्बन्धित वार का व्रत इत्यादि किए जाने चाहिए ।
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आसमान से ऊँचा कद, गिरकर जमीन पर कैसे टूट गया?
बादल जितनी जल्दी विदशी युवतियों के सहारे करोड़पति बना, तो वहीं एक विदेशी युवती की वजह से रोडपति बन गया। आसमान से नीचे जमीन पर आ पड़ा।
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योगविद्या और त्रिकाल दर्शन
योग एक विशुद्ध भारतीय अध्यात्म विज्ञान की एक शाखा है। भारतीय योग विद्या की सहायता से प्राचीन सिद्धयोगी अनेक चमत्कारपूर्ण कार्य करते थे, जो जन सामान्य के लिए दुर्लभ थे।
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क्या है शनि ढैया और क्यों शनि ढैया में विशेष हो जाते हैं?
'ढैया' का मतलब होता है ढाई वर्ष। वैसे तो शनिदेव प्रत्येक राशि में ही ढाई वर्ष रहते हैं, परन्तु ढैया का विचार और कहीं से नहीं होता है, फिर चतुर्थ और अष्टम से ही क्यों?
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शिवतत्त्व विवेचना
भगवान् शिव अनादि, अनन्त एवं म अनश्वर देवता हैं, जिनकी आराधना प्राचीनकाल से ही विश्वव्यापी रही है । शिवोपासना भारतीय संस्कृति एवं आस्था का प्रमुख प्रेरणा स्रोत रही है । शिव शक्ति (ऊर्जा) का ही आदि रूप है ।
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बगदादी के घर का वास्तु-विश्लेषण ! (हत्या-आत्महत्या और वास्तुदोष)
जिस घर में हत्या या आत्महत्या होगी, उस घर में दो या दो से अधिक वास्तुदोष अवश्य होंगे ।एक नैर्ऋत्यकोण में होता है जैसे; नैर्ऋत्य कोण में भूमिगत पानी की टंकी, कुँआ, बोरवेल या किसी भी प्रकार से फर्श नीचा हो या दक्षिण या पश्चिम नैर्ऋत्य कोण बढ़ जाए ।
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योगकारक ग्रहों की अन्तर्दशाओं एवं राह-केतु की दशा के फल
उडुदायप्रदीप के दशाफध्याय में महादशा-अन्तर्दशा के शुभाशुभ फलों के सिद्धान्तों का वर्णन किया जा रहा है। दशाध्याय के श्लोक 1 और 2 में कहा गया है कि सभी ग्रह अपनी महादशा के अन्तर्गत अपनी ही दशा में मनुष्यों को आत्मभावानुरूपी शुभाशुभ फल नहीं देते और जो अपने सम्बन्धी अथवा जो अपने सधर्मी हैं, उनकी अन्तर्दशा में अपनी दशा का फल देते हैं।
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सिंह लग्न के अष्टम भाव में स्थित सूर्य के फल
कैमें से करें सटीक फलादेश क श्रृंखला के अन्तर्गत लग्नानुसार विभिन्न भावों में ग्रहों के स्थित होने पर उनके भावगत, राशि एवं नक्षत्रगत, दृष्टिजन्य एवं युतिजन्य फलों का सोदाहरण विवेचन किया जा रहा है।
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शास्त्र मात्र अपवाद हैं, रामकृष्ण उनकी प्रत्यक्ष अनुभूति
उनका समग्र जीवन एक ऐसे शहर के पास व्यतीत हुआ, जो पाश्चात्य भावों से उन्मत्त हो रहा था, जो भारत के सभी शहरों की अपेक्षा विदेशी भावों से अधिक भरा हुआ था। वहाँ वे पुस्तकीय ज्ञान से हर प्रकार से अनभिज्ञ रहते थे, ये महाप्रतिभासम्पन्न व्यक्ति अपना नाम तक लिखना नहीं जानते थे, किन्तु हमारे विश्वविद्यालय के बड़े-बड़े प्रतिभावान् स्नातकों ने उनको एक महान् बौद्धिक प्रतिभा के रूप में स्वीकार किया।
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Jyotish Sagar Magazine Description:
Publisher: Jyotish Sagar Private Limited
Category: Religious & Spiritual
Language: Hindi
Frequency: Monthly
Jyotish Sagar is the most popular astrological monthly magazine in Hindi language. It is being published from March, 1997. This magazine covers most of branches of astrology like as : Classical Hindu Astrology, Modern Astrology, Krishnamurthi or KP Astrology, Jaimini Astrology, Career Astrology, Marriage Astrology, Medical Astrology, Remedial Astrology, Lal Kitab, Tajik or Annual Horoscopy, Palmistry, Numerology, Body Reading and Samudrik Shastra, Mundane Astrology, Electional or Muhurta Astrology, Vedic Astrology, Astrological Mathematics and Siddhant Jyotish or Hindu Astronomy etc. Detailed Panchanga (calendar), Monthly Ephemeris and Various type of Muhurta are also published in every issue. Monthly Horoscope (Rashiphal) and Tansitary Forecast are also attractive feature of Jyotish Sagar. Many permanent collums like as festival planner of the month, Ramcharitmans, Upanishad, Gita, Ravan Samhita, Puran Purush, Kabir Vaani, Chanakyodesh etc are other attractions of this magazine. Some articles are also published on Vastu, Tantra, Mantra and Yantra. Every year two Special issues on Deepavali are also published. More than four special issues are published per year.
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