Panchjanya - January 22, 2023Add to Favorites

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في هذه القضية

22 January 2023

सत्य, सरोकार और संस्कृति

पाञ्चजन्य का निर्भीक स्वर लोगों को आकर्षित करता रहा तो इससे सरकार की भौहें भी तनती रहीं। 1959 में कम्युनिस्ट चीन द्वारा तिब्बत पर कब्जा और दलाईलामा के निष्कासन के समय पाञ्चजन्य ने नेहरू की अदूरदर्शिता और चीन-नीति की तथ्यात्मक आलोचना की।

सत्य, सरोकार और संस्कृति

3 mins

अंध कूप में पाकिस्तान!

पाकिस्तान पर रहम करना तो दूर, विश्व में कोई देश उसे गंभीरता से लेने के लिए भी तैयार नहीं है, जबकि उसकी स्थिति बहुत गंभीर हो चुकी है। उसकी अर्थव्यवस्था ध्वस्त हो चुकी है, सेना उस पर बोझ बनी हुई है और तमाम देनदारियां सिर पर हैं। पाकिस्तान का यह हश्र समकालीन इतिहास का एक महत्वपूर्ण अध्याय है

अंध कूप में पाकिस्तान!

4 mins

मीडिया की देखादेखी!

एक ओर सर्वोच्च न्यायालय हल्द्वानी में रेलवे की जमीन पर कब्जा जमाने वाले मुसलमानों के प्रति नरमी दिखाता है, दूसरी ओर हिंदुओं से जुड़े ऐसे ही मामले में कठोर बन जाता है। हल्द्वानी मामले में शीर्ष अदालत का रवैया सेकुलर मीडिया से अलग नहीं है

मीडिया की देखादेखी!

5 mins

कोहिमा की राह पर कोडरमा !

देखते-देखते पूरा नागालैंड ईसाई-बहुल हो गया। आज उसकी राजधानी कोहिमा में चर्च ही चर्च दिखते हैं। झारखंड में भी ईसाई मिशनरी के लोग लोभ-लालच, छल-कपट और यहां तक कि डर दिखाकर हिंदुओं को ईसाई बना रहे हैं। कोडरमा की घटना से हिन्दू समाज अत्यंत चिन्तित है

कोहिमा की राह पर कोडरमा !

4 mins

धरती क्यों दरकी!

धार्मिक नगरी जोशीमठ आज संकट से घिरी है। यही हाल नैनीताल का भी होने का भय है। पता चला है कि उत्तरकाशी में भी कुछ जगहों पर भू-धंसाव हो रहा है। पहाड़ क्यों रूठ रहे हैं और धरती क्यों दरक रही है? इसके कारण और निदान, दोनों की चिंता करनी होगी

धरती क्यों दरकी!

5 mins

फिर जीवंत हुई परम्परा

तमिलनाडु में धर्म और संस्कृति के प्रतीक जल्लीकट्टू के आयोजन पर जब सर्वोच्च न्यायालय ने प्रतिबंध लगाया, तब हिंदू समाज ने व्यापक आंदोलन किया। अंततः राज्य सरकार को पशु क्रूरता निवारण अधिनियम में संशोधन के लिए विधेयक पारित कर 'जल्लीकट्टू' के आयोजन के लिए नया रास्ता निकालना पड़ा

फिर जीवंत हुई परम्परा

4 mins

अब मुंडारी और संथाली में रामायण

मुंडारी और संथाली झारखंड के जनजातीय समाज की दो प्रमुख भाषाएं हैं। इन दोनों भाषाओं में रामायण का अनुवाद हो रहा है। यही नहीं, निकट भविष्य में महाभारत का संथाली संस्करण भी आने वाला है

अब मुंडारी और संथाली में रामायण

4 mins

हम बना रहे हैं दुनिया के लिए

भारत न केवल दुनिया का प्रमुख दवा उत्पादक देश बन गया है, बल्कि मोबाइल उत्पादक देश के तौर पर भी उभरा है। इसके अलावा देश कार और रक्षा क्षेत्र से जुड़े उपकरणों और हथियारों का भी उत्पादन और निर्यात करा

हम बना रहे हैं दुनिया के लिए

7 mins

काशी और तमिलनाडु का नेह बंधन

वाराणसी में ‘काशी-तमिल संगमम्' का अनूठा कार्यक्रम संपन्न हुआ। इस संगमम् ने भारतवासियों को यह स्पष्ट संदेश दिया कि उत्तर से लेकर दक्षिण तक भारत सदियों से सांस्कृतिक रूप से एक है

काशी और तमिलनाडु का नेह बंधन

4 mins

सौर-रश्मियों का मंगल पर्व

लोक संस्कृति के विविध पक्षों को अपने में संजोये मकर संक्रान्ति का पर्व भारत की सामाजिक व सांस्कृतिक चेतना को आध्यात्मिक भावना एवं साधना से जोड़ता है। वर्तमान क्षणों में यह संदेश युग- आह्वान भी है कि यदि प्राणवान संस्कृति प्रेमी संकल्पबद्ध होकर नदी संरक्षण व पर्यावरण प्रदूषण को दूर करने की मुहिम में जुटेंगे तभी सौर-रश्मियों के क्रांतिकारी उत्कर्ष से भरे मंगल पर्व मकर संक्रान्ति का गौरव एवं गरिमा कायम रह सकेगी

सौर-रश्मियों का मंगल पर्व

4 mins

पाञ्चजन्य का महानाद

पाञ्चजन्य का अर्थ पञ्चजनों यानी समाज के सभी वर्गों का उद्धार करने वाला है। वेदों में पाञ्चजन्य का पद इसी संदर्भ में लिया गया है

पाञ्चजन्य का महानाद

2 mins

माफी नहीं मांगने पर मिली फांसी

अंग्रेजी फौज को लेकर जा रही रेलगाड़ी को उड़ाने के आरोप में हेमू कालाणी को 10 वर्ष की सजा हुई थी, लेकिन बाद में एक अंग्रेज अधिकारी ने उन्हें मौत की सजा दे दी

माफी नहीं मांगने पर मिली फांसी

2 mins

चीन की चीन द्वारा चीन के लिए

नेपाल में शेर बहादुर देउबा को झटका देकर पुष्प कमल दहल प्रचंड ने नाटकीय ढंग से सरकार तो बनाई ही, संसद में 'प्रचंड' बहुमत भी साबित कर दिखाया। नई गठबंधन सरकार चीन के अनुकूल होने के चलते तेजी से अपने एजेंडे पर काम करना शुरू भी कर चुकी है

चीन की चीन द्वारा चीन के लिए

6 mins

ध्रुवीकरण के खतरे

ब्राजील में अक्तूबर माह में हुए राष्ट्रपति चुनाव में लुला दा सिल्वा की जीत के बाद देश दो खेमों में बंटा। पूर्व राष्ट्रपति बोल्सोनारो के समर्थकों ने चुनाव में धांधली का आरोप लगा सत्ता के तीन प्रमुख केंद्रों पर कब्जा कर लिया, जिन्हें खाली कराने के लिए सैन्य कार्रवाई करनी पड़ी

ध्रुवीकरण के खतरे

5 mins

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Panchjanya Magazine Description:

الناشرBharat Prakashan (Delhi) Limited

فئةPolitics

لغةHindi

تكرارWeekly

स्वतंत्रता प्राप्ति के तुरन्त बाद 14 जनवरी, 1948 को मकर संक्राति के पावन पर्व पर अपने आवरण पृष्ठ पर भगवान श्रीकृष्ण के मुख से शंखनाद के साथ श्री अटल बिहारी वाजपेयी के संपादकत्व में 'पाञ्चजन्य' साप्ताहिक का अवतरण स्वाधीन भारत में स्वाधीनता आन्दोलन के प्रेरक आदशोंर् एवं राष्ट्रीय लक्ष्यों का स्मरण दिलाते रहने के संकल्प का उद्घोष ही था।

अटल जी के बाद 'पाञ्चजन्य' के सम्पादक पद को सुशोभित करने वालों की सूची में सर्वश्री राजीवलोचन अग्निहोत्री, ज्ञानेन्द्र सक्सेना, गिरीश चन्द्र मिश्र, महेन्द्र कुलश्रेष्ठ, तिलक सिंह परमार, यादव राव देशमुख, वचनेश त्रिपाठी, केवल रतन मलकानी, देवेन्द्र स्वरूप, दीनानाथ मिश्र, भानुप्रताप शुक्ल, रामशंकर अग्निहोत्री, प्रबाल मैत्र, तरुण विजय, बल्देव भाई शर्मा और हितेश शंकर जैसे नाम आते हैं। नाम बदले होंगे पर 'पाञ्चजन्य' की निष्ठा और स्वर में कभी कोई परिवर्तन नहीं आया, वे अविचल रहे।

किन्तु एक ऐसा नाम है जो इस सूची में कहीं नहीं है, परन्तु वह इस सूची के प्रत्येक नाम का प्रेरणा-स्रोत कहा जा सकता है जिसने सम्पादक के रूप में अपना नाम कभी नहीं छपवाया, किन्तु जिसकी कल्पना में से 'पाञ्चजन्य' का जन्म हुआ, वह नाम है पं. दीनदयाल उपाध्याय।

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